Last Updated:June 10, 2025, 21:02 IST
ARMY AIR DEFENCE SYSTEM: पहले के समय में तकनीक इतनी विकसित नहीं थी, लिहाजा उस समय के हिसाब से खतरे भी होते थे और उनसे निपटने के हथियार भी। अब भारतीय सेना के पास शॉर्ट, मीडियम और लॉन्ग रेंज मिसाइल एयर डिफेंस सिस...और पढ़ें

स्वदेशी QRSAM जल्द शामिल होगा सेना में
हाइलाइट्स
भारतीय सेना को मिलेगा नया QRSAM एयर डिफेंस सिस्टमQRSAM 30 किमी दूर से दुश्मन के एरियल अटैक को रोक सकता हैस्वदेशी QRSAM पुराने रूसी डिफेंस सिस्टम की जगह लेगाARMY AIR DEFENCE SYSTEM: भारतीय सेना के एयर डिफेंस सिस्टम ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अपनी ताकत का परिचय दिया. एक भी पाकिस्तानी अटैक को सफल नहीं होने दिया. अब आने वाले दिनों में भारतीय सेना की ताकत में और इजाफा होने जा रहा है. सेना के लिए स्वदेशी QRSAM यानी क्विक रेस्पॉन्स सर्फेस टू एयर मिसाइल तैयार है. जल्द ही इसे सेना में शामिल करने की मंजूरी भी मिल जाएगी. इस सिस्टम की खास बात यह है कि यह एक ट्रैक्ड मोबाइल सिस्टम है. डीआरडीओ ने इसे विकसित किया है. इसके मिसाइल और रडार स्वदेशी कंपनी BEL तैयार कर रही है और वाहन प्लेटफॉर्म को BDL बना रहा है. भारतीय सेना फिलहाल 3 रेजिमेंट खरीदने का प्लान कर रही है. इसकी रेंज की बात करें तो यह 30 किलोमीटर तक किसी भी दुश्मन के फाइटर, अटैक हेलिकॉप्टर, प्रिसिजन गाइडेड म्यूनिशन और अन्य एरियल वेहिकल के अटैक को रोकने की क्षमता रखता है. इसके सभी ट्रायल सफल हो चुके हैं. बस सरकार की तरफ से खरीद की मंजूरी मिलना बाकी है.
पुराने एयर डिफेंस की जगह लेगा
भारतीय थल सेना के एयर डिफेंस सिस्टम में वाहन आधारित एयर डिफेंस सिस्टम रूसी है और यह कई दशकों पहले खरीदा गया था. इनमें शिल्का, तंगुष्का, स्ट्रेला-10M, ओसा AK और पिचौरा शामिल हैं. इनकी जगह स्वदेशी QRSAM लेंगे. पिचौरा को मोबाइल या स्टेशनरी तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है. एयर डिफेंस सिस्टम भी अब पुराने हो चले हैं. इनकी जगह धीरे-धीरे आकाश मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम ले रही है. लेकिन आकाश मिसाइल स्टेशनरी है जबकि बाकी सब मोबाइल हैं. इस तरह के मोबाइल सिस्टम आम तौर पर टैंक के मूवमेंट के दौरान इस्तेमाल होते हैं. जब भी दुश्मन के इलाके में भारतीय टैंक दाखिल होंगे तो यह मैकेनाइज्ड भी साथ मूव करेंगे. कोई भी दुश्मन का एरियल अटैक होगा तो इन्हीं एयर डिफेंस सिस्टम के जरिए उन्हें रोका जाएगा है.
भारतीय सेना के रूसी डिफेंस सिस्टम
एयर डिफेंस गन सिस्टम शिल्का
शिल्का ZU-23mm का ही दूसरा रूप है जो ट्रैक गाड़ी पर लगाई गई है और हर वाहन में 2 ZU-23mm गन हैं. यानी यह सिस्टम एक मिनट में 8 हजार राउंड फायर कर सकती है. चूंकि यह ट्रैक्ड गन सिस्टम है, तो इसका इस्तेमाल किसी भी तरह के इलाकों में आसानी से किया जा सकता है. भारतीय सेना के पास 8 के करीब रेजिमेंट हैं।
तंगुष्का मिसाइल
इस सिस्टम की खास बात यह है कि इसमें एयर डिफेंस गन के साथ-साथ मिसाइल भी होती है. 90 के दशक में इसे रूस से खरीदा गया था. इसकी मिसाइल 8 किलोमीटर तक किसी भी एरियल टार्गेट को एंगेज कर सकती है, जबकि इसकी गन 3.5 किलोमीटर तक मार करती है. यह गन भारतीय एयर डिफेंस गन सिस्टम में सबसे लेटेस्ट है.
स्ट्रेला 10M
यह सर्फेस टू एयर मिसाइल सिस्टम शॉर्ट रेंज मिसाइल सिस्टम है. इसे कम ऊंचाई पर उड़ान भरने वाले टार्गेट को निशाना बनाने के लिए डिजाइन किया गया था. यह 500 मीटर से लेकर 5 किलोमीटर तक किसी भी खतरे को निशाना बना सकती है. एक प्लेटफॉर्म पर 4 मिसाइल होती हैं. इसके साथ 8 और मिसाइल को वाहन में कैरी किया जा सकता है. मिसाइल फायर होने के महज 3 मिनट में इसे फिर से लोड किया जा सकता है. इसकी मिसाइल मैक 2 की अधिकतम रफ्तार से दुश्मन के अटैक की तरफ बढ़ती है. इस सिस्टम की सुरक्षा के लिए 7.62 MM की मशीन गन लगी होती है. खास बात यह भी है कि यह समुद्र तल से 11,500 फीट की ऊंचाई पर आसानी से काम कर सकती है.
ओसा AK
OSA-AK भी शॉर्ट रेंज सर्फेस टू एयर मिसाइल सिस्टम है. इसे भी 80 के दशक में रूस से खरीदा गया था. यह फर्स्ट मोबाइल एयर डिफेंस सिस्टम के तौर पर इस्तेमाल में लाया जाता है. OSA-AK 12 किलोमीटर दूर किसी भी दुश्मन के एयरक्राफ्ट, हेलिकॉप्टर और ड्रोन पर सटीक निशाना लगा सकता है. इस सिस्टम में टार्गेट को 40 किलोमीटर दूर से डिटेक्ट करने और 30 किलोमीटर तक लगातार ट्रैक करने वाले रडार लगे हैं. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इसी सिस्टम ने कई तुर्की के ड्रोन को मार गिराया.
पिचौरा
पिचौरा मिसाइल सिस्टम एक सोवियत-निर्मित मीडियम रेंज सर्फेस टू एयर मिसाइल सिस्टम है. भारत ने इस सिस्टम को 1970 के दशक में खरीदा था. भारतीय वायु सेना के एयरबेस की सुरक्षा में इसकी तैनाती है. पिचौरा सिस्टम की फायरिंग रेंज 18 से 25 किलोमीटर है. यह सिस्टम फाइटर, हेलीकॉप्टर, क्रूज मिसाइल, ड्रोन को आसानी से एंगेज कर सकता है. यह 100 किलोमीटर दूर से भी टार्गेट को डिटेक्ट कर सकता है. खास बात यह भी है कि इसे मोबाइल और स्टेशनरी दोनों तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है. एक सिस्टम में 3 मिसाइल होती हैं.