Last Updated:May 12, 2025, 15:44 IST
Transgender beauty pageant: तमिलनाडु के विल्लुपुरम और कल्लाकुरिची में हर साल ट्रांसजेंडर महिलाओं की मिस कूवगम और मिस त्रिनंगई प्रतियोगिताएं होती हैं. यहां आत्मविश्वास, चाल-ढाल, जवाबों और व्यवहार के आधार पर विजे...और पढ़ें

मिस कूवगम 2025
विल्लुपुरम और कल्लाकुरिची जिलों में हर साल बड़े जोश और धूमधाम से मिस कूवगम 2025 और मिस त्रिनंगई 2025 सौंदर्य प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं. इस खास आयोजन में ट्रांसजेंडर महिलाएं अपने हुनर, आत्मविश्वास और सुंदरता का जलवा बिखेरती हैं. यह कार्यक्रम सिर्फ एक सौंदर्य प्रतियोगिता नहीं, बल्कि ट्रांसजेंडर समुदाय के आत्मसम्मान और पहचान का प्रतीक बन चुका है.
देशभर से आती हैं प्रतिभागी ट्रांसजेंडर महिलाएं
तमिलनाडु के कोने-कोने से लेकर देश के कई राज्यों से ट्रांसजेंडर महिलाएं इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए आती हैं. इस मेले और प्रतियोगिता का एक अलग ही माहौल होता है, जहां खुशियां, रंग और गर्व एक साथ देखने को मिलते हैं. प्रतिभागियों के लिए यह मंच एक ऐसा मौका होता है, जहां वे अपनी प्रतिभा और आत्मबल को सबके सामने रखती हैं.
कई राउंड में होती है चयन प्रक्रिया
प्रतियोगिता में भाग लेने वाली ट्रांसजेंडर महिलाओं का चयन अलग-अलग राउंड्स में किया जाता है. पहले और दूसरे राउंड के बाद जो प्रतिभागी सबसे बेहतर प्रदर्शन करती हैं, उन्हें आगे बढ़ाया जाता है. फाइनल राउंड में टॉप 5 प्रतिभागियों से सामान्य ज्ञान का एक सवाल पूछा जाता है. उसके बाद, उनके जवाबों और आत्मविश्वास के आधार पर टॉप 3 को चुना जाता है और उन्हीं में से एक को मिस ट्रांसजेंडर 2025 का खिताब मिलता है.
कई खूबियों के आधार पर होता है चुनाव
प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाली महिलाओं का चयन सिर्फ सुंदरता पर नहीं, बल्कि उनके पहनावे, चलने के तरीके, बोलने की कला, आत्मविश्वास और जजों से संवाद करने के तौर-तरीकों के आधार पर होता है. एक खास बात यह भी है कि प्रतियोगिता में जजों और प्रतिभागियों के बीच आंख से आंख मिलाकर बात करना बहुत मायने रखता है. यह आत्मविश्वास और ईमानदारी का प्रतीक माना जाता है.
सीनियर ट्रांसजेंडर देती हैं सहयोग और हौसला
ट्रांसजेंडर समुदाय की वरिष्ठ सदस्य सुधा कहती हैं कि इस प्रतियोगिता की सबसे अच्छी बात यह है कि सीनियर ट्रांसजेंडर महिलाएं नई और जूनियर प्रतिभागियों को हर कदम पर गाइड करती हैं. वे उन्हें चलने, बोलने, सवालों के जवाब देने और मंच पर कैसे पेश आना है, जैसी कई चीजें सिखाती हैं. यह अपने आप में एक परिवार जैसा माहौल होता है, जहां एक-दूसरे का साथ और सहयोग सबसे बड़ी ताकत बन जाता है.
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