Photos: इतिहास बन जाएगा रजिस्टर्ड डाक, पोस्ट कार्ड-अंतर्देशीय तक भूले लोग

8 hours ago

Last Updated:August 03, 2025, 11:18 IST

भारतीय डाक विभाग ने हाल ही में एक बड़ा फैसला लिया है. 1 सितंबर से रजिस्टर्ड पोस्ट सेवा को बंद कर इसे स्पीड पोस्ट के साथ मिला दिया जाएगा. यह कदम डाक सेवाओं को आधुनिक बनाने और तेज, ट्रैक करने योग्य डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है. हालांकि, इस बदलाव ने लाखों भारतीयों के मन में पोस्टकार्ड, अंतर्देशीय और बैरंग पोस्ट की यादें ताजा कर दी हैं. एक वक्त ये पत्र दोस्तों-रिश्तेदारों का हाल-चाल जानने का जरिया हुआ करते थे. प्यार, दोस्ती, परिवार और देश की कहानियों को जोड़ने वाले ये पत्र अब इंटरनेट के इस दौर में इतिहास का हिस्सा बनते जा रहे हैं.

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रजिस्टर्ड पोस्ट सेवा 1854 में शुरू किया गया था. यह महत्वपूर्ण दस्तावेजों, कानूनी नोटिस और कीमती सामानों को सुरक्षित पहुंचाने का प्रतीक थी. यह सेवा डाक विभाग की रीढ़ थी, जिसमें डाकिया रसीद पर हस्ताक्षर करवाकर डिलीवरी की पुष्टि करता था. चाहे शादी का निमंत्रण हो या नौकरी का नियुक्ति पत्र, रजिस्टर्ड पोस्ट हर घर की कहानियों का हिस्सा थी. अब इसे स्पीड पोस्ट के साथ मिलाने का फैसला भावनाओं को उदास करने वाला है, क्योंकि यह सेवा कई पीढ़ियों की यादों का हिस्सा रही है.

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पोस्टकार्ड आम लोगों के लिए संचार का सबसे सस्ता और सुलभ साधन था. 21 नवंबर 1947 को स्वतंत्र भारत का पहला पोस्टकार्ड जारी हुआ, जिसमें तिरंगे के साथ 'जय हिंद' का नारा लिखा था. चाहे बधाई संदेश हो या नाते-रिश्तेदारों को लिखा गया पत्र, पोस्टकार्ड ने अनगिनत कहानियों को जोड़ा.

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इसके अलावा संदेश भेजने का एक और जरिया अंतर्देशीय पत्र (Inland Letter) था. पोस्टकार्ड में लिखी सारी बातें जहां हर कोई पढ़ सकता था, वहीं अंतर्देशीय एक तहदार पत्र था, जिसे खोलने पर ही अंदर लिखी बातें पढ़ी जा सकती थी. इन पत्रों को केवल देश के भीतर भेजा जा सकता था. इसकी अधिकतम वजन सीमा 5 ग्राम थी और इसमें कोई अतिरिक्त कागज या सामग्री नहीं जोड़ी जा सकती थी. दादी-नानी की कहानियों से लेकर प्रेम पत्रों तक, अंतर्देशीय पत्र ने कई रिश्तों को मजबूत किया.

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फिर एक बैरंग पोस्ट भी हुआ करता था. यह पत्र जिसे मिलता उसकी टेंशन बढ़ जाती है. दरअसल यह ऐसे पत्र होते थे, जिसे भेजने वाला बिना टिकट लगाए ही भेज देता था. अब टेंशन यह होती थी, इस पत्र को हासिल करके लिए डाकिये को पैसे देकर छुड़ाना पड़ता था.

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भारत में 1,64,987 डाकघरों का नेटवर्क है, जो दुनिया में सबसे बड़ा है. 1766 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने इसकी शुरुआत की थी. रजिस्टर्ड पोस्ट, पोस्टकार्ड, अंतर्देशीय पत्र और बैरंग पोस्ट ने भारत के हर कोने को जोड़ा. चाहे किसी बेटे का मां को लिखा पत्र हो, सैनिकों के परिवार को भेजा गया संदेश, या फिर पति-पत्नी के बीच की बातें... इन सेवाओं ने लाखों भारतीयों की भावनाओं को आवाज दी.

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रजिस्टर्ड पोस्ट के बंद होने की खबर ने कई लोगों को भावुक कर दिया. इन्हीं में से एक यूजर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, 'रजिस्टर्ड पोस्ट और पोस्टकार्ड मेरी बचपन की यादें हैं. मेरे दादाजी की चिट्ठियां आज भी मेरे पास हैं.' एक अन्य यूजर ने कहा, टयह आधुनिकीकरण जरूरी है, लेकिन इन सेवाओं का जाना एक युग का अंत है.'

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भारतीय डाक विभाग का यह बदलाव डिजिटल युग में एक नई शुरुआत है, लेकिन रजिस्टर्ड पोस्ट, पोस्टकार्ड, अंतर्देशीय पत्र और बैरंग पोस्ट की यादें हमेशा भारतीयों के दिलों में जिंदा रहेंगी. डाक सेवा हमें उस दौर की याद दिलाती है, जब एक चिट्ठी का इंतजार और डाकिए की साइकिल की घंटी दिलों को जोड़ने का काम करती थी.

First Published :

August 03, 2025, 11:18 IST

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