आर्टिकल 67(A) क्या है? जिसके तहत धनखड़ ने दिया इस्तीफा, दूसरी बार हुआ लागू

4 hours ago

Last Updated:July 21, 2025, 23:49 IST

Jagdeep Dhankhar Resigns: जगदीप धनखड़ से पहले वीवी गिरी ने उपराष्‍ट्रपति पद से इस्‍तीफा दिया था. साल 1969 में उन्‍होंने ऐसा किया था. धनखड़ ने स्‍वास्‍थ्‍य कारणों का हवाला दिया था, लेकिन वीवी गिरी ने ऐसा क्‍यों ...और पढ़ें

आर्टिकल 67(A) क्या है? जिसके तहत धनखड़ ने दिया इस्तीफा, दूसरी बार हुआ लागूधनखड़ ने पद से इस्‍तीफा दिया. (File Photo)

हाइलाइट्स

जगदीप धनखड़ से पहले वीवी गिरी ने उपराष्‍ट्रपति पद से इस्‍तीफा दिया था.साल 1969 में गिरी ने आर्टिकल 67(A) का इस्‍तेमाल किया था.हालांकि धनखड़ और गिरी के उपराष्‍ट्रपति पद छोड़ने की वजह अलग-अलग रही.

Jagdeep Dhankhar Resigns: जगदीप धनखड़ ने आज उपराष्ट्रपति पद से इस्‍तीफा दे दिया. भारत के संविधान के आर्टिकल 67(A) के तहत उन्‍होंने संसद के मानसून सत्र से पहले यह कदम उठाया. भारत के 75 साल के इतिहास में यह दूसरी बार है जब इस नियम का इस्‍तेमाल किया गया है. यह एक संवैधानिक प्रक्रिया है, जो उपराष्ट्रपति के पद की गरिमा को भी अंडरलाइन करती है. इससे पहले साल 1969 में वीवी गिरी ने इस प्रावधान का उपयोग किया था.

क्‍या कहता है आर्टिकल 67(A)?
भारतीय संविधान का आर्टिकल 67 उपराष्ट्रपति के कार्यकाल और पद से हटने की प्रक्रिया को परिभाषित करता है. इसके खंड (A) के तहत राष्ट्रपति को लिखित रूप में उपराष्ट्रपति इस्तीफा सौंपकर स्वेच्छा से पद छोड़ सकता है. खंड (B) में प्रावधान है कि उपराष्ट्रपति को राज्यसभा में बहुमत और लोकसभा की सहमति से प्रस्ताव पारित कर हटाया जा सकता है, बशर्ते 14 दिन का नोटिस दिया जाए. धनखड़ ने अनुच्छेद 67(A) के तहत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दिया, जिसमें उन्होंने स्वास्थ्य और चिकित्सकीय सलाह को प्राथमिकता देने की बात कही.

वीवी गिरी ने क्‍यों छोड़ा था पद?
भारत के संवैधानिक इतिहास में यह दूसरा मौका है जब संविधान के आर्टिकल 67(A) के तहत उपराष्ट्रपति ने इस्तीफा दिया. इससे पहले 20 जुलाई 1969 को वीवी गिरी ने राष्ट्रपति जाकिर हुसैन की मृत्यु के बाद राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए उपराष्ट्रपति पद छोड़ा था. गिरी बाद में भारत के राष्ट्रपति बने. वीवी गिरी का इस्तीफा एक महत्वपूर्ण मिसाल है क्योंकि उन्होंने राष्ट्रपति बनने की महत्वाकांक्षा के चलते पद छोड़ा था. जगदीप धनखड़ का मामला इससे अलग है. धनखड़ का निर्णय स्वास्थ्य आधारित है, न कि राजनीतिक.

राजनीतिक और संवैधानिक प्रभाव
जगदीप धनखड़ का इस्तीफा संसद के मानसून सत्र के पहले दिन आया, जब सरकार और विपक्ष के बीच तनाव चरम पर था. पिछने सेशन के दौरान उनके कट्टर रुख और विपक्ष के साथ मतभेद चर्चा में रहे थे. कांग्रेस अध्‍यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ उनके विवाद ने खूब सुर्खियां बटोरी थी. विपक्ष ने 2024 में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लाने की कोशिश की थी, जो असफल रहा. अब उपराष्ट्रपति का पद खाली है. संविधान के अनुसार नया उपराष्ट्रपति चुने जाने तक राज्यसभा की अध्यक्षता डिप्टी चेयरमैन करेंगे.

अब आगे क्या?
अब राष्ट्रपति को नए उपराष्ट्रपति के निर्वाचन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना होगा. जब तक नया उपराष्ट्रपति निर्वाचित नहीं होता, राज्यसभा के सभापति की जिम्मेदारी कार्यवाहक के रूप में निभाई जा सकती है. जगदीप धनखड़ अगस्त 2022 से उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सभापति थे. उन्‍होंने अपने पत्र में लिखा, “चिकित्सकीय सलाह का पालन करने और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67(क) के तहत तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे रहा हूं.” उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मंत्रिपरिषद और संसद सदस्यों का आभार जताया. साथ ही कहा कि भारत के आर्थिक और वैश्विक विकास का साक्षी बनना उनके लिए गौरव की बात थी. धनखड़ ने अपने कार्यकाल को “परिवर्तनकारी युग” में सेवा का अवसर बताया.

Sandeep Gupta

पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्‍त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्‍कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें

पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्‍त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्‍कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...

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