गांव के हाथ में भारत की कमान! 76 फीसदी घरों में बढ़ गया खर्च

6 hours ago

Last Updated:August 03, 2025, 19:01 IST

Rural Inflation Rate : नाबार्ड ने हाल में जारी एक रिपोर्ट में बताया है कि ग्रामीण क्षेत्र की महंगाइ दर जून में काफी कम रही है. इसकी वजह से जून में ग्रामीण क्षेत्र की खपत बढ़ गई और 72 फीसदी से ज्‍यादा घरों में ख...और पढ़ें

गांव के हाथ में भारत की कमान! 76 फीसदी घरों में बढ़ गया खर्चग्रामीण इलाकों में खपत तेजी से बढ़ रही है.

नई दिल्‍ली. भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था गांवों में बसती है, यह कहावत आज के आधुनिक युग में भी उतनी ही महत्‍व रखती है. भारत का ग्रोथ आज भी गांवों के रास्ते से गुजरता है. राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में खुलासा किया है कि देश के 76.6 फीसदी ग्रामीण परिवारों ने खपत में वृद्धि की सूचना दी है, जो उपभोग-आधारित वृद्धि की निरंतर गति को दर्शाता है. इसका मतलब है कि भारत की विकास दर और खपत ग्रामीण इलाकों में तेजी से बढ़ी है.

नाबार्ड ने ‘ग्रामीण आर्थिक स्थिति और धारणा सर्वेक्षण’ (आरईसीएसएस) के जुलाई, 2025 के अंक में बताया है कि गांवों में अब महंगाई की चिंताएं कम हो गई हैं और 78.4 फीसदी से अधिक परिवारों की राय में मौजूदा महंगाई दर 5 प्रतिशत या उससे कम है. यह बेहतर मूल्य स्थिरता को दर्शाता है, जिससे उपभोक्‍ताओं के बीच खपत बढ़ाने में मदद मिलती है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित ग्रामीण मुद्रास्फीति मार्च के 3.25 फीसदी से घटकर अप्रैल में 2.92 फीसदी और मई में 2.59 फीसदी हो गई.

खाने-पीने की चीजों की महंगाई दर कम
नाबार्ड ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि ग्रामीण इलाकों में खाने-पीने की चीजों की महंगाई दर कम हो गई है. यहां खाद्य मुद्रास्फीति भी मई में घटकर 1.36 प्रतिशत पर आ गई है. सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण परिवारों का वित्तीय स्वास्थ्य भी बेहतर हुआ है. ग्रामीण क्षेत्रों के 20.6 प्रतिशत परिवारों ने अधिक बचत होने की सूचना दी है, जबकि 52.6 प्रतिशत ने केवल संगठित क्षेत्रों से ही कर्ज लिया है.

साहूकारों से कर्ज से बना रहे दूरी
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ऋण के विभिन्न असंगठित स्रोतों में से दोस्तों एवं रिश्तेदारों की हिस्सेदारी साहूकारों की हिस्सेदारी से अधिक थी. इसका मतलब है कि ग्रामीण क्षेत्र के लोग अब साहूकारों से कर्ज लेने से दूरी बना रहे हैं. सर्वेक्षण के जुलाई, 2025 के दौर में असंगठित ऋण पर दी जाने वाली औसत ब्याज दर में लगभग 0.30 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. यह रिपोर्ट बताती है कि ग्रामीणों में बैंक जैसे संगठित क्षेत्र से लोन लेने का चलन बढ़ रहा है.

खुदरा महंगाई दर रिकॉर्ड नीचे
पिछले दिनों सरकार की ओर से जारी उपभोक्‍ता आधारित महंगाई दर में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई थी. रिपोर्ट में बताया गया कि जून, 2025 में खुदरा महंगाई दर गिरकर 0.13 फीसदी रह गई, जो मई में 0.39 फीसदी थी. अगर एक साल पहले का आंकड़ा देखें तो जून में खुदरा महंगाई दर 4 फीसदी के आसपास रही थी. सिर्फ खुदरा महंगाई ही नहीं, बल्कि थोक महंगाई के आंकड़े भी जून में काफी नीचे आ गए. जून में थोक महंगाई का आंकड़ा 0.13 फीसदी रहा था.

Pramod Kumar Tiwari

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

August 03, 2025, 19:01 IST

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