DNA : मदीना में 'धमाका'... मुस्लिम वर्ल्ड में महायुद्ध? अरब का एक धमाका 'खलीफा' का खेल बदल गया!

1 hour ago

Houthi attacks on Saudi: शुक्रवार को मदीना पर मिसाइल हमले की खबर आई जिसका वीडियो वायरल हुआ. दुनिया भर में सोशल मीडिया पर इस वीडियो पर खूब चर्चा की गई. इसे मुसलमानों के पवित्र स्थान पर मदीना पर हूती विद्रोहियों का हमला बताया जा रहा है. बीते शनिवार को मिडिल ईस्ट के कई अखबारों में भी मदीना के पास एक धमाके की पुष्टि की गई है. यानी मदीना में पवित्र मस्जिदों के पास धमाके की आवाज़ की खबर को सही बताया गया है. आज आपको भी जानना चाहिए. इस धमाके का मकसद क्या है?

क्या ये धमाका इजरायल के खिलाफ एक हो रहे इस्लामिक देशों की एकता को खत्म कर सकता है. क्या मदीना में हुआ धमाका इस्लामिक देशों के बीच कभी ना भरने वाली खाई पैदा कर सकता है. क्या इस धमाके की वजह से कतर पर इजरायल के हमले की नाराजगी खत्म हो जाएगी और इस्लामिक देशों के बीच जंग शुरू हो जाएगी.

मदीना से आई धमाके की खबर

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जिस धमाके की वजह से मिडिल ईस्ट ही नहीं पूरी दुनिया के मुस्लिम मुल्कों के बंटने की आशंका जाहिर की जा रही है. वो 11 सितंबर को सुबह  सुबह 5:43 मिनट पर हुआ. ये फजर की नमाज का वक्त होता है. मदीना में धमाके से जुड़ा जो वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे हैं. उसे आसमान में एक मिसाइल को इंटरसेप्ट करने का बताया जा रहा है. इस धमाके बाद आसमान में दिख रही रोशनी का वीडियो बनाते भी कुछ लोग दिख रहे हैं. इस घटना के कुछ प्रत्यक्षदर्शी भी सामने आए हैं. जिन्होंने मस्जिद के अंदर से इस घटना को देखने की पुष्टि की है. एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया फजर के बाद मस्जिद अल-शोहदा में था जब आकाश में जोरदार धमाके की आवाज़ सुनाई दी. बाहर निकलते समय मस्जिद के पास जलते हुए मलबे गिरते हुए देखे.

एक और शख्स ने बताया मदीना में एक तेज धमाका सुना, और मुझे लगता है कि यह एक मिसाइल थी जो इंटरसेप्ट की गई. खुदा का शुक्र है, हम सभी सुरक्षित थे. लेकिन ये मिसाइल फट जाती तो क्या होता. अगर धमाका हो जाता तो क्या होता, अगर मक्का की सुरक्षा में तैनात आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम इस मिसाइल को इंटरसेप्ट नहीं कर पाते तो क्या होता. इस बात की फिक्र दुनिया के हर मुसलमान को होगी और इसीलिए इस धमाके को मुस्लिम जगत भी हल्के में नहीं ले रहा.

सउदी अरब की तरफ से इस धमाके पर कोई आफिशियल प्रतिक्रिया नहीं आई है. लेकिन इंसाइड द हारमैन नाम के एक्स हैंडल ने इस धमाके की घटना की पुष्टि की. ये एक्स हैंडल सऊदी अरब के मक्का और मदीना में स्थित मस्जिदों यानि मस्जिद अल-हरम और मस्जिद अन-नबावी से जुड़ी जानकारी और घटनाओं को साझा करने के लिए संचालित किया जाता है. हालांकि इस हैंडल ने हमले के पीछे कौन है. इसकी जानकारी नहीं दी. सउदी सरकार भी इस घटना की पूरी जांच के बाद कोई बड़ा कदम उठा सकती है. मदीना पर मिसाइल हमले की साजिश के पीछे कोई भी देश या संगठन होगा तो सउदी उस पर बहुत कठोर कार्रवाई करेगा. इसमें भी कोई दो राय नहीं है  लेकिन आज आपको ये भी समझना चाहिए. इस हमले के पीछे हूती विद्रोहियों का हाथ क्यों बताया जा रहा है. क्यों इस हमले से मुस्लिम जगत की एकता खतरे में पड़ सकती है . इसके लिए सबसे पहले आपको हूती विद्रोहियों और सऊदी अरब की दुश्मनी की वजह और गहराई को समझना चाहिए.

हूती को जानिए

हूती एक शिया मुस्लिम समूह है, जो मुख्य रूप से सऊदी के पड़ोसी मुल्क यमन के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में स्थित है. 2014 में हूती विद्रोहियों ने यमन की राजधानी साना पर कब्जा कर लिया और राष्ट्रपति हादी को सत्ता से बाहर कर दिया. सऊदी अरब, जो सुन्नी मुस्लिम देश है. उसने हूती विद्रोह को ईरान के समर्थन के कारण गंभीर सुरक्षा खतरा माना. क्योंकि ईरान भी शिया समुदाय का समर्थन करता है. सऊदी अरब ने यमन में हादी सरकार का समर्थन करते हुए 2015 में सैन्य हस्तक्षेप शुरू किया, जिसका उद्देश्य हूती विद्रोहियों को सत्ता से बाहर करना और हादी को फिर से सत्ता में लाना था. तबसे लेकर अब तक हूती विद्रोही और सउदी अरब एक दूसरे को निशाना बनाते रहते हैं.

मदीना का निशाना क्यों बनाया गया?

मदीना में धमाके की खबर से ठीक चार दिन पहले सऊदी अरब ने यमन के बॉर्डर पर मौजूद शहरों रज़िह और घम्र पर रॉकेट और तोप से बड़े हमले किए. ये हमले सआदा गवर्नरेट के रिहायशी इलाकों पर हुए. हूती का आरोप है कि सउदी के इन हमलों से नागरिक संपत्ति को भारी नुकसान हुआ और कुछ लोगों की जान जाने की भी खबर है. यमन में रज़िह और घम्र दोनों ऐसे इलाके हैं. जहां पर हूती विद्रोहियों का कब्जा है. यहां पर हूती विद्रोही सऊदी अरब के साथ संघर्ष चल रहा है. सऊदी अरब द्वारा इन क्षेत्रों में हमला भी इन क्षेत्रों पर नियंत्रण के लिए हो रहा है. इन शहरों पर हूती का कब्जा होने के कारण सऊदी अरब इन इलाकों को लगातार निशाना बना रहा है. इस हमले के सिर्फ 4 दिन बाद मदीना के आसमान में मिसाइलें दिखाई देने की खबर आई. जिसे सउदी अरब की एयर डिफेंस मिसाइलों ने इंटरसेप्ट किया. ऐसे में इसे हूती की जवाबी कार्रवाई की तरह देखा जा रहा है.

अब आप ये भी समझिए अगर ये हमला हूती ने किया तो इसका इज़रायल के खिलाफ मुस्लिम मुल्कों की एकता से क्या कनेक्शन है. इस वक्त हूती के लिए सबसे बड़ा खतरा अगर दुनिया में कोई देश है तो वो इजरायल है. इजरायल ने कुछ दिनों पहले ही हूती की पूरी कैबिनेट को एक साथ खत्म कर दिया था. लेकिन जब से इज़रायल ने कतर में मौजूद हमास आतंकियों को निशाना बनाने के लिए हमला किया है. तब से मुस्लिम मुल्क इज़रायल के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं. हमने आपको डीएनए में दिखाया था किस तरह कतर से कई मुद्दों पर असहमति के बावजूद यूएई के राष्ट्रपति इजरायल के हमले के बाद कतर पहुंच गए थे. और उन्होंने इजरायल के खिलाफ कतर के साथ एकजुटता दिखाई थी. लेकिन अगर ईरान सम​र्थित शिया हूती विद्रोहियों ने पवित्र मदीना मस्जिद पर हमला किया है तो वो सुन्नी मुस्लिम देशों के सबसे बड़े दुश्मन बन जाएंगे. यानी इस धमाके से एक तरफ शिया और सुन्नी देशों की खाई गहरी होगी. दूसरी तरफ इज़रायल जो ईरान और हूती का सबसे बड़ा दुश्मन है. उसके खिलाफ एकजुट हो रहे मुस्लिम देश हूती को खत्म करने के लिए उससे हाथ मिला सकते हैं और गाजा में चल रहे युद्ध को भी भूल सकते हैं.

यमन से निकली मिसाइल का निशाना कौन था?

इस बीच चर्चा इस बात की भी चल रही है कि यमन से निकली मिसाइल का निशाना कौन था. क्या ये मिसाइल यमन से हूती विद्रोहियों ने पवित्र मदीना शहर में लॉन्च की थी. या फिर ये सउदी अरब के आसमान से इज़रायल की तरफ जा रही थी. लेकिन सवाल वही उठता है अगर इसका निशाना मदीना नहीं था तो सउदी के एयर डिफेंस सिस्टम ने इसे इंटरसेप्ट करके नष्ट क्यों किया. क्योंकि इससे पहले भी यमन से लॉन्च मिसाइलें इज़रायल तक जाती रही हैं. लेकिन सऊदी ने उनको कभी नहीं गिराया. इस मामले में अब तक सऊदी और हूती का कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.

लेकिन मक्का और मदीना की पवित्र मस्जिदों पर हमले के खतरे को देखते हुए ही सऊदी अरब ने सुरक्षा के लिए पैट्रिएट मिसाइलें और अमेरिका का सबसे आधुनिक थाड एयर डिफेंस सिस्टम तैनात किया है. जो 200 किलोमीटर दूर से आने वाले आसमानी खतरे को इंटरसेप्टर कर सकता है. इसके पहले भी हूती. सऊदी अरब को टारगेट करके बड़े हमले करता रहा है. जिसने सऊदी और हूती विद्रोहियों की दुश्मनी को लगातार गहरा किया है.

हूती विद्रोही ईरान की मदद से बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों के अलावा ड्रोन से सऊदी अरब के दक्षिणी इलाकों में हमला करते रहे हैं. हूती विद्रोहियों का निशाना अब तक रियाद, जेद्दा, धहरान, अबहा, जज़ान जैसे शहर बने हैं. हूती विद्रोही के टारगेट पर अब तक सऊदी के दक्षिणी इलाकों के तेल कुएं और एयरपोर्ट रहे हैं.

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— Zee News (@ZeeNews) September 13, 2025

वर्ष 2015 से अब तक हूती ने सऊदी पर 4000 से ज्यादा हमले किए, लेकिन सऊदी अरब ने इनमें से 90 प्रतिशत मिसाइल और ड्रोन हमलों को इंटरसेप्ट कर लिया. यह आंकड़ा यह बताने के लिए काफी है कि हूतियों की ताकत एक स्थानीय विद्रोह के स्तर से बहुत ज्यादा हो चुकी है. अबकैक पर 2019 का हूती हमला दुनिया के लिए एक वेक अप कॉल था. इस हमले ने 5 प्रतिशत वैश्विक तेल सप्लाई को एक झटके में ठप कर दिया था. इस साल हर दो दिन में सऊदी पर एक हूती हमला जरूर होता था. 2021 में 400 से ज्यादा क्रॉस-बॉर्डर हमले हुए. इन हमलों को रोकने के लिए ईरान-सऊदी के बीच 2023 में शांति वार्ताएं हुईं, लेकिन इसके बावजूद हमले जारी रहे. अक्टूबर 2023 में हूतियों ने प्रॉक्सी रेजिस्टेंस फ्रंट बनाया और इजरायल, सऊदी और अमेरिका के खिलाफ मोर्चा खोल दिया.

हूती यमन का एक ईरान-समर्थित शिया संगठन है. ईरान में शिया बहुसंख्यक हैं. जबकि सऊदी में सुन्नी बहुसंख्यक है. शिया-सुन्नी की इस पारंपरिक दुश्मनी के साथ ही सऊदी अरब और अमेरिका की पार्टनरशिप भी हूतियों को बर्दाश्त नहीं है. अमेरिका हूती विद्रोहियों के खिलाफ हमला करता रहा है और सऊदी को अपनी सुरक्षा देता रहा है.

सऊदी की सीमाओं को पहले भी बनाया गया निशाना

जहां तक बात मदीना पर हमले की है, तो अब तक कोई भी मिसाइल मदीना को हिट नहीं कर पाई है. 2016, 2017, 2019 और 2025 में धमकियों और इंटरसेप्शन की रिपोर्ट सामने आई लेकिन कभी भी मक्का या मदीना पर प्रत्यक्ष हमला नहीं हुआ. ये हमले मुख्य रूप से सऊदी अरब की सीमाओं पर या गलत दिशा में गिरे मिसाइलों के रूप में देखे गए हैं. हूतियों ने यह बार-बार साफ किया है कि उनका टारगेट मिलिट्री एयरबेस या पोर्ट्स हैं धार्मिक स्थल नहीं. इसके बावजूद इस पवित्र स्थल से सिर्फ 65 किलोमीटर दूर मिसाइल इंटरसेप्ट होने पर OIC की आपात बैठक बुलाई गई. यह इस पवित्र स्थल की धार्मिक राजनीतिक संवेदनशीलता को दर्शाता है.

मदीना पर हमला सुन्नी मुस्लिम जगत के लिए असहनीय होगा इसे पूरी इस्लामी उम्माह की आत्मा पर चोट माना जाएगा. हदीस के मुताबिक, मदीना की रक्षा अल्लाह ने फरिश्तों को सौंपी है और इसका उल्लंघन करने वाले को कड़ी सजा का सामना करना पड़ेगा.

मदीना बहुत महत्वपूर्ण है. सुन्नी परंपरा में इस जगह को शुद्ध शहर और यहां की मस्जिद को जन्नत का बाग माना जाता है. 2016 में ISIS के हमले में 4 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए इस हमले ने पूरी मुस्लिम दुनिया को झकझोर दिया. सऊदी विद्वानों ने इसे इस्लाम की आत्मा पर हमला कहा और शिया बहुल ईरान समेत सभी इस्लामिक देशों ने इस हमले की निंदा की. सुन्नी-शिया मतभेदों के बावजूद, मदीना सभी मुस्लिमों के लिए पवित्र है.

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