अक्टूबर 2025 तक न्योमा एयरबेस हो जाएगा रेडी, फाइटर कर सकेंगे इमर्जेंसी लैंडिंग

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Last Updated:July 22, 2025, 00:08 IST

NYOMA AIR BASE LAC: चार साल पहले पूर्वी लद्दाख में भारतीय वायुसेना ने अपने ऑपरेशन से चीन को बैकफुट पर डाल दिया था. वजह थी कम समय में भारतीय सेना की तेजी से तैनाती. भारतीय वायुसेना ने सेना के भारी भरकम साजो-सामा...और पढ़ें

अक्टूबर 2025 तक न्योमा एयरबेस हो जाएगा रेडी, फाइटर कर सकेंगे इमर्जेंसी लैंडिंगन्योमा एयर फील्ड भारतीय वायुसेना का मास्टर स्ट्रोक

हाइलाइट्स

न्योमा एयरबेस अक्टूबर 2025 तक पूरी तरह ऑपरेशनल होगाLAC से 35 किमी दूर न्योमा एयर स्ट्रिप तैयारभारतीय वायुसेना के फाइटर ऑपरेशन के लिए तीसरा एयर बेस

NYOMA AIR BASE LAC: LAC पर भारतीय वायुसेना चीन के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. संख्या में भले ही चीन के पास फाइटर ज्यादा हों, लेकिन तिब्बत प्लाटू से ऑपरेट करने में उसे आधी ताकत से ही काम करना पड़ेगा. पहले ही चीन बैकफुट पर था अब भारत ने एक और मास्टर स्ट्रोक चल दिया है. LAC से महज 35 किलोमीटर दूर से भारतीय फाइटर ऑपरेशन लॉन्च कर सकेंगे. क्योंकि न्योमा का एयर स्ट्रिप बनकर तैयार हो गया है. बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) ने इस एयर स्ट्रिप को तैयार किया है. BRO के मुताबिक, भारतीय वायुसेना के स्टैंडर्ड के मुताबिक एयर स्ट्रिप का काम पूरा हो चुका है. वायुसेना के सूत्रों के मुताबिक अभी बाकी जरूरी काम जारी है. इस वर्किंग सीजन यानी अक्टूबर तक न्योमा एयर बेस पर फुल इमर्जेंसी लैंडिंग के लिए सभी व्यवस्था और इंफ्रास्ट्रक्चर का काम पूरा हो जाएगा.

सितंबर-अक्टूबर तक काम पूरा
दरअसल, लद्दाख में ज्यादा से ज्यादा सितंबर-अक्टूबर तक ही काम किया जा सकता है. इसके बाद तापमान माइनस में चला जाता है, जो कि अप्रैल के महीने तक वैसा ही बना रहता है. जिसके चलते काम कर पाना संभव नहीं होता. सूत्रों के मुताबिक, मौसम खराब होने के चलते अगर किसी फाइटर या ट्रांसपोर्टर विमान को आपातकाल में लैंडिंग करनी होती है, तो वो अब भी की जा सकती है और फिर टेकऑफ भी किया जा सकता है. लेकिन अगर किसी तकनीकी खराबी के चलते इमर्जेंसी लैंडिंग करनी पड़ी, तो उसे दुरुस्त कर के टेकऑफ करना अभी फिलहाल संभव नहीं है. यह अगले साल तक ही संभव हो पाएगा जब यह एयर स्ट्रिप पूरी तरह से ऑप्रेशनल हो जाएगा.

एयरफोर्स के ट्रायल भी हो चुके हैं शुरू
LAC से महज 35 किलोमीटर दूर न्योमा का रनवे पिछले साल के अंत तक तैयार हो गया था. सबसे जरूरी निरीक्षण का काम पूरा हो चुका है. वायुसेना की एक टीम ने इस रनवे का निरीक्षण किया था. टेस्ट करने वाली टीम में पायलट, एयर ट्रैफिक कंट्रोलर और टेक्निकल स्टाफ ने हर एक पहलू पर जांच की थी, जिसके बाद रनवे को फिट घोषित कर दिया गया था. इसके बाद वायुसेना के C-130 J सुपर हरक्यूलिस ने पहली बार नए रनवे के ऊपर से उड़ान भरी. C-130J ने लैंडिंग सर्किट को पूरा किया और रनवे पर लो ओवर शूट ट्रायल को अंजाम दिया. एयरक्राफ्ट के लैंडिंग गियर खुले, एयर स्ट्रिप पर बिना टच किए उड़ान भर गए. ATC या फील्ड ATC के जरिए इस ट्रायल को अंजाम दिया गया.

गेम चेंजर न्योमा एयर फील्ड
न्योमा के पूरा होने के बाद वायुसेना को अब लद्दाख से फाइटर ऑपरेशन के लिए तीसरा एयर बेस मिल जाएगा. 13700 फीट की ऊंचाई पर भारतीय वायुसेना के न्योमा एडवांस लैंडिंग ग्राउंड को अपग्रेड कर के नया फाइटर बेस तैयार किया जा रहा है. 2.7 किलोमीटर लंबा ये रनवे है और अब ये पूरी तरह से कंक्रीट का है. यहां ट्रांसपोर्ट ऑपरेशन और फाइटर ऑपरेशन को चलाया जा सकता है. इससे पहले सिर्फ लेह और थौइस ही ऐसे एयरबेस थे. और स्पेशल ऑपरेशन ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट और हेलिकॉप्टर ऑपरेशन के लिए 3 एडवांस लैंडिंग ग्राउंड हैं, जिसमें न्योमा, दौलत बेग ओल्डी, फुक्चे थे. चीन-भारत के बीच 2020 में हुए विवाद के दौरान न्योमा ALG ने भारतीय सेना की ताकत को LAC के पास बढ़ाने में बहुत कारगर साबित हुआ था. लेह तक बड़े हैवी लिफ्ट ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के जरिए सैनिकों को लाने फिर हाई ऑलटिट्यूड में तैनाती के लिए C-130 J, चिनूक हेलिकॉप्टर के जरिए इसी ALG का इस्तेमाल किया गया था.

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