PHOTO: कैसी दिखती थी पहली दिल्ली मेट्रो? 23 सालों में क्या-क्या बदल गया...

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Last Updated:December 26, 2025, 14:49 IST

दिल्ली में मेट्रो को आए 23 साल बीत चुके हैं. ऐसे ही दिसंबर की ठंड में साल 2002 में दिल्ली में मेट्रो की शुरुआत हुई थी. यात्रा की जरूरत न होने पर भी उस दौरान बहुत सारे लोग भारतीय रेलों से अलग इस साफ-सुथरी, आधुनिक ट्रेन का आनंद उठाने के लिए भी इसमें सफर करने आते थे. दिसंबर 24, 2002 में पहली मेट्रो ट्रेन का उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था. हालांकि तब से लेकर अब तक दिल्ली मेट्रो में काफी कुछ बदल चुका है. आइए तस्वीरों के माध्यम से देखते हैं कि दिल्ली मेट्रो इन 23 सालों में कहां से कहां पहुंच गई है, और आप कितनी अपडेटेड मेट्रो ट्रेन में सफर कर रहे हैं.

ऐसे ही दिसंबर की एक ठंडी सुबह में दिल्ली में मेट्रो की शुरुआत हुई थी. साल 2002 में 4 डिब्बों से शुरू हुई मेट्रो देखते-ही देखते न केवल 8 कोच की लंबी रेलगाड़ी बन गई बल्कि भारत की सबसे सफल जन परिवहन प्रणाली भी बन गई. हाल ही में दिल्ली मेट्रो की गौरवशाली यात्रा के 23 वर्ष पूरे हुए हैं.

ऐसे ही दिसंबर की एक ठंडी सुबह में दिल्ली में मेट्रो की शुरुआत हुई थी. साल 2002 में 4 डिब्बों से शुरू हुई मेट्रो देखते-ही देखते न केवल 8 कोच की लंबी रेलगाड़ी बन गई बल्कि भारत की सबसे सफल जन परिवहन प्रणाली भी बन गई. हाल ही में दिल्ली मेट्रो की गौरवशाली यात्रा के 23 वर्ष पूरे हुए हैं.

आपको बता दें कि दिल्ली मेट्रो नेटवर्क पर चलने वाली पहली ट्रेन TS#01 थी जो आज भी उन ट्रेनों के विशाल बेड़े में शामिल है जो हर दिन लाखों लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाती हैं. हालांकि इस ट्रेन को कई बार अपग्रेड किया जा चुका है. इसका उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था.

आपको बता दें कि दिल्ली मेट्रो नेटवर्क पर चलने वाली पहली ट्रेन TS#01 थी जो आज भी उन ट्रेनों के विशाल बेड़े में शामिल है जो हर दिन लाखों लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाती हैं. हालांकि इस ट्रेन को कई बार अपग्रेड किया जा चुका है. इसका उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था.

शुरुआत में TS#01 चार कोचों की ट्रेन थी लेकिन यात्रियों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए 2014 में कोचों की संख्या बढ़ाकर छह की गई और फिर 2023 में इसे आठ कोचों की ट्रेन बना दिया गया.अब तक यह लगभग 29 लाख किलोमीटर चल चुकी है और इसने 6 करोड़ से अधिक यात्रियों को सुरक्षित रूप से यात्रा कराई है, साथ ही लगभग 24 लाख बार दरवाजों का संचालन किया गया है.

शुरुआत में TS#01 चार कोचों की ट्रेन थी लेकिन यात्रियों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए 2014 में कोचों की संख्या बढ़ाकर छह की गई और फिर 2023 में इसे आठ कोचों की ट्रेन बना दिया गया.अब तक यह लगभग 29 लाख किलोमीटर चल चुकी है और इसने 6 करोड़ से अधिक यात्रियों को सुरक्षित रूप से यात्रा कराई है, साथ ही लगभग 24 लाख बार दरवाजों का संचालन किया गया है.

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TS#01 मेट्रो ट्रेन का निर्माण दक्षिण कोरिया के MRM कंसोर्टियम द्वारा किया गया था और इसके बाद इसे जहाज के माध्यम से भारत के कोलकाता लाया गया. कोलकाता से इसे भारतीय रेलवे नेटवर्क के जरिए दिल्ली पहुंचाया गया.चार कोच वाली इस ट्रेन की प्रारंभिक लागत लगभग 24 करोड़ रुपये आई थी, जो उस समय काफी ज्यादा थी.

TS#01 मेट्रो ट्रेन का निर्माण दक्षिण कोरिया के MRM कंसोर्टियम द्वारा किया गया था और इसके बाद इसे जहाज के माध्यम से भारत के कोलकाता लाया गया. कोलकाता से इसे भारतीय रेलवे नेटवर्क के जरिए दिल्ली पहुंचाया गया.चार कोच वाली इस ट्रेन की प्रारंभिक लागत लगभग 24 करोड़ रुपये आई थी, जो उस समय काफी ज्यादा थी.

ट्रेन के प्रोपल्शन सिस्टम) के उन्नत डिजाइन ने पुनर्योजी ब्रेकिंग के माध्यम से कुल खपत ऊर्जा का लगभग 40 प्रतिशत तक पुनः उत्पन्न कर कार्बन फुटप्रिंट कम करने में मदद की है.अब तक TS#01 को डीएमआरसी की रखरखाव टीम द्वारा दो बड़े ओवरहॉल से गुजारा गया है.

ट्रेन के प्रोपल्शन सिस्टम) के उन्नत डिजाइन ने पुनर्योजी ब्रेकिंग के माध्यम से कुल खपत ऊर्जा का लगभग 40 प्रतिशत तक पुनः उत्पन्न कर कार्बन फुटप्रिंट कम करने में मदद की है.अब तक TS#01 को डीएमआरसी की रखरखाव टीम द्वारा दो बड़े ओवरहॉल से गुजारा गया है.

समय पर हस्तक्षेप और रखरखाव के कारण यह ट्रेन न्यूनतम अनुबंधित जरूरत 40,000 किलोमीटर की तुलना में 85,000 किलोमीटर का MDBF (विश्वसनीयता विफलता से पहले प्रति ट्रेन किलोमीटर) बनाए रखने में सफल रही है.

समय पर हस्तक्षेप और रखरखाव के कारण यह ट्रेन न्यूनतम अनुबंधित जरूरत 40,000 किलोमीटर की तुलना में 85,000 किलोमीटर का MDBF (विश्वसनीयता विफलता से पहले प्रति ट्रेन किलोमीटर) बनाए रखने में सफल रही है.

वर्ष 2024 में TS#01 का मिड-लाइफ रिहैबिलिटेशन किया गया, जिसमें इसमें बड़े बदलाव किए गए. इसमें नवीनतम IP आधारित PAPIS यानि यात्री घोषणा एवं यात्री सूचना प्रणाली लगाई गई. यात्रियों की सुरक्षा और संरक्षा बढ़ाने के लिए सीसीटीवी से लैस किया गया.

वर्ष 2024 में TS#01 का मिड-लाइफ रिहैबिलिटेशन किया गया, जिसमें इसमें बड़े बदलाव किए गए. इसमें नवीनतम IP आधारित PAPIS यानि यात्री घोषणा एवं यात्री सूचना प्रणाली लगाई गई. यात्रियों की सुरक्षा और संरक्षा बढ़ाने के लिए सीसीटीवी से लैस किया गया.

इस ट्रेन में एकीकृत यात्री आपातकालीन अलार्म भी लगाया गया, ताकि इमरजेंसी में इसे इस्तेमाल किया जा सके. इतना ही नहीं एलसीडी आधारित डायनेमिक रूट मैप और सार्वजनिक सूचना बोर्ड स्टेशनों, दरवाजा खुलने की दिशा तथा सुरक्षा वीडियो की रियल-टाइम जानकारी देने के लिए लगाए गए हैं.

इस ट्रेन में एकीकृत यात्री आपातकालीन अलार्म भी लगाया गया, ताकि इमरजेंसी में इसे इस्तेमाल किया जा सके. इतना ही नहीं एलसीडी आधारित डायनेमिक रूट मैप और सार्वजनिक सूचना बोर्ड स्टेशनों, दरवाजा खुलने की दिशा तथा सुरक्षा वीडियो की रियल-टाइम जानकारी देने के लिए लगाए गए हैं.

मेट्रो ट्रेनों के दरवाजों को और भी ज्यादा अपग्रेड किया गया है. यात्रियों की सुरक्षा के लिए अग्नि पहचान प्रणाली लगाई गई है.ट्रेन की विश्वसनीयता और समयबद्धता में सुधार के लिएरिले पैनल का नवीनीकरण किया गया है. यात्रियों के लिए मोबाइल/लैपटॉप सॉकेट आउटलेट लगाए गए हैं. इसके साथ ही ट्रेनों को सुंदर बनाने के लिए आंतरिक और बाहरी रंगाई फिर की गई है.

मेट्रो ट्रेनों के दरवाजों को और भी ज्यादा अपग्रेड किया गया है. यात्रियों की सुरक्षा के लिए अग्नि पहचान प्रणाली लगाई गई है.ट्रेन की विश्वसनीयता और समयबद्धता में सुधार के लिएरिले पैनल का नवीनीकरण किया गया है. यात्रियों के लिए मोबाइल/लैपटॉप सॉकेट आउटलेट लगाए गए हैं. इसके साथ ही ट्रेनों को सुंदर बनाने के लिए आंतरिक और बाहरी रंगाई फिर की गई है.

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First Published :

December 26, 2025, 14:49 IST

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