Last Updated:August 04, 2025, 12:34 IST
Shibu Soren News: दिशोम गुरु शिबू सोरेन दुमका से आठ बार लोकसभा सांसद रहे और झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री भी बने. तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बनने में सफल तो रहे, लेकिन दुर्भाग्य यह भी रहा कि हर बार उनकी कुर्...और पढ़ें

हाइलाइट्स
2005 में 10 दिन में कुर्सी गंवाई, गठबंधन की कमजोरी ने रोका सोरेन का शासन.2009 में तमाड़ उपचुनाव हार, शिबू सोरेन को छोड़ना पड़ा मुख्यमंत्री का पद. 2010 में BJP ने छोड़ा साथ, गठबंधन टूटने से सोरेन की सत्ता फिर डगमगाई.रांची. दिशोम गुरु शिबू सोरेन…मतलब संघर्ष से भरे व्यक्तित्व की वो प्रतिमूर्ति जिन्होंने अपने पूरे जीवन काल में दर्द सहते रहे और सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर कई लड़ाइयां लड़ीं. इस कठिन राह में कई बार उनके सामने अनेकों चुनौतियां आईं, लेकिन ‘शिबू सोरेन अमर रहे’ के उद्घोष के साथ अंत में वह जग को जीत कर चले गए. हालांकि, वह जहां झारखंड आंदोलन की पहचान बने, वहीं उनके संघर्ष भरी जीवन यात्रा में कई ऐसी घटनाएं घटीं जो काफी ट्रैजिक रहीं. इनमें से एक वाकया यह भी है कि वह झारखंड प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन तीनों ही बार उनकी कुर्सी बिना कार्यकाल पूरा किये ही चली गई. आखिर ऐसा क्यों हुआ, क्या कारण रहे और कैसी परिस्थितियां बनीं? आइये इस कहानी को विस्तार से जानते हैं.
पहला कार्यकाल: 2005 में 10 दिन की सत्ता
शिबू सोरेन ने 2 मार्च 2005 को पहली बार झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. यह मौका JMM, कांग्रेस और राजद के गठबंधन के बाद आया था. लेकिन, उनकी सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए 10 दिन का समय दिया गया. सोरेन बहुमत का जादुई आंकड़ा हासिल नहीं कर सके और विपक्ष के दबाव में 11 मार्च को उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. इस संक्षिप्त कार्यकाल ने उनकी गठबंधन राजनीति की कमजोरियों को स्पष्ट किया.
दूसरा कार्यकाल: 2008-09 में हार का सामना
27 अगस्त 2008 को शिबू सोरेन दूसरी बार मुख्यमंत्री बने. इस बार JMM और BJP के गठबंधन ने उन्हें सत्ता दिलाई. लेकिन नियमानुसार, उन्हें छह महीने के भीतर विधानसभा का सदस्य बनना था. शिबू सोरेन ने तमाड़ उपचुनाव लड़ा, लेकिन जनवरी 2009 में झारखंड पार्टी के गोपाल कृष्ण पतर से 9,062 वोटों से हार गए. विधायक नहीं बन पाने के कारण उन्हें 12 जनवरी 2009 को इस्तीफा देना पड़ा. इस हार ने उनकी साख को झटका दिया.
तीसरा कार्यकाल: 2009-10 में गठबंधन का धोखा
30 दिसंबर 2009 को सोरेन तीसरी बार मुख्यमंत्री बने, जब JMM और BJP ने फिर गठबंधन किया. लेकिन मई 2010 में गठबंधन टूट गया जब सोरेन ने लोकसभा में UPA सरकार के समर्थन में वोट दिया, जबकि BJP इसका हिस्सा थी. नाराज BJP ने 24 मई को समर्थन वापस ले लिया और सोरेन को 31 मई 2010 को इस्तीफा देना पड़ा. गठबंधन की इस टूट ने उनकी सत्ता को फिर अस्थिर कर दिया और उनकी कुर्सी फिर से छिन गई.
शिबू सोरेन पर रहा विवादों का साया
शिबू सोरेन का राजनीतिक जीवन जहां उपलब्धियों की गाथा है वहीं, उनका दौर विवादों से भी भरा रहा है. 1975 के चिरूडीह कांड और 1994 में उनके निजी सचिव शशिनाथ झा की हत्या के मामले ने उनके करियर को प्रभावित किया. 2004 में चिरूडीह कांड में गिरफ्तारी का वारंट और 2006 में झा हत्याकांड में सजा ने उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया. हालांकि, बाद में वह दोनों मामलों में बरी हो गए थे. इन विवादों ने उनकी सत्ता को बार-बार अस्थिर किया.
पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट...और पढ़ें
पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट...
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Location :
Ranchi,Jharkhand
First Published :
August 04, 2025, 12:34 IST