अमेरिकी Ford Ranger हटाकर क्यों Toyota गाड़ियां चाहता है Taliban, कंपनी ने क्यों ठुकराई मांग? जाने पूरी कहानी

16 hours ago

Afghanistan Toyota Demand: अफगानिस्तान में दशकों से चल रहे युद्ध और सत्ता परिवर्तन का सीधा असर वहां इस्तेमाल होने वाली गाड़ियों पर दिखता रहा है. सोवियत दौर में रूसी ट्रक, अमेरिका समर्थित सरकार में अमेरिकी रेंजर और अब तालिबान की पसंद जापानी गाड़ियां. यह पैटर्न देश की राजनीतिक स्थिति और विदेशी प्रभाव को साफ दर्शाता है. 

टोयोटा को तालिबान ने क्यों चुना?
तालिबान की अंतरिम सरकार अमेरिकी कंपनी फोर्ड की रेंजर गाड़ियों को बदलना चाहती है. इन गाड़ियों के पार्ट्स अब आसानी से नहीं मिलते हैं साथ ही महंगे भी हैं.अमेरिका से तालिबान कोई समझौता नहीं कर सकता है, इसलिए तालिबान ने सितंबर 2025 में टोयोटा से आधिकारिक तौर पर गाड़ियां खरीदने का अनुरोध किया था. हालांकि टोयोटा ने यह साफ कहा कि वे अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं, एनजीओ और दूतावासों को ही कार बेचते हैं. यही कारण है कि तालिबान की मांग ठुकरा दी गई.

टोयोटा ने मना क्यों किया?
टोयोटा का अफगानिस्तान में कोई आधिकारिक प्रतिनिधि भी नहीं है, साथ ही कंपनी भी वहां निर्यात भी नहीं करती है. पहले भी तालिबान और कट्टरपंथी समूहों के वीडियो में टोयोटा की गाड़ियां दिखने के बाद कंपनी ने सफाई दी थी कि ये गाड़ियां कानूनी तरीके से आयात नहीं होतीं हैं. इन्हें पड़ोसी देशों से सेकंड-हैंड या स्मगल चैनलों के जरिए लाया जाता है. कंपनी नहीं चाहती कि उनकी गाड़ियां किसी भी विद्रोही या सशस्त्र समूह से जुड़ी दिखें.

Add Zee News as a Preferred Source

तालिबान क्यों नहीं चाहता अमेरिकी रेंजर गाड़ियां
अमेरिका के समय में फोर्ड रेंजर गाड़ियां अफगान पुलिस व सेना की मुख्य गाड़ियां थीं. हालांकि अब उनके पार्ट्स मिलना मुश्किल है. बाकिजो पार्ट्स मिलते हैं वे बहुत महंगे होते हैं. गाड़ियों कि तकनीकी मरम्मत करने वाले अफगान मैकेनिक भी देश को छोड़ चुके है. साथ ही समझने वाली बात ये है कि आर्थिक प्रतिबंधों के कारण नई अमेरिकी गाड़ियां खरीदना असंभव हो चुका है. इसी वजह से तालिबान ने गाड़ियां बदलने का फैसला लिया है.

टोयोटा गाड़ियां पसंद क्यों?
टोयोटा की हाइलक्स और लैंड क्रूजर मॉडल दुनिया भर में फेमस हैं. खासकर रेगिस्तानी और पहाड़ी वाले जगहों पर और भी प्रसिद्ध हैं. इसके इतना पसंदीदा होने का कारण यह हैं कि इसकी इंजन बेहद मजबूत होता है. ऊबड़-खाबड़ और पथरीले इलाकों में आसानी से चलने में ये गाड़ियां सक्षम होती हैं. कम तेल में ज्यादा माइलेज भी देती हैं. साथ ही इनके पार्ट्स भी आसानी से मिल जाते हैं. इसमें पीछे हथियार लगाने की सुविधा भी होती है. यही वजह है कि ISIS अल-कायदा और तालिबान के वीडियो में अक्सर टोयोटा गाड़ियां ही नजर आती हैं.

गाड़ियों और सत्ता का इतिहास
गाड़ियों की किस्में हमेशा यह बताती रही हैं कि अफ़ग़ानिस्तान में किसका दौर है. उदाहरण से समझते हैं. जैसे  सोवियत शासन 1978-1992 के दौरान वहां रूसी फौजी ट्रक और गाड़ियां नजर आती थीं. फिर जब मुजाहिदीन और तालिबान का पहला दौर आया था, तब जापानी टोयोटा गाड़ियों का इस्तेमाल बढ़ने लगा था. फिर अमेरिका-समर्थित सरकार 2001-2021  के समय में फोर्ड रेंजर और दूसरी अमेरिकी गाड़ियों का ज्यादा इस्तेमाल होता था. अब तालिबान 2.0 के दौर में आपको पुरानी टोयोटा गाड़ियां, मोटरसाइकिलें और उनके द्वारा नई गाड़ियां खरीदने की कोशिशें साफ नजर आ रही हैं. इसी तरह से अफगानिस्तान में गाड़ियां केवल यात्रा के लिए भर नहीं, बल्कि सत्ता और शक्ति की पहचान भी बनती रही हैं.

बता दें कि पूर्व पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने अपनी किताब में लिखा है कि मुल्ला उमर 2001 में एक होंडा मोटरसाइकिल पर बैठकर भाग गए थे. वहीं तालिबान ने दावा किया है कि वे एक टोयोटा कार में भागे थे. इन दोनों बातों में एक चीज बहुत कॉमन है. वह यह कि जापानी गाड़ियां हमेशा से तालिबान की पसंद रही हैं.

अब तालिबान क्या करेगा?
टोयोटा ने तालिबान को गाड़ियां देने से मना कर दिया है. अब उनके पास लिमिटेड ऑप्शन बचे हैं. वे या तो दुबई और ईरान से पुरानी (सेकंड-हैंड) गाड़ियां खरीदकर मंगवा सकते हैं या स्थानीय बाजार से उपलब्ध पुरानी टोयोटा हाइलक्स गाड़ियां खरीद सकते हैं. उनका एक और विकल्प चीन या दूसरी एशियाई कंपनियों की नई गाड़ियां खरीदना है. हालांकि अभी तक इस बारे में कोई आखिरी फैसला नहीं लिया गया है.

यह भी पढ़ें: सेकंड वर्ल्ड वॉर के बाद हांगकांग में लगी भयानक आग, 16 घंटे से जल रही इमारतें, चुनाव भी हो सकता है रद्द! A To Z पूरी डिटेल्स

Read Full Article at Source