Trump announcement to start new nuclear tests: दुनिया के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि मुझे नहीं पता कि तीसरा विश्वयुद्ध किन हथियारों से लड़ा जाएगा लेकिन चौथा विश्वयुद्ध छड़ी और पत्थरों से लड़ा जाएगा. दुनिया में व्यापक जनसंहार वाले हथियारों की होड़ और महाशक्तियों के युद्ध के उन्माद को देखते हुए ये आइन्सटीन की वो चेतावनी थी. जिससे परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के बाद होने वाली तबाही का अंदाजा लगाया जा सकता है.
आज अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने परमाणु हथियारों से जुड़ा जो ऐलान किया है. उसके बाद आइंस्टीन की ये चेतावनी फिर से याद आ रही है क्योंकि दुनिया ट्रंप के इस एलान के बाद परमाणु आपातकाल की तरफ बढ़ गई है. जिसे आज सारी दुनिया को बहुत गंभीरता से लेना चाहिए. आप इसे, शीत-युद्ध की तरह परमाणु युद्ध का आरंभ भी कह सकते हैं. इसलिए आज हम, परमाणु युद्ध के आरंभ का विश्लेषण करेंगे.
ट्रंप ने अचानक परमाणु परीक्षण का ऐलान क्यों किया
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के इरादों को देखते हुए अब यूएस प्रेसिडेंट डॉनल्ड ट्रंप ने नए परमाणु परीक्षण का ऐलान कर दिया है. ये ऐलान ऐसे वक्त में हुआ है..जब ट्रंप तनावपूर्ण माहौल में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से टैरिफ पर चर्चा करने जा रहे थे. ट्रंप और जिनपिंग के बीच हुई टैरिफ वार्ता का संपूर्ण विश्लेषण भी हम आपके लिए करेंगे.
उससे पहले आज हम आपको बताएंगे कि ट्रंप के एटॉमिक ऐलान ने कैसे दुनिया को 7 दशक पीछे शीतयुद्ध के समय में पहुंचा दिया है. क्यों कहा जा रहा है कि शीतयुद्ध वाले दो शक्तिशाली देश अब 'परमाणु युद्ध' करेंगे. सवाल ये भी है, कि पुतिन और ट्रंप के बीच इस परमाणु युद्ध या रेस में भारत और चीन क्या करेंगे?
हमारे विश्लेषण में आपको ये भी पता चलेगा कि ट्रंप के एक फैसले से दुनिया में कितने नए और विनाशकारी परमाणु हथियार बनने वाले हैं? कितने नए देशों के अंदर परमाणु हथियार बनाने की ख्वाहिशें पैदा होने वाली हैं और दुनिया मानवता के विनाश की तरफ कितने कदम आगे बढ़ गई है? यानी विनाश के कितने पास पहुंच गई है?
आखिरी बार 33 साल पहले किया था न्यूक्लियर टेस्ट
अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने दावा किया कि उनके पास दुनिया में सबसे ज्यादा परमाणु हथियार हैं. इसके बावजूद अब वो नए परीक्षण करेंगे. अमेरिका ने 33 साल पहले अपना आखिरी परमाणु परीक्षण किया था. ये अमेरिका का 1 हजार 54वां परमाणु परीक्षण था. लेकिन अब अमेरिका के राष्ट्रपति इसलिए परमाणु हथियारों के परीक्षण दोबारा शुरू करने वाले हैं क्योंकि रूस और चीन जैसे देश नए परमाणु हथियार बना रहे हैं. यानि अब मास्को और बीजिंग से परमाणु हथियारों के परीक्षण का ऐलान नहीं होगा.
#DNAWithRahulSinha : अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का बड़ा ऐलान- 'अमेरिका जल्द ही परमाणु परीक्षण करेगा..'
रूस से तल्खी के बीच ट्रंप ने एटमी टेस्ट का बयान दिया, रूस ने भी एटमी टॉरपीडो के टेस्ट का दावा किया है#DNA #DonaldTrump #AtomBomb #Russia #America | @RahulSinhaTV pic.twitter.com/8acsL0T0CG
— Zee News (@ZeeNews) October 30, 2025
अब वॉशिंगटन दुनिया को बताएगा कि उसने कितना खतरनाक परमाणु हथियार बना लिया है. आज आपको जानना चाहिए, दुनिया में नई परमाणु होड़ शुरू करते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति ने और कौन कौन सी बड़ी बातें कही हैं और परमाणु परीक्षणों की क्या वजह बताई हैं.
ट्रम्प ने अमेरिकी रक्षा मंत्रालय यानि पेंटागन को परमाणु हथियारों की तुरंत टेस्टिंग शुरू करने का आदेश दे दिए हैं. अपने आदेश में उन्होंने ये भी कहा है ये टेस्टिंग चीन और रूस के बराबर होनी चाहिए. डॉनल्ड ट्रंप ने अंदेशा जाहिर किया है कि चीन 4 से 5 साल में अमेरिका के परमाणु कार्यक्रम की बराबरी कर सकता है. इसका मतलब ट्रंप लगातार परीक्षण करके परमाणु हथियारों की तकनीक पर दबदबा बनाकर रखना चाहते हैं.
ट्रंप को आखिर परमामु परीक्षण की जरूरत क्यों पड़ी?
अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के इस आदेश के बाद अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि दुनिया में एक बार फिर से परमाणु हथियारों को बनाने और परमाणु धमाका करने की वैसी ही होड़ मचनी तय है. जैसी शीत युद्ध के दौरान शुरू हुई थी. अब आप समझिए कि हाल फिलहाल दुनिया में ऐसा क्या चल रहा है. जिसके बाद ट्रंप को परमाणु परीक्षण की जरूरत महसूस हो रही है.
इसके लिए आपको अमेरिका के कट्टर प्रतिद्वंदी रूस और चीन की परमाणु गतिविधियों के बारे में जानना होगा. आजकल रूस नए नए परमाणु हथियारों के परीक्षण करने और दुनिया को उसकी जानकारी देने में सबसे आगे है. रूस ने इसी महीने दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार कही जाने वाली परमाणु मिसाइल बुरेवेस्टनिक का टेस्ट किया.
बुरेवेस्टनिक मिसाइल..एक न्यूक्लियर-रिएक्टर से चलती है, इसलिए इसकी रेंज लगभग असीमित है? यानि इसमें लगा परमाणु रिएक्टर की वजह से अब यह असीमित हो गई है. दुनिया के किसी भी कोने में किसी भी टारगेट को खत्म करने के लिए रूस इस मिसाइल को लॉन्च कर सकता है.
रूसी हथियारों से डर गया है अमेरिका!
ये मिसाइल बहुत नीची उड़ान भरती है. इसलिए यह रडार-डिफेन्स को चकमा दे सकती है. अमेरिका मानता है..रूस ने ये मिसाइल अमेरिकी डिफेंस सिस्टम के तोड़ के तौर पर विकसित की है. रूस के इस हथियार की टेस्टिंग के बाद ही डॉनल्ड ट्रंप के दिमाग में परमाणु बत्ती जल गई थी. ट्रम्प ने इसे गलत कदम बताया था. उन्होंने कहा था कि पुतिन मिसाइल परीक्षण करने की बजाय जंग रोके.
ट्रंप को पेंटागन के विशेषज्ञ इस रूसी मिसाइल की खूबियां समझा ही रहे थे कि पुतिन ने पोसाइडन नाम के न्यूक्लियर-पावर्ड अंडरवॉटर सुपर टॉरपीडो का सफल परीक्षण करने का ऐलान कर दिया. यह हिरोशिमा में गिराए गए 15 किलोटन बम से 100 गुना ताकतवर है, जो दो मेगाटन वॉरहेड अपने साथ ले जा सकता है. सोचिए हिरोशिमा में गिराए गए बम से 100 गुना ज्यादा ताकतवर बम कितनी तबाही मचाएगा.
हिरोशिमा में हुए परमाणु धमाके से लगभग डेढ़ लाख लोगों की मौत हुई थी. इस हिसाब से पोसाइडन का अटैक हुआ तो डेढ़ करोड़ लोगों की मौत फौरन हो जाएगी. लेकिन पोसाइडन से शक्तिशाली शॉकवेव से फौरन होने वाली मौत के बाद रेडियोधर्मी सुनामी भी आएगी. जिससे पानी और हवा के साथ रेडियोधर्मी तत्व हर जगह फैल जाएंगे. जिसके असर से मौत का आंकड़ा 10 से 15 करोड़ तक भी पहुंच सकता है. समझ रहे हैं आप कि रूस कितने खतरनाक हथियार तैयार करने के दावे कर रहा है. ऐसे ही खतरनाक हथियारों के डर ने डॉनल्ड ट्रंप को अंदर से हिला दिया है.
चीन भी तेजी से बढ़ा रहा शस्त्रागार
रूस इस अंडरवॉटर सुपर टॉरपीडो तो न्यूक्लियर-पावर्ड बता रहा है. मतलब, ये भी अपने लक्ष्य तक पहुंचने से पहले रुकेगा नहीं. रूस अगर यूक्रेन पर अमेरिका से तनाव के बीच अपने हथियारों के परीक्षण का खुलकर ऐलान कर रहा है तो चीन कुछ अलग ही तैयारी कर रहा है. चीन ने वर्ष 2023 के बाद से तेजी से परमाणु हथियार तैयार किए.
इस वक्त चीन के पास कुल 600 परमाणु हथियार होने की आशंका जाहिर की जा रही है. चीन की योजना है कि वो हर साल 100 नए परमाणु हथियार बनाए. इस हिसाब से 2030 तक चीन के पास 1000 से ज्यादा परमाणु हथियार होंगे. इसके अलावा चीन के पास DF-41 और DF-5C जैसी इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें मौजूद हैं. जिनकी रेंज 15,000 किलोमीटर से 20,000 किलोमीटर तक है. ये मिसाइलें एक साथ 10 से ज्यादा परमाणु हथियारों के साथ हमला कर सकती है. यानी एक मिसाइल उड़ेगी और 10 शहरों पर परमाणु हमला करेगी.
ट्रंप चीन और रूस की तैयारी देखकर व्याकुल हो गए. दुनिया में शांति फैलाने और परमाणु हथियारों को कम करने वाली योजना को भूल गए और पेंटागन से कह दिया कि परमाणु हथियारों के परीक्षण शुरू करो नहीं तो चीन और रूस की तैयारियों का निशाना अमेरिका भी बन सकता है. ऐसी स्थिति में परमाणु हथियार नहीं भी चलाए गए तो इनका डर दिखाकर कोई भी काम करवाया जा सकता है. वैसे दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका भी दुनिया के किसी भी देश पर किसी भी वक्त सबसे तेज परमाणु हमला कर सकता है. उसके पास भी लॉन्ग रेंज की मिसाइलें किसी भी देश के राडार के पकड़ में नहीं आने वाले स्टेल्थ बॉम्बर, सबसे ज्यादा शक्तिशाली एयरक्राफ्ट कैरियर और सबमरीन मौजूद हैं.
न्यूक्लियर टेस्ट से अमेरिका में 6 लाख मरे
सोचिए फिर भी ट्रंप को डर लग रहा है. उन्हें फिक्र सता रही है कि रूस के पोसाइडन और बुरेवेस्टनिक जैसे परमाणु हथियारों की तोड़ के लिए कितने खतरनाक परमाणु हथियार तैयार किये जाएं? इन हथियारों से कितनी तबाही होगी, आप इसका अंदाजा एक आंकड़े के साथ लगाइए. अमेरिका ने अब तक जितने परमाणु परीक्षण किए हैं. सिर्फ उसके प्रभाव से खुद अमेरिका में 6 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
अमेरिका ने आखिरी बार 23 सितंबर 1992 को परमाणु परीक्षण किया था. ये परीक्षण रेनियर मेसा पहाड़ी के 2300 फीट नीचे नेवादा टेस्ट साइट पर किया गया था. इसका कोडनेम था- डिवाइडर. विस्फोट जमीन के नीचे इतनी जोर से हुआ कि नीचे की चट्टानें पिघल गई थीं. जमीन की सतह लगभग 1 फुट ऊपर उठकर फिर धंस गई. वहां अभी भी 150 मीटर चौड़ा और 10 मीटर गहरा गड्ढ़ा नजर आता है .
1992 के बाद अमेरिका ने परमाणु परीक्षण नहीं किए. लेकिन अब ट्रंप ने जो ऐलान किया है. उससे दुनिया के सामने वैसी ही परमाणु होड़ लग जाएगी, जो दूसरे विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद शीतयुद्ध के साथ शुरू हुई थी. शीतयुद्ध 1962 में अपने चरम पर पहुंचा और 90 के दशक में सोवियत संघ के विघटन के साथ खत्म हो गया.

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