Last Updated:December 27, 2025, 17:42 IST
Himanta Biswa Sarma: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कांग्रेस की तुष्टीकरण नीति पर सवाल उठाते हुए बांग्लादेशी मूल की मुस्लिम आबादी में वृद्धि को असम की संस्कृति के लिए खतरा बताया. सरमा ने असम के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक प्रतीकों के बारे में भी विस्तार से बात की, और ऐतिहासिक कहानियों को धुंधला करने की कोशिशों के खिलाफ चेतावनी दी.
सीएम हिमन्त बिस्वा सरमा ने बांग्लादेश से आने वाले घुसपैठियों पर हमला बोला. (फाइल फोटो)गुवाहाटी. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार को राज्य में एक बड़े डेमोग्राफिक बदलाव पर चिंता जताई और आरोप लगाया कि कांग्रेस की सालों की “तुष्टीकरण की राजनीति” के कारण एक “नई सभ्यता” का उदय हुआ है जो असम के सामाजिक और सांस्कृतिक ताने-बाने के लिए खतरा है.
गुवाहाटी के श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र में हुई असम राज्य बीजेपी कार्यकारी बैठक में बोलते हुए सरमा ने अपने दावों को साबित करने के लिए जनगणना के आंकड़ों का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि 2011 की जनगणना के अनुसार, असम की आबादी में मुसलमानों की संख्या लगभग 34 प्रतिशत थी. उन्होंने कहा, “अगर हम इस आंकड़े से लगभग तीन प्रतिशत असमिया मुसलमानों को हटा दें, तो उस समय बांग्लादेशी मूल की मुस्लिम आबादी लगभग 31 प्रतिशत थी.”
यह बताते हुए कि 2021 में जनगणना नहीं हो पाई, मुख्यमंत्री ने दावा किया कि असम में मुस्लिम आबादी ऐतिहासिक रूप से हर जनगणना चक्र में लगभग चार प्रतिशत बढ़ी है. सरमा ने आरोप लगाया, “जब 2027 में अगली जनगणना रिपोर्ट आएगी, तो बांग्लादेशी मूल की मुस्लिम आबादी 40 प्रतिशत के करीब हो सकती है,” इस प्रवृत्ति को “हमारे समुदाय को कमजोर करने की साजिश” करार दिया.
सीएम बिस्वा सरमा ने कहा, “आज असम में लगभग 40% लोग ऐसे हैं जो बांग्लादेश से आए हुए हैं. मान लीजिए यदि कोई अनाकांक्षित परिस्थिति उत्पन्न हो जाए, तो इन लोगों की निष्ठा भारत के प्रति होगी या बांग्लादेश के प्रति? यदि उनकी जनसंख्या 50% के पार चली जाए, तो ऐसी स्थिति में संभवतः असम को बांग्लादेश का हिस्सा बनाने का प्रयास किया जाएगा!”
सीएम ने आगे कहा कि यह मुद्दा सिर्फ राजनीतिक नहीं बल्कि सभ्यतागत है. उन्होंने कहा, “कांग्रेस की तुष्टीकरण की नीतियों के कारण धीरे-धीरे लगभग 1.5 करोड़ लोगों की एक नई सभ्यता बन गई है,” और कहा कि ऐसी नीतियों के असम की पहचान पर लंबे समय तक चलने वाले परिणाम होंगे. सरमा ने असम के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक प्रतीकों के बारे में भी विस्तार से बात की, और ऐतिहासिक कहानियों को धुंधला करने की कोशिशों के खिलाफ चेतावनी दी.
उन्होंने कहा, “असम में, हमारे पास शंकर और माधव (महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव और महापुरुष माधवदेव) की विरासत है. शंकर-अजान की कोई अवधारणा नहीं थी.” असम के इतिहास में अजान फकीर की उपस्थिति को स्वीकार करते हुए, सरमा ने कहा कि उनके योगदान को उनके अपने संदर्भ में देखा जाना चाहिए. महान अहोम जनरल लचित बोरफुकन का जिक्र करते हुए, सरमा ने कहा, “हमें लचित की विरासत से असंबंधित लोगों को जोड़कर अपनी लड़ाई को कमजोर नहीं करना चाहिए. हम लचित को उस नायक के रूप में देखना चाहते हैं जिसने मुगलों को हराया था.”
About the Author
राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...और पढ़ें
Location :
Guwahati,Kamrup Metropolitan,Assam
First Published :
December 27, 2025, 17:27 IST

1 hour ago
