Last Updated:December 27, 2025, 11:41 IST
Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने रेप के एक मामले में लीक से हटकर फैसला दिया है. (फाइल फोटो/Reuters)Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट में कई ऐसे मामले सामने आते हैं, जिनमें जज को तथ्यों को सामने रखते हुए अपने विवेक और कॉमन सेंस का इस्तेमाल कर फैसला देना पड़ता है. देश की सबसे बड़ी अदालत में ऐसा मामला सामने आया, जब जजों ने 6th सेंस का इस्तेमाल करते हुए फैसला दिया. रेप के मामले में ट्रायल कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए गए शख्स को न केवल दोषमुक्त करार दिया गया, बल्कि आरोप लगाने वाली महिला ने उससे शादी भी कर ली. सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच की पहल से ऐसा संभव हो सका. जस्टिस वी. नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने दोषी और आरोपी पक्ष दोनों के साथ चैंबर में बातचीत की जिसमें कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में रेप के मामले में दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति की सजा को रद्द कर दिया है. अदालत ने कहा कि यह मामला सहमति से बने रिश्ते (consensual relationship) का था, जो बाद में बिगड़ गया और उसे आपराधिक रंग दे दिया गया. शीर्ष अदालत ने अपने विशेष अधिकारों का इस्तेमाल (संविधान का अनुच्छेद 142) करते हुए न सिर्फ शिकायत और सजा को खत्म किया, बल्कि आरोपी की नौकरी भी बहाल करने का आदेश दिया.
सोशल मीडिया से दोस्ती फिर रिश्ता
यह मामला वर्ष 2015 से जुड़ा है, जब आरोपी और शिकायतकर्ता महिला की पहचान सोशल मीडिया के जरिए हुई थी. दोनों के बीच दोस्ती हुई और धीरे-धीरे यह रिश्ता प्रेम संबंध में बदल गया. हालांकि, यह रिश्ता शादी तक नहीं पहुंच पाया. इसके बाद वर्ष 2021 में महिला ने आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376 और 376(2)(n) के तहत रेप का मामला दर्ज कराया. ट्रायल कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद आरोपी को दोषी ठहराया और 10 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई. हाईकोर्ट ने भी आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया. इसके बाद आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और जमानत की मांग की.
6th सेंस की बात
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई जस्टिस वी. नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने की. सुनवाई के दौरान अदालत ने टिप्पणी की कि उसे एक छठी इंद्रिय यानी सिक्स्थ सेंस से महसूस हो रहा है कि आरोपी और शिकायतकर्ता के बीच सुलह हो सकती है. अदालत ने दोनों पक्षों और उनके माता-पिता से चेंबर में मुलाकात कर रिश्ते और उसकी प्रकृति को समझने की कोशिश की. इस बातचीत के दौरान आरोपी और महिला दोनों ने आपसी सहमति से शादी करने की इच्छा जताई. उनके परिवारों ने भी इस फैसले पर सहमति दी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को शादी के उद्देश्य से अंतरिम जमानत दी. दोनों ने जुलाई में विवाह कर लिया.
और इस तरह कर दिया गया बरी
बाद में जब मामला फिर से सुप्रीम कोर्ट के सामने आया, तो अदालत को बताया गया कि दंपति अब खुशहाल वैवाहिक जीवन जी रहे हैं. इस जानकारी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतिम फैसले में महिला की शिकायत, आरोपी की दोषसिद्धि (Conviction) और सजा तीनों को रद्द कर दिया. अपने फैसले में अदालत ने कहा कि शादी में देरी होने के कारण महिला के मन में असुरक्षा की भावना पैदा हुई, जिसके चलते आपराधिक मामला दर्ज कराया गया. अदालत ने स्पष्ट किया कि यह एक सहमति से बना रिश्ता था, जो गलतफहमी के कारण अपराध में बदल गया. सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेष अधिकारों का प्रयोग करते हुए यह फैसला सुनाया.
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बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
December 27, 2025, 11:30 IST

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