OPINION: नक्सलविरोधी अभियान में जवानों की सुरक्षा को अमित शाह की खास रणनीति

1 month ago

Anti-Naxal operations: नक्सलियों के गढ़ में पिछले पांच सालों में 289 सुरक्षा बलों के कैंप बनाए जा चुके हैं. 11 और कैंप का निर्माण चल रहा है जिसके बाद कुल कैंप की तादाद जो पिछले 5 सालों में बने हैं वह 300 हो जाएगी. इन कैंप में एक बात का खास ध्यान रखा जा रहा है. जवानों की सुरक्षा सर्वोपरि हो और इसी को ध्यान में रखते हुए काम का निर्माण किया जा रहा है.

सुरक्षा बलों के कैंप को निशाना बनाते थे नक्सली

वहां वाहनों को लगाया जा रहा है और हथियारों का इस्तेमाल किया जा रहा है. सबसे पहले बात करते हैं नक्सलियों की ओर से जो लगातार शेलिंग की जाती है सुरक्षाबलों के काम को निशाना बनाकर उसकी, देसी बैरल लांचर से नक्सली सुरक्षा बलों के कैंप को निशाना बनाते हैं जिसका मकसद होता है जवानों की मौत और काम को नुकसान पहुंचाना लेकिन अब इसकी काट निकल ली गई है. सुरक्षा बलों के कैंप के आसपास जाली लगा दी गई है. जैसे ही शेलिंग की जाती है वह हमारे देश के जवानों के इलाके में कितने से पहले इन जालियों में फंस जाती है और धमाका नहीं कर पाती है तो यह उनका बेहतर सुरक्षा कवच साबित हो रहा है.

ड्रोन की तैनाती कर दी जा रही जवानों को सुरक्षा

दूसरी जो महत्वपूर्ण चीज है ड्रोन की तैनाती.. करीब 18 ऐसे सुरक्षा बलों के कैंप है जो कि नक्सलियों के इलाके में हैं. यहां पर ड्रोन के जरिए नक्सलियों को निशाना बनाया जाता है. ये ड्रोन लाइटवेट हैं जो 5 किलो तक का भार उठा सकते हैं और हैवीवेट ड्रोन हैं जो 10 किलो तक का भार उठा सकते हैं. पिछले 6 महीना में सुरक्षा बलों ने इनका जो इस्तेमाल किया है, उसकी बहुत ही ज्यादा सार्थक परिणाम मिले हैं.

तीसरी नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन में जो महत्वपूर्ण चीज सुरक्षा बल इस्तेमाल कर रहे हैं, वह है नक्सलियों के माइंस वाली साजिश को नाकाम करने की तरकीब. आज नक्सल के खिलाफ अभियान में जवानों के हताहत होने की संख्या बहुत कम है तो इसके पीछे है अत्याधुनिक माइंस प्रोटेक्टर वाहन. इस गाड़ी में 100 किलो आरडीएक्स का कोई असर नहीं होता और जंगल, पानी जैसी जगहों पर तेजी के साथ ऑपरेशन को करने में समक्ष है ये माइंस प्रोटेक्टर वाहन.

बख्तरबंद वाहनों से ऑपरेशनों में दी जा रही सुरक्षा

डीआरडीओ द्वारा बनाए गए बख्तरबंद वाहन से ऑपरेशन में मदद मिल रही है. ड्रोन एरिया सैनिटाइज करने में बड़ी मदद कर रहे हैं. इसकी वजह से सुरक्षा बलों का नुकसान 73 फीसदी तक कम हुआ है. सुरक्षा बलों को ऐसे एरिया वेपन मुहैया कराए गए हैं जिनकी रेंज 300 मीटर से लेकर पांच किलोमीटर तक है.

Anti-Naxal operations, Amit Shah

ड्रोन लाइटवेट हैं जो 5 किलो तक का भार उठा सकते हैं

एक और हम चीज जो सुरक्षा की दृष्टि से की गई है वह है जवानों को स्नाईपर गन मुहैया करवाना. संवेदनशील कैंप में जो कैंप बनी है उसमें 800 मीटर रेंज तक के स्नाईपर गन इंस्टॉल की गई है, आने वाले दिनों में 1200 मीटर रेंज तक की स्नाइपर गन को सुरक्षा बलों के कैंप में इंस्टॉल करने की योजना है.

कुल मिलाकर आने वाले दिनों में जो सुरक्षा बल इन संवेदनशील इलाकों में तैनात हैं वे नक्सलियों के खिलाफ पुख्ता तरीके से लोहा ले सकें, उनके लिए और भी परियोजनाओं को विकसित किया जा रहा है और उनके इलाज के लिए बेहतरीन अस्पताल का भी निर्माण इन इलाकों में प्रस्तावित है.

Tags: Amit shah, Naxal

FIRST PUBLISHED :

December 17, 2024, 16:15 IST

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