Last Updated:October 08, 2025, 06:55 IST
Su-30MKI Rampage Missile: देश और दुनिया के हालात को देखते हुए भारत लगातार अपने डिफेंस सिस्टम को अपग्रेड कर रहा है. फाइटर जेट से लेकर कटिंग एज मिसाइल डेवलप करने का काम लगातार चल रहा है. अब इंडियन एयरफोर्स ने इस दिशा में बड़ी सफलता हासिल की है.

Su-30MKI Rampage Missile: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इंडियन आर्म्ड फोर्सेज के प्रचंड शौर्य को पूरी दुनिया ने देखा. भारत ने इस दौरान कई ऐस वेपन सिस्टम का इस्तेमाल किया, जिससे दुश्मनों के होश उड़ गए. फिर चाहे वो आकाश वेपन सिस्टम हो य फिर S-400 एयर डिफेंस सिस्टम या फिर राफेल फाइटर जेट, सबने मिलकर पाकिस्तान की धज्जियां उड़ा दीं. इंडियन एयरफोर्स ने अब एक और खुलासा किया है. एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने बताया कि Su-30MKI के साथ इजरायल की घातक रैम्पेज मिसाइल को इंटीग्रेट किया गया है. एयरफोर्स की ऑपरेशन कैपेबिलिटी और वेपन इंटीग्रेश्न के लिहाज से यह कदम काफी अहम है. साथ ही दुश्मनों के लिए यह किसी दुस्वप्न से कम नहीं है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इसका इस्तेमाल भी किया गया था, जिसने पाकिस्तान में व्यापक पैमाने पर तबाही मचाई थी.
एयरफोर्स की ओर से जारी एक शॉर्ट वीडियो में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मिसाइल लॉन्च का फुटेज दिखाया गया है. यह वीडियो हेलमेट कैमरे से रिकॉर्ड किया गया था, जिसमें दो Su-30MKI फाइटर जेट हिमालयी क्षेत्र में उड़ान भरते नजर आते हैं. इसके बाद एक विमान के विंग पर लगे पाइलन से 570 किलोग्राम वजनी रैम्पेज मिसाइल दागी जाती है. वीडियो में ‘Fox Three – Rampage Away’ की कॉल सुनाई देती है, जिसके बाद मिसाइल सटीकता (Precision Attack) से अपने लक्ष्य (एक सिमुलेटेड कमांड एंड कंट्रोल बंकर) को भेदती है. विस्फोट के बाद कई सेकेंडरी ब्लास्ट्स भी नजर आते हैं, जो लक्ष्य के पूर्ण रूप से नष्ट होने की पुष्टि करते हैं. IAF के एक अधिकारी के मुताबिक, यह Su-30MKI से रैम्पेज मिसाइल के पहले ऑपरेशनल इस्तेमाल का उदाहरण है. इस सफलता के पीछे डीआरडीओ (DRDO) द्वारा विकसित सॉफ्टवेयर अपग्रेड्स की अहम भूमिका रही, जिन्होंने मिसाइल को विमान के AL-31FP इंजन और एडवांस एवियोनिक्स सिस्टम के साथ संगत बनाया.
बेहद खतरनाक है रैम्पेज मिसाइल
रैम्पेज मिसाइल एयर-टू-सरफेस यानी हवा से सतह पर मार करने वाला वेपन सिस्टम है. यह सुपरसोनिक मिसाइल 1 से 1.6 मैक की स्पीड से टारगेट की तरफ मूव करता है. इसका मतलब यह हुआ कि रैम्पेज मिसाइल की रफ्तार 1975 किलोमीटर प्रति घंटे की है. यह मिसाइल 570 किलो बारूद से भरी होती है, जो किसी भी लक्ष्य को नेस्तनाबूद करने में सक्षम है. ‘इंडिया डिफेंस न्यूज’ की रिपोर्ट के अनुसार, रैम्पेज मिसाइल को एयर डिफेंस सिस्टम से पकड़ पाना काफी मुश्किल है. इस तरह S-400, THAAD या आयरन डोम भी इस मिसाइल को जल्दी इंटरसेप्ट नहीं कर सकेंगे.
Su-30MKI अब और घातक बन गया है. (फाइल फोटो/PTI)
रूसी फाइटर जेट, इजरायली मिसाइल
रैम्पेज मिसाइल को पहले से IAF के जगुआर दरीन-III और नेवी के मिग-29K विमानों पर इंटीग्रेट किया जा चुका है. जगुआर पर इसका उपयोग दुश्मन के बुनियादी ढांचे पर डीप स्ट्राइक मिशन के लिए होता रहा है, जबकि मिग-29K पर यह एंटी-शिप रोल में इस्तेमाल की जाती है. सुखोई जैसे बड़े और संरचनात्मक रूप से अलग विमान पर इस मिसाइल को लगाने के लिए एयरफ्रेम की मजबूती बढ़ाई गई और फायर कंट्रोल सिस्टम में तकनीकी बदलाव किए गए. दिलचस्प बात यह है कि Su-30MKI और MiG-29K रूसी फाइटर जेट हैं, जबकि रैम्पेज मिसाइल इजरायल बनाता है. भारत ने 2020-21 के बीच, चीन के साथ तनाव बढ़ने के दौरान, इज़रायल से रैम्पेज मिसाइलों का पहला बैच खरीदा था. तब से यह मिसाइल भारतीय वायुसेना की प्रिसिजन स्ट्राइक कैपेबिलिटी का अहम हिस्सा बन चुकी है.
भारत में ही मैन्यूफैक्चर करने की तैयारी
सूत्रों के अनुसार, भारत अब रैम्पेज मिसाइल के स्थानीय उत्पादन (Local Production) पर भी विचार कर रहा है, जिससे सप्लाई चेन मजबूत होगी और मेक इन इंडिया नीति को बढ़ावा मिलेगा. ब्रहमोस मिसाइल के सफल घरेलू निर्माण की तर्ज पर, रैम्पेज मिसाइल का स्थानीय उत्पादन भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता (Defence Self-Reliance) की दिशा में एक और बड़ा कदम साबित हो सकता है.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
October 08, 2025, 06:54 IST