Sorry मिस्टर ट्रंप! अमेरिका ने भारत को 'खोया' नहीं, जिद में 'गंवा' दिया है

1 hour ago

Last Updated:September 05, 2025, 23:11 IST

डोनाल्ड ट्रंप की जिद और ईगो ने भारत-अमेरिका रिश्तों को कई दशक पीछे धकेल दिया है. उनके कॉमर्स सेक्रेटरी कह रहे हैं कि भारत भी कुछ समय बाद कनाडा की तरह 'सॉरी' बोलेगा.

Sorry मिस्टर ट्रंप! अमेरिका ने भारत को 'खोया' नहीं, जिद में 'गंवा' दिया हैभारत को लेकर ट्रंप प्रशासन के रुख से साफ है कि पिछले दो दशक में मजबूत हुए रिश्तों को तार-तार करने से उन्हें कोई गुरेज नहीं. (File Photo : AP)

बतौर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का दूसरा कार्यकाल अमेरिका-भारत के रिश्‍तों को रसातल में पहुंचाने के लिए याद रखा जाएगा. उनकी जिद, अहंकार और झूठी शान ने न सिर्फ रिश्तों में खटास डाली है बल्कि कई दशक पीछे धकेल दिया है.  जो रिश्ता 2000s और 2010s में परमाणु करार, डिफेंस कोऑपरेशन और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर से मजबूत हुआ था, वह अब ट्रंप के रवैये की वजह से ‘अनिश्चितता’ के दौर में है. अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक का हालिया बयान बताता है कि ट्रंप प्रशासन भारत से किस तरह बात कर रहा है. लुटनिक ने कहा कि भारत जल्द ही अमेरिका के सामने ‘सॉरी’ बोलेगा और ट्रंप की मेज पर डील रखेगा. वरना उसे 50% तक के टैरिफ झेलने होंगे. क्या कोई संप्रभु देश इस तरह की भाषा बर्दाश्त करेगा? भारत के लिए यह केवल व्यापार की बात नहीं, बल्कि गरिमा और संप्रभुता का सवाल है.

‘सॉरी बोलो, वरना 50% टैरिफ झेलो’

अमेरिकी कॉमर्स सेक्रेटरी हॉवर्ड लटनिक ने शुक्रवार को खुलकर भारत को धमकी दी कि अगर भारत रूस से तेल खरीदना और BRICS का हिस्सा बने रहना बंद नहीं करता तो 50% टैरिफ झेलना होगा. उनका कहना है कि भारत आखिरकार अमेरिका के सामने झुकेगा और ट्रंप से ‘सॉरी’ कहेगा. यह बयान साफ दिखाता है कि वॉशिंगटन अब रिश्तों को साझेदारी नहीं बल्कि दबाव की राजनीति से देख रहा है.

SCO की तस्वीर और ट्रंप का डर

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में पीएम मोदी, शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन की एक पुरानी तस्वीर डालकर तंज कसा-  ‘Looks like we’ve lost India and Russia to China.’ तस्वीर SCO समिट की बताई गई, जबकि असल में वह BRICS समिट की थी. यानी ट्रंप सिर्फ इमेजरी से यह दिखाना चाहते थे कि भारत अमेरिका से दूर जा रहा है.

असलियत यह है कि भारत अपनी रणनीति में संतुलन रखता है, लेकिन ट्रंप की नजर में जो अमेरिका का साथ नहीं देता, वह ‘खोया हुआ पार्टनर’ है. भारत ने साफ किया कि BRICS या SCO जैसे मंचों में शामिल होना ‘साइड चुनना’ नहीं है. यह तो भारत की मल्टी-अलाइनमेंट स्ट्रैटजी का हिस्सा है.

भारत और अमेरिका के बीच कितना व्यापार

भारत और अमेरिका का व्यापार आज करीब 190 बिलियन डॉलर का है. यह रिश्ता दोनों को फायदा देता है. लेकिन ट्रंप इसे ‘वन-साइडेड डिजास्टर’ कहकर खारिज कर रहे हैं. उनकी शिकायत है कि भारत अमेरिकी सामान कम खरीदता है और रूस से सस्ता तेल ले रहा है. इसके लिए ट्रंप ने भारत पर 25% अतिरिक्त ड्यूटी थोप दी. सवाल है कि क्या भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा और महंगाई नियंत्रण किसी अमेरिकी राष्ट्रपति की मनमानी पर दांव पर लगा सकता है? जवाब साफ है- नहीं.

भारत को ‘ग्राहक’ बताकर नीचा दिखाया

लटनिक ने कहा कि ‘कस्टमर हमेशा सही होता है’ और भारत-चीन आखिरकार अमेरिका के $30 ट्रिलियन इकोनॉमी पर निर्भर रहेंगे. यह सोच बताती है कि अमेरिका भारत को बराबरी का पार्टनर नहीं बल्कि एक ग्राहक मानता है. भारत के लिए यह अपमानजनक रवैया है. भारत न तो कोई ‘वॉवेल’ है जो रूस और चीन के बीच भराव करे, और न ही केवल अमेरिकी बाजार पर निर्भर है.

ईगो की वजह से ‘लॉस्ट अलायंस’

ट्रंप बार-बार कहते हैं कि भारत आखिरकार अमेरिकी बाजार का मोहताज है. लेकिन वह भूल जाते हैं कि भारत के पास विकल्प हैं- रूस से ऊर्जा, फ्रांस और इजरायल से डिफेंस, यूरोप से टेक्नोलॉजी और एशिया-प्रशांत देशों के साथ साझेदारी. भारत अब किसी एक देश पर निर्भर नहीं है. अगर अमेरिका ने दरवाजा बंद किया, तो भारत दूसरे दरवाजे खोल लेगा. यही अंतर है आज के भारत और 90 के दशक के भारत में.

भारत की विदेश नीति: अब दबाव से ऊपर

भारत की विदेश नीति आज ‘मल्टी-अलाइनमेंट’ पर चल रही है. यानी भारत हर मंच पर अपने हितों के मुताबिक शामिल होता है. Quad में भी है, BRICS में भी. अमेरिका के साथ भी दोस्ती रखता है, रूस-चीन के साथ भी रिश्ते बनाए रखता है. ट्रंप की यह सोच कि भारत को मजबूर किया जा सकता है, हकीकत से दूर है. भारत के पास अपनी ताकत है- 1.4 अरब की आबादी, सबसे बड़ी डिजिटल इकोनॉमी, तेज विकास दर और रणनीतिक भौगोलिक स्थिति. अमेरिका को यह मानना होगा कि भारत किसी का जूनियर पार्टनर नहीं है.

ट्रंप ने क्यों गंवा दिया भारत?

भारत अमेरिका के लिए सिर्फ एक बाजार नहीं, बल्कि एशिया में चीन को संतुलित करने वाला सबसे बड़ा रणनीतिक सहयोगी है. लेकिन ट्रंप की धमकी और अपमानजनक लहजा इस रिश्ते की नींव हिला रहा है. उन्होंने भारत को ‘वावल बटन’ कहकर BRICS में रूस-चीन के बीच रख दिया. उन्होंने भारत पर रूस का तेल खरीदने का आरोप लगाया, जबकि यह भारत की ऊर्जा जरूरतों का हिस्सा है. उन्होंने व्यापार घाटे को मुद्दा बनाकर रिश्ते में कड़वाहट घोली. इस सबका नतीजा यह हुआ कि भारत ने अमेरिका को नहीं ‘खोया’, बल्कि अमेरिका ने अपनी झूठी शान के चक्कर में भारत को गंवा दिया.

भारत का संदेश साफ है कि हम बराबरी के साझेदार हैं, किसी की डिक्टेशन पर नहीं चलेंगे. यही वजह है कि विदेश मंत्रालय ने ट्रंप की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देना भी जरूरी नहीं समझा.

यह भारत की नई ताकत है. अब न तो दबाव चलेगा, न धमकी. रिश्ते तभी आगे बढ़ेंगे जब दोनों देश बराबरी और सम्मान के साथ चलेंगे. ट्रंप प्रशासन को यह बात जितनी जल्दी समझ आ जाए, बेहतर है.

Deepak Verma

Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...और पढ़ें

Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

September 05, 2025, 22:54 IST

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