Israel-Iran conflict: ईरान और इजरायल में जंग छिड़ी हुई है. दोनों तरफ से हवाई हमले हो रहे हैं. ईरानी मिसाइल अटैक से इजरायल में अमेरिकी दूतावास को भी नुकसान पहुंचा है. तेल अवीव का आसमान फिलहाल सेफ नहीं है. उधर, ईरान के कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को इजरायल मौत की नींद सुला चुका है. टेक्नोलॉजी के दम पर जोश में दिख रहे इजरायल को बस एक बात की आशंका जरूर सता रही होगी. निश्चित रूप से वो परमाणु नहीं है क्योंकि ईरान अभी वहां तक पहुंच नहीं पाया था. फिर वो चीज क्या है?
दरअसल, इजरायल को जिस चीज की आशंका 24 घंटे सता रही होगी वो ईरान का आखिरी दांव या कहें ब्रह्मास्त्र है. इस बीच, ईरान में अचानक भूकंप आने की खबर आई तो अटकलें लगाई जाने लगीं कि कहीं युद्ध के समय में तेहरान परमाणु परीक्षण तो नहीं करने लगा. खैर, ईरान का आखिरी दांव इजरायल को घेरकर जमीनी हमला हो सकता है. हां, पहले भी ऐसा हो चुका है जब अरब के कई देशों ने मिलकर इजरायल पर हमला बोला था.
1967 में अरब-इजरायल युद्ध लड़ा गया तो यह 6 दिन तक चला था. इजरायल के आसपास के लगभग सभी देशों से उसकी दुश्मनी है. ऐसे में तब मिस्र, सीरिया और जॉर्डन ने मिलकर लड़ाई लड़ी थी. अब 2025 में अगर ईरान को लगा कि वह कमजोर पड़ रहा है तो वह जमीनी लड़ाई में उतर सकता है. हालांकि एक्सपर्ट कह रहे हैं कि इजरायल जमीनी लड़ाई नहीं चाहेगा.
जमीनी हमला हुआ तो...
इजरायल की ताकत उसकी एयरफोर्स और गाइडेड मिसाइलें हैं जिसे वह बड़े आराम से दाग कर ईरान में तबाही मचा सकता है. उसके पास ईरान के लगभग सभी ठिकानों पर हवाई हमले करने की क्षमता है. अब तक कई एटमी ठिकाने, सैन्य अड्डे और परमाणु वैज्ञानिकों को इजरायल चुन-चुनकर मार चुका है. वैसे, इजरायल से ईरान की दूरी 2100 किमी से ज्यादा है.
ईरान जरूर चाहेगा
हां, क्योंकि ईरान के पास इजरायल से कहीं बड़ी सेना है. उसके पास जमीनी हथियार भी हैं. इजरायल का तीन तरफ से अपने दुश्मनों- इराक, जॉर्डन और सीरिया से घिरा होना ईरान को आक्रमण के लिए प्रोत्साहित कर सकता है. जॉर्डन का स्टैंड क्लियर नहीं लेकिन बाकी दो देशों की मदद से ईरान इजरायल को घेर सकता है.
इजरायल के साथ अमेरिका, यूके, फ्रांस, जर्मनी होंगे. मिडिल ईस्ट के मुस्लिम देश जैसे सऊदी अरब, मिस्र, जॉर्डन, बहरीन शिया-सुन्नी की लड़ाई के चलते इजरायल का साथ दे सकते हैं. ईरान को चीन और रूस से समर्थन मिल सकता है. हिजबुल्ला भी उसके साथ होगा. हूतियों के कारण यमन भी ईरान के साथ आएगा. सीरिया, इराक ही नहीं नॉर्थ कोरिया भी ईरान का साथ दे सकता है. भारत किसी के साथ खुलकर नहीं आना चाहेगा क्योंकि उसके दोनों के साथ अच्छे रिश्ते हैं.