खूंखार माओवादी नेता का सरेंडर, 43 सालों से थी अंडरग्राउंड, 1 करोड़ का था इनाम

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Last Updated:September 13, 2025, 21:39 IST

खूंखार माओवादी नेता का सरेंडर, 43 सालों से थी अंडरग्राउंड, 1 करोड़ का था इनामपोथुला पद्मावती ने तेलंगाना पुलिस के सामने सरेंडर किया.

रायपुर. छत्तीसगढ़ पुलिस ने शनिवार को कहा कि तेलंगाना में वरिष्ठ माओवादी नेता सुजाता के आत्मसमर्पण से प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) को एक और बड़ा झटका लगा है. इस प्रतिबंधित संगठन ने इस साल मुठभेड़ों में अपने महासचिव समेत छह शीर्ष कार्यकर्ताओं को खो दिया है. प्रतिबंधित संगठन की केंद्रीय समिति की सदस्य पोथुला पद्मावती (62) ने शनिवार को पड़ोसी राज्य तेलंगाना में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. पद्मावती को सुजाता और कल्पना के उपनामों से भी जाना जाता है.

तेलंगाना पुलिस ने बताया कि मृत माओवादी नेता मल्लोजुला कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी की पत्नी सुजाता ने स्वास्थ्य कारणों और सरकारी नीतियों से प्रभावित होकर भाकपा (माओवादी) छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने की इच्छा जतायी. सुजाता पिछले 43 वर्षों से अंडरग्राउंड थी तथा दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के दक्षिण सब-जोनल ब्यूरो की प्रभारी समेत विभिन्न पदों पर थी. दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी, दक्षिण छत्तीसगढ़ (बस्तर क्षेत्र) में माओवादी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार माओवादियों का सबसे मजबूत संगठन है.

सुजाता के आत्मसमर्पण को एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम बताते हुए, बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने कहा कि सुजाता का तेलंगाना में आत्मसमर्पण दंडकारण्य क्षेत्र में माओवादी आंदोलन के लिए एक गंभीर झटका है. सुंदरराज ने कहा कि माओवादी संगठन की वरिष्ठतम नेताओं में से एक होने के नाते, सुजाता का यह निर्णय हाल के समय में माओवादी पंक्तियों में गहराते आत्मविश्वास संकट को दर्शाता है.

पुलिस महानिरीक्षक का कहना है कि यह महत्वपूर्ण घटनाक्रम बस्तर पुलिस द्वारा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों, आसूचना एजेंसियों और अंतरराज्यीय सीमा क्षेत्रों में तैनात सुरक्षा इकाइयों के साथ बेहतर समन्वय में चलाए गए लगातार और आक्रामक अभियानों का प्रत्यक्ष परिणाम है. इन संयुक्त प्रयासों ने माओवादी ढांचों को गहरी चोट पहुंचाई है और उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में उनके कमान तंत्र को बाधित किया है.

सुंदरराज ने कहा कि हाल के महीनों में, छत्तीसगढ़ के बस्तर रेंज एवं अन्य क्षेत्रों के नक्सल प्रभावित इलाकों में माओवादियों को लगातार भारी नुकसान उठाना पड़ा है, जिनमें कई वरिष्ठ नेताओं का निष्प्रभावी होना, बड़ी मात्रा में हथियार और विस्फोटकों की बरामदगी तथा उनके पुराने ठिकानों में अनेक ठिकानों का ध्वस्तीकरण शामिल है.

पुलिस महानिरीक्षक के अनुसार इन सतत अभियानों ने माओवादियों को विस्तार करने की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी, जिससे उनके शीर्ष नेतृत्व का भी संगठन के भविष्य पर विश्वास डगमगा गया है. उन्होंने बताया कि प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) संगठन की वरिष्ठ केंद्रीय समिति सदस्य सुजाता, दंडकारण्य विशेष जोनल समिति के दक्षिण उप-जोनल ब्यूरो की प्रभारी थी तथा उसके ऊपर 40 लाख रुपये का इनाम घोषित था एवं बस्तर रेंज के विभिन्न जिलों में दर्ज 72 से अधिक मामलों में वह वांछित थी.

सुजाता के मुख्यधारा में लौटने के इस महत्वपूर्ण निर्णय का स्वागत करते हुए सुंदरराज ने प्रतिबंधित संगठन के शेष कैडर और नेताओं से अपील की है कि वे हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल हों, जिससे बस्तर के लोगों के लिए एक सुरक्षित और समृद्ध भविष्य का निर्माण किया जा सके. उन्होंने कहा कि माओवादी कार्यकर्ताओं और उनके नेतृत्व के पास हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.

इस साल अब तक छत्तीसगढ़ में अलग-अलग मुठभेड़ों में 244 नक्सली मारे जा चुके हैं, जिनमें सबसे उल्लेखनीय प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के महासचिव और शीर्ष कार्यकर्ता नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू (70) और केंद्रीय समिति के तीन सदस्यों मोडेम बालकृष्ण, चलपथी और गौतम उर्फ सुधाकर का मारा जाना है.

सुंदरराज ने कहा, “बसवराजू की मृत्यु के बाद, अब भी यह स्पष्ट नहीं है कि किसने कमान संभाली है. देवजी, सोनू और अन्य वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के बीच एक सत्ता संघर्ष छिड़ा हुआ है, जो पद हथियाने और निर्दोष ग्रामीणों से लूटी गई जबरन वसूली का फायदा उठाने के लिए बेताब हैं.”

सुंदरराज ने बताया कि ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि माडवी हिडमा डीकेएसजेडसी का सचिव बनने की ख्वाहिश रखता है. उन्होंने कहा कि यह सारा झगड़ा केवल इस बात को रेखांकित करता है कि माओवादी संगठन टूट रहा है और धीरे-धीरे विलुप्त होने की ओर बढ़ रहा है. उन्होंने चेतावनी दी कि जो भी माओवादी कार्यकर्ता अब भी इस निरर्थक और बेतुके गिरोह का नेता बनने का सपना देख रहा है, उसे क्रूर परिणामों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए.

Rakesh Ranjan Kumar

राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...और पढ़ें

राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...

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Raipur,Raipur,Chhattisgarh

First Published :

September 13, 2025, 21:39 IST

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