Last Updated:June 19, 2025, 18:24 IST
INDIAN NAVY WARSHIP: तमाल के शामिल होने के बाद भारतीय नौसेना की ताकत में जबरदस्त इजाफा होगा. 1 जुलाई के बाद नौसेना के बेड़े में 14 फ्रिगेट हो जाएंगे. इसके अलावा भारतीय नौसेना के पास 10 डिस्ट्रॉयर हैं और 10 कोरव...और पढ़ें

नौसेना का आखिरी इंपोर्टेड वॉरशिप
हाइलाइट्स
INS तमाल 1 जुलाई को नौसेना में शामिल होगा.तमाल ब्रह्मोस मिसाइल से लैस है.INS तमाल नौसेना का आखिरी इंपोर्टेड वॉरशिप होगा.INDIAN NAVY WARSHIP: नौसेना के इतिहास में 1 जुलाई 2025 एक खास दिन के रूप में दर्ज हो जाएगा. इस तारीख के बाद विदेश में बना कोई भी वॉरशिप नौसेना में शामिल नहीं होगा. यानी अब सब कुछ स्वदेशी होगा और आत्मनिर्भर भारत के तहत होगा. नौसेना का आखिरी इंपोर्टेड वॉरशिप ‘तमाल’ 1 जुलाई को नौसेना में आधिकारिक तौर पर शामिल कर लिया जाएगा. यह दुनिया का सबसे घातक मल्टी रोल स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट है, जिसे रूस के यांतर शिपयार्ड में तैयार किया गया है. इस वॉरशिप से दुनिया की सबसे खतरनाक एंटी शिप मिसाइल ब्रह्मोस को दागी जा सकेगी.
क्यों है यह सबसे घातक?
तमाल एक तरह की तलवार को कहा जाता है. उसी तलवार की धार जैसी इस वॉरशिप की मार भी होने वाली है. तमाल समंदर में 30 नॉटिकल मील प्रति घंटे की रफ्तार से मूव कर सकता है. इससे एंटी शिप ब्रह्मोस मिसाइल फायर किया जा सकता है. तमाल 3000 किमी तक की दूरी एक बार में तय कर सकता है. एंटी सबमरीन वॉरफेयर के लिए भी इसे खास तौर पर डिजाइन किया गया है. दुश्मन की सबमरीन के हमलों से निपटने के लिए एंटी सबमरीन रॉकेट्स और टॉरपीडो भी इस वॉरशिप में मौजूद हैं. इस वॉरशिप पर एक हेलीकॉप्टर को भी तैनात किया जा सकता है. इसका वजन 3900 टन है.
वॉरशिप की आखिरी विदेशी डील
साल 2016 में भारत और रूस के बीच 4 तलवार क्लास स्टेल्थ फ्रिगेट्स बनाने के लिए समझौता हुआ था, जिनमें से दो रूस में और दो भारत में बनने थे. इस डील का दूसरा वॉरशिप भी तैयार हो चुका है. रूस में बनने वाले दो वॉरशिप में से पहला INS तुशिल पहले ही भारतीय नौसेना में शामिल किया जा चुका है. खुद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 9 दिसंबर 2024 को रूस जाकर इसे आधिकारिक तौर पर नौसेना में शामिल किया. तुशिल ने 12,500 मील से अधिक की यात्रा करते हुए 8 देशों से होते हुए भारत पहुंच चुका है. भारत में गोवा शिपयार्ड में बन रहे दोनों स्टेल्थ फ्रिगेट्स के निर्माण कार्य जोरों पर है. इसका पहला वॉरशिप त्रिपुट को समुद्री परीक्षण के लिए पानी में उतार दिया गया है.
तमाल है आखिरी इंपोर्टेड वॉरशिप
तलवार क्लास का यह फॉलोऑन प्रोजेक्ट है. INS तुशिल तलवार क्लास के तीसरे बैच का पहला और तमाल दूसरा वॉरशिप है. भारतीय नौसेना ने यह साफ कर दिया है कि इसके बाद भविष्य में कोई और वॉरशिप बाहर से नहीं खरीदा जाएगा. भारतीय नौसेना में तलवार क्लास के वॉरशिप 2003 से शामिल होना शुरू हो गए थे. अब तक इस क्लास के 6 जंगी जहाज भारतीय नौसेना में समुद्री सुरक्षा में लगे हैं. इन 6 स्टेल्थ फ्रिगेट्स में से 4 को ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस किया जा चुका है, जबकि बाकी दो को ब्रह्मोस से लैस करने का काम जारी है. तीन साल से ज्यादा से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते माना जा रहा था कि इसकी डिलिवरी में देरी हो सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इन वॉरशिप में यूक्रेन में निर्मित इंजन लगे हैं. रूस और यूक्रेन के बीच जंग से पहले ही वॉरशिप के लिए इंजन डिलिवर हो चुके थे.