Last Updated:June 19, 2025, 18:50 IST
Science News: क्या भारत की जमीन वाकई दो हिस्सों में टूट सकती है? क्या भविष्य में हमारे शहर, नदियां और पहाड़ अब वैसे नहीं रहेंगे जैसे हैं? यह कोई फिल्मी कल्पना नहीं बल्कि अमेरिका की एक नई वैज्ञानिक रिपोर्ट का दावा है. रिपोर्ट ने भारत समेत पूरे एशिया को चिंता में डाल दिया है. (सभी फोटो AI)

वैज्ञानिकों के अनुसार भारत की जमीन जिस टेक्टोनिक प्लेट पर टिकी है वो अब भीतर से टूटने लगी है. इसका असर आने वाले सालों में विनाशकारी भूकंप, मौसमों में बदलाव और जमीन के नक्शे में बड़ा परिवर्तन ला सकता है.

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के भूभौतिकी विशेषज्ञ साइमन क्लेम्परर और उनकी टीम ने एक चौंकाने वाली प्रक्रिया को पहचाना है जिसे उन्होंने ‘डिलेमिनेशन’ नाम दिया है. इसका मतलब है कि भारतीय टेक्टोनिक प्लेट का भारी, घना हिस्सा अब धीरे-धीरे टूटकर धरती की गहराई में समा रहा है.

यह ऐसा है जैसे हमारी जमीन का एक हिस्सा चुपचाप धरती के अंदर खिसक रहा हो. अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन की नई स्टडी के मुताबिक पिछले 60 मिलियन साल से भारतीय प्लेट उत्तर की ओर खिसकती जा रही है. इसी टक्कर की वजह से हिमालय जैसे पर्वत बने, लेकिन अब यह टक्कर खतरनाक मोड़ ले रही है.

शोध बताता है कि प्लेट के भारी हिस्से अब खुद को सहन नहीं कर पा रहे, और टूटकर नीचे जा रहे हैं. ये प्रक्रिया धीमी है लेकिन इसके प्रभाव बड़े हो सकते हैं. वैज्ञानिक मानते हैं कि हिमालय और उससे लगे उत्तर भारत के इलाके सबसे ज्यादा संवेदनशील हैं. वहां पहले से ही जमीन के नीचे भारी दबाव मौजूद है.

अगर प्लेटों की यह टूटन तेज होती है तो उत्तर भारत, नेपाल, तिब्बत और पूर्वोत्तर भारत में भूकंप के झटकों की तीव्रता और आवृत्ति बढ़ सकती है. उत्तर भारत पहले से ही एक सिस्मिक जोन है. अब यह और संवेदनशील हो गया है.

प्लेट टूटने से जमीन का आकार, नदियों की दिशा, और पहाड़ों की स्थिति भी बदल सकती है. जमीन की ऊंचाई और संरचना में बदलाव से मानसून और जलवायु चक्र भी प्रभावित हो सकते हैं.

बड़े शहर, जैसे दिल्ली, देहरादून, गुवाहाटी, या शिलॉन्ग ऐसे इलाकों में हैं जहां सतर्क रहना बेहद ज़रूरी होगा. वैज्ञानिक मानते हैं कि यह प्रक्रिया शुरुआती दौर में है. यानी समय लेकिन इसे लेकर एक्शन जरूरी है.

भारत को जरूरत है सतत मॉनिटरिंग की. साथ ही भूकंप सुरक्षा मानकों को कड़ाई से लागू करने की जरूर है. इसके साथ ही जनता को भी इस स्थिति के लिए तैयार करने की जरूरत है.