SBI का वो चेयरमैन जिनके पीछे पड़े थे संजय गांधी, CBI भी लगाया, पर झुका न सके

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Last Updated:December 11, 2025, 13:33 IST

Sanjay Gandhi vs SBI Chairman: संजय गांधी को शैडो प्राइम मिनिस्टर भी कहा जाता था. इंदिरा गांधी की सरकार में संजय गांधी की तूती बोलती थी. मंत्री से लेकर संतरी तक उनके दरबार में हाजिरी बजाते थे. लेकिन, उसी 70 के दशक में एक ऐसा भी अधिकारी था, जिन्‍होंने उनका दरबारी बनने से इनकार कर दिया था. संजय गांधी लाख कोशिशों के बाद भी अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हो सके थे.

SBI का वो चेयरमैन जिनके पीछे पड़े थे संजय गांधी, CBI भी लगाया, पर झुका न सकेSanjay Gandhi vs SBI Chairman: संजय गांधी SBI के तत्‍कालीन चेयरमैन आरके तलवार के पीछे पड़ गए थे. (फाइल फोटो)

Sanjay Gandhi vs SBI Chairman: सत्‍तर के दशक में जब इंदिरा गांधी की सरकार अपने रुआब पर थी, तब संजय गांधी के नाम का डंका बजता था. वे सत्‍ता का असली केंद्र बन चुके थे. यह कहानी उसी दौर की अनसुनी गाथा के बारे में है. यह अनसुनी दास्‍तान संजय गांधी और SBI के तत्‍कालीन चेयरमैन आरके तलवार से जुड़ा है. एक सीमेंट कंपनी को लेकर विवाद शुरू हुआ था. सीमेंट कंपनी मिसमैनेजमेंट की वजह से लोन चुकाने में नाकामयाब साबित हो रही थी. SBI रीस्‍ट्रक्‍चर करने के लिए तैयार थी, लेकिन उसमें मौजूदा मैनेजमेंट को बदलने का प्रावधान किया गया था. ऐसा न करने पर बैंक ने किसी भी तरह की रियायत देने से साफ इनकार कर दिया. सीमेंट कंपनी के प्रमोटर का संजय गांधी से ठीकठाक कनेक्‍शन था, ऐसे में यह मामला संजय के दरबार में पहुंचा. उन्‍होंने SBI को संबंधित प्रावधान को हटाने और सीमेंट कंपनी को राहत देने का फरमान दे दिया. चेयरमैन आरके तलवार (1969 से 1976) ने इसे मानने से इनकार कर दिया. इसके बाद फाइनेंस मिनिस्‍टर ने उन्‍हें दिल्‍ली तलब किया, पर बात नहीं बनी. इसके बाद संजय गांधी ने सीबीआई को तलवार के पीछे लगा दिया. दिलचस्‍प बात यह है कि जांच एजेंसी को भी आरके तलवार के खिलाफ कुछ नहीं मिला. इसके बाद SBI से जुड़े कानून को संशोधित किया गया और तलवार को छुट्टी पर भेज दिया गया. इस संशोधन को लोग ‘तलवार एक्‍ट’ कहने लगे थे.

SBI से ही करियर की शुरुआत करने वाले एन. वागुल ने अपनी किताब में इसका जिक्र किया है. आरके तलवार को साल 1969 में SBI का चेयरमैन बनाया गया था और 1976 में नाटकीय ढंग से हटा दिया गया था. तलवार को भारतीय बैंकिंग जगत का सबसे ईमानदार, निर्भीक और दूरदर्शी चेयरमैन माना जाता था, लेकिन संजय गांधी की नाराज़गी उनके लिए भारी साबित हुई और देश की सबसे बड़ी बैंकिंग संस्था पर अभूतपूर्व दबाव बनाया गया. वागुल लिखते हैं कि तलवार के कार्यकाल में एक सीमेंट कंपनी (जिसे SBI ने कर्ज दिया था) लगातार घाटे में जाने लगी. बैंक ने मामले की समीक्षा की और पाया कि असली समस्या खराब प्रबंधन है. समाधान के रूप में बैंक ने कंपनी को एक पुनर्गठन पैकेज देने का प्रस्ताव रखा, लेकिन शर्त रखी कि कंपनी का प्रमोटर (जो चेयरमैन और सीईओ भी था) अपनी जगह किसी पेशेवर को देगा. यहीं से विवाद शुरू हुआ.

कंपनी के प्रमोटर ने संजय गांधी से क्‍या की थी मांग?

कंपनी का वह प्रमोटर संजय गांधी का मित्र था. उसने संजय से अनुरोध किया कि SBI की यह शर्त हटवा दी जाए. संजय ने तुरंत उस समय के वित्त मंत्री (सी. सुब्रह्मण्यम) को फोन किया और कहा कि बैंक को यह शर्त वापस लेने का निर्देश दिया जाए. तत्‍कालीन वित्त मंत्री ने तलवार को फोन किया. तलवार ने पूरा केस मंगवाया, दस्तावेजों की समीक्षा की और स्पष्ट कहा कि बैंक की शर्त सही है, इसे हटाया नहीं जा सकता. अगले ही दिन वित्त मंत्री ने तलवार को दिल्ली बुलाया और कहा कि यह आदेश देश की सर्वोच्च सत्ता (हाइएस्‍ट अथॉरिटी) की तरफ से आया है. संकेत साफ था कि यह आदेश सीधे संजय गांधी की ओर से था. लेकिन तलवार नहीं झुके.

Sanjay Gandhi vs SBI Chairman: इंदिरा सरकार में संजय गांधी की तूतू बोलती थी.

संजय गांधी ने बुलावे पर क्‍या था तलवार का रवैया?

जब संजय गांधी को बताया गया कि SBI चेयरमैन आदेश मानने को तैयार नहीं, तो उन्होंने तलवार को मिलने के लिए बुलाया. लेकिन तलवार ने साफ कहा कि संजय गांधी किसी संवैधानिक पद पर नहीं हैा, इसलिए वे उनसे मिलने नहीं जाएंगे. फिर संजय गांधी का आदेश आया- तलवार को हटाओ. उस वक्‍त SBI चेयरमैन को हटाना आसान नहीं था. SBI एक्ट में स्पष्ट लिखा था कि चेयरमैन को बिना ठोस कारण के नहीं हटाया जा सकता. इसलिए तलवार को हटाने के लिए कानूनी आधार खोजना मुश्किल था. वित्त मंत्री ने उन्हें एक नया पद देने का प्रस्ताव दिया- बैंकिंग कमीशन का चेयरमैन. आरके तलवार ने कहा कि यह जिम्मेदारी वे SBI चेयरमैन रहते हुए भी निभा सकते हैं. यह सुनकर मंत्री नाराज़ दिखे. वागुल आगे लिखते हैं कि इस पर तलवार ने कहा- लगता है आप बहुत ज़ोर देकर चाह रहे हैं कि मैं SBI चेयरमैन न रहूं. मंत्री ने आखिरकार माना कि मामला सीमेंट कंपनी वाला है. साथ ही चेतावनी दी कि अगर आप इस्तीफा नहीं देंगे, तो आपको बर्खास्त करना पड़ेगा.

‘मैं इस्‍तीफा नहीं दूंगा’

इसके बाद आरके तलवार ने दो टूक जवाब दिया- मैं इस्तीफा नहीं दूंगा. CBI भी लगाई गई, लेकिन कुछ नहीं मिला. संजय गांधी के निर्देश पर CBI को कहा गया कि तलवार के खिलाफ कोई मामला खोजा जाए. जांच में पता चला कि तलवार ने कई उद्योगपतियों को औरोविल परियोजना के लिए चंदा देने की अपील भेजी थी, लेकिन यह अपील संयुक्त राष्ट्र महासचिव यू थांट और प्रधानमंत्री द्वारा हस्ताक्षरित मूल पत्र को सिर्फ आगे भेजने भर की थी. किसी कारोबारी ने यह कहने से इनकार कर दिया कि तलवार ने उन्हें दबाव डाला था. इसके बाद CBI को मामला बंद करना पड़ा.

अब अंतिम रास्ता- कानून बदलो

इसके बाद संजय गांधी ने धैर्य खो दिया. उन्होंने आदेश दिया कि SBI एक्ट में संशोधन कर दिया जाए, ताकि तलवार को बिना कारण बताए हटाया जा सके. पूरा विपक्ष जेल में था. संसद सरकारी मुहर में बदल चुकी थी. कानून तुरंत बदल दिया गया. इसके बाद वित्त मंत्री ने तलवार को आखिरी बार कहा कि या तो इस्तीफा दें, वरना बर्खास्त कर दिए जाएंगे. इसके बाद भी तलवार नहीं झुके. तलवार को सीधे हटाने की हिम्मत सरकार नहीं जुटा सकी. उन्हें 13 महीने की छुट्टी पर भेज दिया गया और बैंक का प्रभार मैनेजिंग डायरेक्टर को दे दिया गया. एन. वागुल लिखते हैं कि उस शाम जब देश के सबसे आदर्शवादी बैंक अधिकारी बैंक छोड़ रहे थे, तो उन्हें विदा करने के लिए लगभग कोई नहीं आया. ऐसा डर था कि तलवार से जुड़ना भी गुनाह माना जाएगा.

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Manish Kumar

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें

Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

December 11, 2025, 13:33 IST

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