Last Updated:November 23, 2025, 09:17 IST
Delhi High Court News: ED यानी प्रवर्तन निदेशालय विशेष तौर पर मनीलॉन्ड्रिंग के मामले की छानबीन करता है. जहां भी पैसों के लेनदेन में गड़बड़ी का संदेह होता है, ED के अफसर एक्टिव हो जाते हैं. अब ED के अधिकार को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है.
Delhi High Court News: ED के छापा मारने के अधिकार पर दिल्ली हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है. (फाइल फोटो) Delhi High Court News: मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों की जांच और उसकी रोकथाम के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ED) एक डेडिकेटेड एजेंसी है. ED की ओर से अक्सर ही छापे मारने की खबरें सामने आती रहती हैं. कई बार एजेंसी के अधिकार क्षेत्र को लेकर भी सवाल उठते हैं. सबसे बड़ा सवाल यही होता है कि क्या ED किसी के भी ठिकानों पर छापा मार सकती है? अब दिल्ली हाईकोर्ट ने इस बाबत बड़ा आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि ED वैसे लोगों के ठिकानों पर भी छापा मार सकती है, जो मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (PMLA) के तहत आरोपी नहीं है.
ED की शक्तियों के दायरे को और बढ़ाने वाले एक अहम फैसले में दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (PMLA) के तहत रेड उस व्यक्ति के घर या दफ्तर पर भी की जा सकती है, जिसका नाम मामले में आरोपी के रूप में दर्ज नहीं है. जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस मनोज जैन की बेंच ने एक मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि PMLA की धारा 17 के अनुसार, किसी भी व्यक्ति के परिसर की तलाशी ली जा सकती है, अगर इस बात की जानकारी या शक हो कि उसके पास अपराध से कमाई गई रकम (proceeds of crime) है, मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े दस्तावेज हैं या फिर अपराध से जुड़ी संपत्ति है.
कोर्ट ने क्या कहा
कोर्ट ने साफ किया कि पहले कानून में एक प्रावधान था कि तलाशी से पहले शिकायत या रिपोर्ट जरूरी हो, लेकिन यह कभी भी जरूरी नहीं था कि शिकायत उसी व्यक्ति के खिलाफ हो जिसकी तलाशी ली जा रही है. हाईकोर्ट ने कहा कि कई बार कोई व्यक्ति अपराध की रकम या उससे जुड़ी संपत्ति के कब्जे में हो सकता है, लेकिन वह सीधे अपराध में शामिल न हो, फिर भी ऐसी स्थिति में ED तलाशी कर सकती है. कोर्ट के अनुसार, ‘किसी व्यक्ति के पास अपराध की रकम मौजूद हो तो केवल इस आधार पर उसे आरोपी होना जरूरी नहीं, लेकिन तलाशी लेना फिर भी कानूनी है, अगर धारा 17 की शर्तें पूरी होती हैं.’
ट्रिब्यूनल का आदेश रद्द
हाईकोर्ट ने यह फैसला एक मामले की सुनवाई के दौरान सुनाया, जिसमें ED ने 2016 में अमलेंदु पांडे के घर से नकदी और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए थे. अमलेंदु पांडे मनी लॉन्ड्रिंग के मुख्य आरोपी हसन अली खान के सहायक बताए जाते थे, लेकिन पांडे का नाम 2011 की शिकायत में आरोपी के तौर पर नहीं था. बाद में ट्रिब्यूनल ने ED को पांडे की जब्त संपत्ति डिफ्रीज (छोड़ने) का निर्देश दिया था. ED ने इसी आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी और कोर्ट ने ट्रिब्यूनल का आदेश रद्द कर दिया.
अटैचमेंट और तलाशी में फर्क
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि संपत्ति अटैच करने के लिए पहले से शिकायत और तत्काल कार्रवाई की जरूरत होती है, क्योंकि रकम छुपाए या हटाए जाने की आशंका रहती है. लेकिन तलाशी और जब्ती (search & seizure) के लिए ऐसी पूर्व शर्त आवश्यक नहीं है. यह फैसला भविष्य में ED की तलाशी कार्रवाइयों को और कानूनी मजबूती देने वाला माना जा रहा है.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
November 23, 2025, 09:14 IST

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