Last Updated:May 18, 2025, 22:01 IST
Jaishankar Ajit Doval Diplomacy: एस जयशंकर और अजीत डोभाल ने अफगानिस्तान और ईरान से बातचीत कर पाकिस्तान की घेराबंदी की तैयारी की है. चाबहार पोर्ट और INSTC प्रोजेक्ट से भारत की रणनीतिक साझेदारी मजबूत हुई है.

विदेश मंत्री एस जयशंकर और अजित डोभाल अब पाकिस्तान की बर्बादी में जुट गए हैं.
हाइलाइट्स
जयशंकर-डोभाल ने अफगानिस्तान और ईरान से बातचीत की.भारत ने चाबहार पोर्ट और INSTC प्रोजेक्ट में सहयोग बढ़ाया.भारत की आक्रामक कूटनीति से पाकिस्तान की घेराबंदी.‘ऑपरेशन सिंदूर’ अभी खत्म नहीं हुआ है… यह मैसेज पाकिस्तान को परेशान कर ही रहा था कि विदेश मंत्री एस जयशंकर और एनएसए अजीत डोभाल ने उसे और दर्द देने की तैयारी कर ली है. दोनों पड़ोसी देशों के जरिये पाकिस्तान की घेराबंदी में जुट गए हैं. दो दिन पहले जयशंकर ने अफगानिस्तान के विदेश मंत्री से फोन पर बात की थी और अब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने ईरान के एनएसए डॉ. अली अकबर अहमदियान से लंबी बातचीत की है. इसकी जानकारी खुद ईरान ने दी है. यह पाकिस्तान को परेशान करने वाला है.
ईरान के विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘अजीत डोभाल ने क्षेत्र में ईरान की रचनात्मक भूमिका की सराहना की और चाबहार पोर्ट और इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) के विकास में सहयोग बढ़ाने की भारत की रुचि जाहिर की. उन्होंने ईरान को भारत के निरंतर समर्थन और मदद के लिए धन्यवाद भी दिया. डॉ. अहमदियान ने भी भारत-ईरान के पुराने संबंधों का जिक्र करते हुए भारत के साथ हर पल खड़े होने का भरोस दिया. संदेश साफ था कि भारत और ईरान का रिश्ता क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के हित में है.ईरान की सहायता और मदद के लिए अजीत डोभाल ने धन्यवाद किया. इस मौके पर अली अकबर ने क्षेत्रीय शांति के लिए द्विपक्षीय सहयोग और सामरिक प्रोजेक्ट को जरूरी बताया.’
क्यों खास है ये मुलाकात
1. सामरिक मामलों के जानकारों का मानना है कि यह पाकिस्तान को अलग-थलग करने की भारत की मल्टीलेयर स्ट्रेटजी का हिस्सा है. अफगानिस्तान में पहले से ही तालिबान सरकार से पाकिस्तान के रिश्ते तनावपूर्ण हैं. वहीं ईरान के साथ भी पाकिस्तान के संबंधों में विश्वास की भारी कमी रही है. खासतौर पर सीमा पार आतंकवाद और सुन्नी-शिया मसलों को लेकर दोनों देशों के बीच जबरदस्त खींचतान है.
2. भारत ने अब इन दोनों देशों के साथ अपने रिश्तों को तरोताजा कर न सिर्फ रणनीतिक साझेदारी मजबूत की है बल्कि पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा बड़ा झटका भी दे दिया है. चाबहार पोर्ट और INSTC जैसे प्रोजेक्ट पाकिस्तान को बायपास कर भारत को मध्य एशिया और यूरोप तक पहुंच दिलाते हैं. इससे पाकिस्तान की पारंपरिक रणनीतिक अहमियत भी कमजोर पड़ती है.
3. सूत्रों के अनुसार, भारत आने वाले दिनों में अफगानिस्तान में मानवीय सहायता और ईरान में रणनीतिक निवेश को और गति देगा, जिससे पाकिस्तान की भूराजनीतिक हैसियत को और चोट पहुंचेगी. डोभाल और जयशंकर की स्ट्रेटजी साफ दिखा रही है कि अब भारत रक्षात्मक नहीं, आक्रामक कूटनीति के रास्ते पर है.
Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ें
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