US में कैसे चुना जाता है राष्ट्रपति? भारत से कितना अलग चुनाव, 10 पॉइंट्स में जानें सबकुछ

2 weeks ago

US Election Process: अमेरिका दुनिया के सबसे ताकतवर देशों मे गिना जाता है और उसका राष्ट्रपति चुना जाने वाला व्यक्ति दुनियाभर मेंसबसे ताकतवर माना जाता है. इस वजह से दुनियाभर के देशों की नजर अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव पर होती है. इस बार अमेरिका में 5 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे. चुनावी मैदान में रिपब्लिकन पार्टी की ओर से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से उपराष्ट्रपति कमला हैरिस हैं. अमेरिका भी भारत की तरह ही एक लोकतांत्रिक देश है, लेकिन दोनों देशों में चुनावी प्रक्रिया एकदम अलग है. अमेरिका में चुनाव प्रक्रिया भारत से कठिन है और लंबी है.

अमेरिका में राष्ट्रपति, जबकि भारत में प्रधानमंत्री: आजादी के बाद अमेरिका ने एक ऐसा सिस्टम बनाया, जिसमें राजा जैसी निरंकुशता न हो और इतना कमजोर भी ना हो कि अस्थिर हो जाए. इसलिए, अमेरिका में राष्ट्रपति को सरकार का मुखिया माना जाता है. वहीं, भारत ने आजादी के बाद ब्रिटेन के संसदीय सिस्टम को चुना और प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है.   बैलेट पेपर से वोटिंग: भारत में वोटिंग प्रक्रिया पूरी तरह से ईवीएम सो होती है, जबकि अमेरिका में ज्यादातर राज्यों में वोटिंग पोस्टल बैलेट से होती है. हैकिंग और विदेशी दखल के डर से अमेरिका में ईवीएम कभी जनता का भरोसा नहीं जीत सकी और सिर्फ 5 प्रतिशत हिस्से में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग होती है.   कौन कराता है चुनाव का आयोजन: भारत में चुनाव का आयोजन चुनाव आयोग कराता है, जबकि अमेरिका में चुनाव की प्रक्रिया का संचालन फेडरल इलेक्शन कमीशन (FEC)करता है. लेकिन, भारतीय चुनाव आयोग की तरह फेडरल इलेक्शन कमीशन के पास इतनी ताकत और जिम्मेदारियां नहीं होती हैं. चुनावी खर्चों पर लगाम लगाने और पारदर्शिता लाने के लिए साल 1974 में इसका गठन किया या था. 4 साल का कार्यकाल: अमेरिका में आखिरी बार साल 2020 में राष्ट्रपति चुनाव हुआ था, तब जो बाइडेन ने डोनाल्ड ट्रंप को हराकर सत्ता हासिल की थी. अमेरिका में राष्ट्रपति का कार्यकाल 4 साल का होता है और एक व्यक्ति 2 बार ही राष्ट्रपति बन सकता है. 5 चरणों में चुनाव प्रक्रिया: अमेरिका में राष्ट्रपति के लिए होने वाले चुनाव की प्रक्रिया 5 चरणों में पूरी होती है. इसमें पहला चरण प्राइमरी और कॉकस, दूसरा चरण नेशनल कन्वेंशन, तीसरा चरण आम चुनाव, चौथा चरण इलेक्टोरल कॉलेज और पांचवां चरण शपथ ग्रहण है. चुनाव का पहला चरण प्राइमरी और कॉकस: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव प्रणाली भारत से काफी अलग है. यह प्रणाली कई चरणों में होती है, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण हैं प्राइमरी और कॉकस. ये दोनों ही प्रक्रियाएं किसी राजनीतिक दल के भीतर राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का चयन करने के लिए आयोजित की जाती हैं. प्राइमरी एक प्रकार का सीधा मतदान है, जिसमें पार्टी के पंजीकृत सदस्य सीधे अपने पसंदीदा उम्मीदवार को वोट देते हैं. प्राइमरी के माध्यम से यह तय होता है कि कौन से उम्मीदवार को पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन मिलेगा. कॉकस एक अधिक पारंपरिक और कम औपचारिक प्रक्रिया है. इसमें पार्टी के सदस्य एक बैठक में एकत्र होते हैं और चर्चा के बाद खुले मतदान या गुप्त मतदान के माध्यम से अपने पसंदीदा उम्मीदवार का चयन करते हैं. नेशनल कन्वेंशन: प्राइमरी इलेक्शन की प्रक्रिया खत्म होने के बाद नेशनल कन्वेंशन की शुरुआत होती है. इसमें रिपब्लिकन पार्टी और डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से अपने उम्मीदवार का आधिकारिक ऐलान किया जाता है. इसके बाद राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार समर्थकों के सामने भाषण देते हुए उम्मीदवारी को स्वीकार करता है. इसके साथ ही अपनी मर्जी से चुने हुए उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का ऐलान करता है.  इसके बाद राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार पूरे देश में प्रचार करने के लिए निकलता है. आम चुनाव: नवंबर के पहले सप्ताह में मंगलवार को अमेरिकी जनता राष्ट्रपति पद के लिए मतदान करती है. हालाकि, ये मतदान सीधे तौर पर राष्ट्रपति के उम्मीदवार के लिए नहीं किया जाता है, बल्कि आम नता इलेक्टर का चुनाव करती है. इलेक्टोरल कॉलेज: इलेक्टर के समूह को इलेक्टोरल कॉलेज कहा जाता है, जिसमें कुल 538 सदस्य होते हैं. ये सभी 538 सदस्य अलग-अलग 50 राज्यों से आते हैं, जो आगे राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं. राष्ट्रपति बनने के लिए किसी भी पार्टी के उम्मीदवार को 270 से अधिक इलेक्टर्स के समर्थन की जरूरत होती है. शपथ ग्रहण: राष्ट्रपति के चुनाव के लिए 270 इलेक्टर्स के समर्थन की जरूरत होती है और जिस पार्टी के उम्मीदवार के पास 270 से अधिक का आंकड़ा होता है, वह 20 जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेता है.
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