Explainer: सरकार हमारे आधार डेटाबेस से क्या करती है, ये कहां रखा जाता है

7 hours ago

देश के 1.3 करोड़ यानि 130 करोड़ लोगों का संवेदनशील डेटा आधार के जरिए सरकार के पास है. इस डेटा का सरकार करती है. इसे कैसे रखती है. इसकी सुरक्षा कैसे होती है. अगर ये लीक हो जाए तो क्या हो सकता है.

देश में सबसे बड़ा डेटाबेस आधार का है. इसमें देश के हर शख्स की तकरीबन हर जानकारी होती है. ये ऐसा डेटाबेस है, जो बहुत सी चीजों में इस्तेमाल होता है. सरकार आधार डेटाबेस से कई तरह की जानकारी और सेवाओं को एक्सेस और नियंत्रित करती है, लेकिन कुछ सीमाएं और नियम भी होते हैं.

आधार डेटाबेस को UIDAI (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) द्वारा नियंत्रित किया जाता है. सरकार एक मकसद से इसे करीब डेढ़ दशक पहले लेकर आई थी. धीरे धीरे देश की ज्यादातर सेवाओं और चीजों में आधार जरूरी हो गया है. इसका मतलब ये भी हुआ कि जहां जहां आधार का इस्तेमाल हम आप और हर कोई करता है. वो आधार के डेटाबेस में जुड़ता जाता है. जिससे हर व्यक्ति की जानकारी भी और बड़ी होती जाती है.

सरकार आधार डेटाबेस से क्या कर सकती है

1. पहचान की पुष्टि – सरकारी योजनाओं और सेवाओं में लाभार्थी की पहचान को सुनिश्चित करने के लिए बायोमेट्रिक या OTP आधारित ऑथेंटिकेशन. जैसे – राशन, LPG सब्सिडी, मनरेगा भुगतान, पेंशन, छात्रवृत्ति आदि

2. डुप्लीकेट और फर्जी लाभार्थियों को रोकना – एक व्यक्ति को दो या ज्यादा बार एक ही योजना का लाभ ना मिले, इसके लिए आधार आधारित पहचान का इस्तेमाल. ये डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर को पारदर्शी बनाता है.

3. केवाईसी यानि Know Your Customer – बैंक, मोबाइल कंपनियां और दूसरी सेवाएं e-KYC के ज़रिए आपकी पहचान की पुष्टि करती हैं. यह कागज़ी दस्तावेज़ों की ज़रूरत को कम करता है.

4. डेटा लिंक करना – आधार को पैन कार्ड, बैंक अकाउंट, मोबाइल नंबर, वोटर ID से लिंक किया जाता है ताकि पारदर्शिता और ट्रैकिंग बनी रहे.

5. जनसंख्या और योजना विश्लेषण – योजनाओं की योजना बनाने और निगरानी करने में आधार के जरिए डेटा का उपयोग, जैसे कि कितने लोगों ने आधार आधारित सुविधा ली.

सरकार क्या नहीं कर सकती

1. आपकी व्यक्तिगत जानकारी देखना – UIDAI के अनुसार, कोई भी सरकारी विभाग या संस्था आपकी बायोमेट्रिक जानकारी (फिंगरप्रिंट, आईरिस) नहीं देख सकती, केवल उसका इस्तेमाल “हां” या “ना” जवाब में पहचान पुष्टि के लिए होता है.

2. बिना आपकी सहमति के डेटा शेयर करना – आधार अधिनियम के तहत, किसी की जानकारी को सिर्फ “आवश्यक” और “न्यायोचित” कारण से ही एक्सेस किया जा सकता है.

3. निगरानी या ट्रैकिंग करना – UIDAI का कहना है कि आधार नंबर से किसी की लोकेशन ट्रैकिंग या हरकतों की निगरानी संभव नहीं है. हालांकि कुछ विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि अगर सिस्टम दुरुपयोग हो, तो यह संभव हो सकता है.

आधार डेटाबेस में क्या-क्या होता है

आपका नाम, जन्मतिथि, लिंग, पता, मोबाइल नंबर, ईमेल ID, बायोमेट्रिक्स (फिंगरप्रिंट, आईरिस स्कैन), फोटो, पैन कार्ड/बैंक अकाउंट से लिंक. आधार डेटा एन्क्रिप्टेड रहता है.
सुप्रीम कोर्ट ने आधार का उपयोग सीमित करने का निर्देश दिया था. बकौल उसके आधार का इस्तेमाल केवल सरकारी योजनाओं, आयकर, और PAN के लिए ही अनिवार्य रखा जाए. लेकिन ऐसा होता नहीं. आजकल हर सेवा में तकरीबन आधार का इस्तेमाल अनिवार्य हो चुका है.

अगर आधार आधारित डेटा लीक हो जाए तो…

UIDAI को शिकायत दर्ज करें- UIDAI की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं: https://uidai.gov.in. वहां “File a Complaint” सेक्शन में जाकर शिकायत दर्ज करें. वैसे इसका टोल फ्री नंबर 1947 और ईमेल (help@uidai.gov.in) भी है. अगर आपको लगता है कि आपके फिंगरप्रिंट या आईरिस स्कैन से धोखाधड़ी हो सकती है तो UIDAI की वेबसाइट पर जाएं “Lock/Unlock Biometrics” विकल्प चुनें. OTP से लॉगिन करें और अपनी बायोमेट्रिक जानकारी को लॉक कर दें.

क्या डेटा लीक पर UIDAI पर केस किया जा सकता है?

हां, अगर UIDAI या किसी अधिकृत संस्था की लापरवाही से डेटा लीक हुआ है, तो आधार अधिनियम की धारा 37, 38, 43 के तहत वे जिम्मेदार माने जा सकते हैं.

सरकार या UIDAI पर आधार डेटा लीक की वजह से कई मुकदमे और अदालत में याचिकाएँ दर्ज की गई हैं. जिसके केस मुख्य रूप से दिल्ली उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट में केस चल रहे हैं. जिसमें UIDAI से डेटा लीक के कारण होने वाले नुकसान के लिए मुआवजा और डेटा डिलीट करने की मांग की गई है. हालांकि UIDAI ने अपने जवाब में कहा है कि कोई लीक्स नहीं हुई और सिस्टम पूरी तरह “फ़ूल-प्रूफ” है.

कुछ मुकदमों में आधार डेटा के निजी प्रयोग और संवैधानिक सीमाओं को चुनौती दी गई. विशेष तौर पर Section 57 के तहत प्राइवेसी का उल्लंघन करने वाली कंपनियों को आधार डेटा प्रयोग की अनुमति देने पर सवाल उठाये गए.

कहां रखा जाता है आधार डेटा और कैसे सुरक्षा

आधार डेटा भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) द्वारा संचालित सेंट्रल आइडेंटिटीज डेटा रिपॉजिटरी (CIDR) में स्टोर किया जाता है. जिसे देश भर में UIDAI के डेटा सेंटरों में रखा जाता है. ये डेटा सेंटर अत्याधुनिक तकनीकी बुनियादी ढांचे के साथ बनाए गए हैं. इनकी जगह गोपनीय है ताकि इनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. ये डेटा स्टोर सेंटर भारत में ही हैं.

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