Last Updated:December 16, 2025, 11:59 IST
Jammu & Kashmir Security: पहलगाम आतंकी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा हालातों की बारीकी समीक्षा शुरू हो गई है. बढ़ते खतरे और हालिया पाकिस्तानी गोलाबारी को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू और कश्मीर प्रशासन से अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा से सटे जिलों में अतिरिक्त बंकरों की जरूरत का जमीनी आकलन मांगा है. इसके बाद जम्मू, सांबा, कठुआ, राजौरी, पुंछ, बारामूला और कुपवाड़ा जैसे सीमावर्ती जिलों में जिला प्रशासन ने सर्वे शुरू कर दिया है. आकलन के आधार पर बंकरों के निर्माण और मरम्मत का प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाएगा.
Jammu & Kashmir Security: पहलगाम आतंकी अटैक के बाद जम्मू-कश्मीर में सिक्योरिटी सीनारियो पूरी तरह बदल गया है. बॉर्डर पर लगातार बढ़ता खतरा और हालिया घटनाओं को देखते हुए अब सिर्फ फोर्स डिप्लॉयमेंट ही नहीं, बल्कि सिविलियन सेफ्टी को भी सिक्योरिटी प्लानिंग का अहम हिस्सा बनाया जा रहा है. इसी कड़ी में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से सीमावर्ती इलाकों में अतिरिक्त बंकरों की जरूरत का ग्राउंड असेसमेंट मांगा है.
सूत्रों के मुताबिक, गृह मंत्रालय के लेटर के बाद जम्मू और कश्मीर के दोनों संभागों के डिविजनल कमिश्नर्स को क्लियर इंस्ट्रक्शन दिए गए हैं. उन्हें अपने-अपने जिलों में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट्स के जरिए बंकरों की संख्या, कंडीशन और क्वालिटी का डिटेल सर्वे करवानने के लिए कहा गया है. खास बात यह है कि यह कवायद सिर्फ कागजों नहीं होगी, बल्कि मौजूदा रियल थ्रेट परसेप्शन को ध्यान में रखकर की जाएगी. इस पूरी सिक्योरिटी ड्राइव की बैकग्राउंड में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुई पाकिस्तानी फायरिंग और शेलिंग को माना जा रहा है.
रियल थ्रेट परसेप्शन को ध्यान में रखकर पूरी होगी कवायद
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, राजौरी, पुंछ और जम्मू जिलों के कई रिहायशी इलाकों को पहली बार पाकिस्तान की तरह से हुई इंटेंस शेलिंग का सामना करना पड़ा. ऐसे कई इलाके सामने आए हैं, जहां पहले बंकरों की जरूरत नहीं समझी जाती थी, लेकिन अब थ्रेट परसेप्शन पूरी तरह बदल चुका है. प्रशासन इस बार इंडिविजुअल बंकर और कम्युनिटी बंकर दोनों पर फोकस कर रहा है. डेंस पॉपुलेशन वाले गांवों और कस्बों में कम्युनिटी बंकरों का प्रपोजल तैयार किया जाएगा, ताकि किसी भी इमरजेंसी सिचुएशन में ज्यादा से ज्यादा लोग सेफ रह सकें.
वहीं, कम आबादी वाले बॉर्डर एरिया में इंडिविजुअल बंकरों को प्रायोरिटी दी जा सकती है. एक अहम फैक्ट यह भी सामने आया है कि जिन गांवों में पहले से बंकर मौजूद थे, वहां हालिया गोलाबारी के बावजूद माइग्रेशन नहीं हुआ है. लोगों ने उन्हीं बंकरों में शरण ली, जिनका इस्तेमाल फरवरी 2021 के सीजफायर एग्रीमेंट के बाद लगभग बंद हो गया था. इससे बंकरों की लाइफ-सेविंग इंफ्रास्ट्रक्चर के तौर पर अहमियत एक बार फिर साबित हुई है.
जर्जर हो चुके बंकरों की भी तैयार की जा रही है लिस्ट
सूत्रों के अनुसार, आंकलन के दौरान पुराने और जर्जर हो चुके की अलग से लिस्ट भी तैयार की जा रही है. अगस्त–सितंबर में हुई भारी बारिश से कई बंकर क्षतिग्रस्त हो गए थे. प्रशासन इनकी रिपेयर और स्ट्रेंथनिंग के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से अलग फंड की मांग करेगा. जम्मू-कश्मीर के सात बॉर्डर डिस्ट्रिक्ट जम्मू, सांबा, कठुआ, राजौरी, पुंछ, बारामूला और कुपवाड़ा में यह कवायद एक साथ चल रही है. डीएम सिक्योरिटी एजेंसियों के साथ कोऑर्डिनेशन में तय करेंगे कि बंकर कहां और किस टाइप के होने चाहिए.
आकलन पूरा होने के बाद डिटेल्ड प्रपोजल केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा जाएगा. बंकरों का निर्माण सिक्योरिटी रिलेटेड एक्सपेंडिचर स्कीम के तहत किया जाएगा, ताकि भविष्य में किसी भी फ्यूचर इमरजेंसी में सीमावर्ती आबादी को ज्यादा से ज्यादा सुरक्षा मिल सके.
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Anoop Kumar MishraAssistant Editor
Anoop Kumar Mishra is associated with News18 Digital for the last 6 years and is working on the post of Assistant Editor. He writes on Health, aviation and Defence sector. He also covers development related to ...और पढ़ें
First Published :
December 16, 2025, 11:40 IST

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