Last Updated:April 28, 2025, 15:03 IST
Rafale M Vs F/A-18 Super Hornet: भारतीय नौसेना ने फ्रांसीसी फाइटर जेट राफेल M की डील की है, जिससे 26 विमान खरीदे जाएंगे. राफेल M की नई तकनीक और मेंटेनेंस सुविधा ने इसे F-18 सुपर हॉर्नेट पर प्राथमिकता दिलाई.

भारत ने आज 26 राफेल एम की डील आज साइन कर ली.
Rafale M Vs F/A-18 Super Hornet: भारत ने आखिरकार अपने दशकों पुराने प्यार को सोमवार को अंजाम तक पहुंचा दिया. हां, आप बिल्कुल सही पढ़ करहे हैं. दरअसल भारतीय नौसेना ने अपने एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए फ्रांसीसी फाइटर जेट राफेल एम की डील कर ली. भारत फ्रांस से अपनी नौसेना के लिए कुछ 26 राफेल विमान खरीदेगा. इससे पहले भारत वायुसेना के लिए 36 राफेल विमान खरीद चुका है. राफेल से पहले भारत ने 1980 के दशक में राफेल बनाने वाली कंपनी दसॉल्ट से करीब 50 मिराज-200 विमानों की खरीद की थी. यानी राफेल बनाने वाली कंपनी दसॉल्ट से साथ भारत पुराने समय से मोहब्बत कर रहा है.
भारत ने क्यों चुना राफेल
रिपोर्ट के मुताबिक नौसेना ने दो एयरक्राफ्ट को शॉर्टलिस्ट किया था. एक F-18 सुपर हॉरनेट और दूसरा फ्रांस का राफेल मरीन. दुनिया के सबसे बेहतर नेवल फाइटर F-18 के इस रेस में हारने की सबसे बड़ी वजह इसका 4 दशक पुराना होना था. पिछले 40 साल से ज़्यादा वक्त से अमेरिकी नौसेना अपने एयरक्राफ्ट कैरियर से F-18 सुपर हॉर्नेट के अलग-अलग वर्जन को उड़ा रही है. राफेल बिल्कुल नया एयरक्राफ्ट है. कैटोबार से टेकऑफ करने में माहिर इस F-18 को स्की जंप से टेकऑफ का कोई अनुभव नहीं था.
इस डील में बने रहने के लिए एयरक्राफ्ट में कुछ बदलाव कर स्की जंप में माहिर किया गया था. सारे ट्रायल को पार कर यह आईएनएस विक्रांत से उड़ान भरने के लिए प्रबल दावेदार के तौर पर खुद को स्थापित किया था. आकार में यह बड़ा जरूर है लेकिन इसके विंग फोल्ड होने के चलते आसानी से लिफ्ट के जरिए हैंगर से फ्लाइंग डेक तक पहुंच सकते हैं. हालांकि कीमत में F-18 राफेल से सस्ता है, बावजूद इसके भारत ने नई तकनीक के घातक एयरक्राफ्ट को चुना.
राफेल की खासियत
राफेल M बिलकुल नया एयरक्राफ्ट है और नई तकनीक से लैस है. भारत के सबसे भरोसेमंद पार्टनर के तौर पर फ्रांस को जाना जाता है. राफेल M ने अपनी खासियत बेहतर ढंग से दिखाया. एयरक्राफ्ट कैरियर पर ऐसे एयरक्राफ्ट रखे जाते हैं जिनके विंग फोल्ड हो जाते हैं. राफेल M के विंग फोल्ड नहीं होते, लेकिन ट्रायल के दौरान राफेल M ने स्की जंप से टेकऑफ और एरोस्टर लैंडिंग वायर के जरिए आसानी से लैंड करने की अपनी महारत को दिखाया. एक और खास बात यह है कि भारतीय वायुसेना में भी 36 राफेल मौजूद हैं और उनकी मेंटिनेंस फैसिलिटी भी सेटअप की जा चुकी है. तो अगर किसी भी तरह की मेंटेनेंस की जरूरत राफेल M को हुई तो उसके लिए नई फैसिलिटी तैयार करने की जरूरत नहीं होगी.
इसके अलावा डसॉल्ट एविएशन के मिराज 2000 भी वायुसेना में शामिल हैं. मेंटेनेंस के ऑप्शन राफेल M के पास पहले से ही मौजूद हैं, लेकिन F-18 सुपर हॉर्नेट के लिए नई फैसिलिटी तैयार करनी होगी. नौसेना के एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रमादित्य से मिग 29 K को ऑपरेट किया जा रहा है. वायुसेना भी मिग 29 को शामिल है. ऐसे में अगर किसी भी तरह की मेंटेनेंस की जरूरत होती है तो मिग 29 K को उनकी फैसिलिटी में दुरुस्त किया जाता है.
खासियतों की भरमार
समंदर के ऊपर उड़ान भरने वाले नेवी के फाइटर एयरक्राफ्ट वायुसेना के फाइटर से अलग होते हैं. राफेल भारतीय वायुसेना के पास भी है और अब नौसेना के पास भी होंगे. इसकी सबसे बड़ी खासियत है इसकी रेंज और शॉर्ट रनवे से फुल लोड के साथ टेकऑफ लेना. राफेल 2200 किलोमीटर प्रति घंटा की टॉप स्पीड पर उड़ान भर सकता है. एक बार टेकऑफ लेने के बाद यह 37000 किलोमीटर तक की उड़ान भर सकता है. यह 57000 फीट की ऊंचाई तक आसानी से जा सकता है. राफेल जेट फ्रांस के डसॉल्ट एविएशन द्वारा बनाए गए हैं. यह ट्विन इंजन मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट है. एयर टू एयर और एयर टू सर्फेस मार करने वाली मिसाइलों से लैस है. एंटी शिप मिसाइलें दागने में माहिर है. हवा में ईंधन भरने की क्षमता इसकी मारक क्षमता में इजाफा कर देती है.
First Published :
April 28, 2025, 15:03 IST