इंडिगो के घर में चौकीदार, क्‍या है ओवरसाइट टीम, कैसे कसी एयरलाइन की नकेल?

1 hour ago

Indigo Cancellation Crisis: 10 दिसंबर की सुबह तक आते‑आते इंडिगो का ऑपरेशन दिखने में तो लगभग सामान्य दिख रहा था, लेकिन पर्दे के पीछे सरकार और डीजीसीए की तरफ से दबाव चरम पर पहुंच चुका था. नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एयरलाइन के विंटर शेड्यूल में कम से कम 10% कट लगाने का निर्णय बरकरार रखा, जिसका मतलब यह था कि प्रतिदिन 200 से अधिक उड़ानें अस्थायी तौर पर नेटवर्क से बाहर की जा सकती हैं. यह कदम पहले से लागू 5% कट के इतर अतिरिक्त सख्ती के तौर पर देखा गया.

इसी बीच, डीजीसीए ने एक आठ सदस्यीय ओवरसाइट टीम भी बना दी. इस टीम के दो अधिकारी अब रोजाना इंडिगो के गुरुग्राम स्थित एयरलाइन हाउस में तैनात रहेंगे. इनमें एक अधिकारी फ्लीट, पायलट के नंबर, एवरेज स्टेज लेंथ, नेटवर्क, क्रू की तैनाती, प्रशिक्षण, डेडहेडिंग, स्प्लिट ड्यूटी जैसे मैट्रिक्स की निगरानी करेगा, जबकि दूसरा फ्लाइट कैंसलेशन, रिफंड, ऑन‑टाइम परफॉर्मेंस, बैगेज रिटर्न की स्थिति पर रिपोर्ट तैयार करेगा. दोनों टीमें रोजाना शाम छह बजे तक डीजीसीए के जॉइंट डीजी को अपनी रिपोर्ट सौपेंगे.

एयरलाइन के जवाब की जारी है समीक्षा
इसी बीच, डीजीसीए द्वारा इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स और सीओओ को भेजे गए शो‑कॉज नोटिस पर एयरलाइन ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है. अब जवाब की डीजीसीए कर रहा है. अपने जवाब में इंडिगो ने टेक्निकल ग्लिच, विंटर शेड्यूल री‑अलाइनमेंट, खराब मौसम, एयर ट्रैफिक कंजेशन और एफडीटीएल फेज‑2 के अनुसार क्रू की उपलब्धता को मेल्टडाउन का कारण बताया है. रिपोर्ट में इंडिगो ने दावा किया है कि नियमों के मुताबिक पैसेंजर्स को मील कूपन, होटल, लोकल ट्रांसपोर्ट और रिफंड की सहूलियतें दी गई हैं.

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दिसंबर के पहले हफ्ते में इंडिगो पर क्रू रोस्टरिंग में गड़बड़ी की वजह से रिकॉर्ड स्तर पर फ्लाइट कैंसिलेशन और डिले हुए. नतीजतन लाखों पैसेंजर्स को परेशानी का सामना करना पड़ा. संकट के बढ़ने पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने पहले 5% और फिर कुल 10% तक इंडिगो के विंटर शेड्यूल में कटौती का आदेश दिया है, जिसके तहत एयरलाइन को अपने सभी डेस्टिनेशन कवर करने के लिए कहा गया है. डीजीसीए ने आठ सदस्यीय ‘ओवरसाइट टीम’ गठित कर दो‑दो अधिकारियों को रोज इंडिगो के गुरुग्राम कॉर्पोरेट ऑफिस में तैनात करने का फैसला लिया, जो ऑपरेशन और पैसेंजर‑हैंडलिंग दोनों पर नजर रखेंगे. एयरलाइन हाउस में तैनात डीजीसीए की एक टीम एयरक्राफ्ट फ्लीट, पायलट के नंबर्स, एवरेज स्टेज लेंथ, क्रू की तैनाती, डेडहेडिंग, ट्रेनिंग, स्प्लिट ड्यूटी और छुट्टियों जैसे तकनीकी‑ऑपरेशनल मैट्रिक्स की निगरानी रखेगी. डीजीसीए की दूसरी टीम का फोकस फ्लाइट कैंसिलेशन, रिफंड, मुआवजे, ऑन‑टाइम परफॉर्मेंस और बैगेज रिटर्न पर रहेगा. दोनों टीमें रोजाना शाम अपनी रिपोर्ट डीजीसीए में ज्‍वाइंट डीजी को देंगी. इंडिगो के चेयरमैन विक्रम सिंह मेहता ने सार्वजनिक माफी मांगते हुए कहा है कि एयरलाइन ने पैसेंजर्स को निराश किया है. उन्‍होंने यह साफ करने की कोशिश भी की है कि एयरलाइन ने यह संकट जानबूझ कर खड़ा नहीं किया है. बोर्ड स्तर पर इमरजेंसी मीटिंग, क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप और एक बाहरी टेक्निकल एक्सपर्ट के साथ रूट कॉज एनालिसिस जैसी पहलें शुरू की गई हैं ताकि सिस्टम की कमजोरियों की पहचान कर सुधार किया जा सके. दिल्ली हाईकोर्ट में यात्रियों की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान अदालत ने केंद्र और डीजीसीए से पूछा कि क्या मौजूदा नियम भविष्य में ऐसे मेल्टडाउन से यात्रियों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त हैं या नए प्रोटेक्शन की जरूरत है.

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डीजीसीए की ‘ओवरसाइट टीम’ क्या है और उसका मैनडेट क्या रहेगा?
ओवरसाइट टीम आठ सीनियर फ्लाइट ऑपरेशंस इंस्पेक्टर्स का ग्रुप है. इनमें से कुछ रोज इंडिगो के गुरुग्राम ऑफिस में बैठकर कंपनी के ऑपरेशन, क्रू मैनेजमेंट और शेड्यूलिंग पर नजर रखेंगे. हर शाम ये डीजीसीए को रिपोर्ट भेजेंगे. इनका काम यह देखना है कि पायलट्स की उपलब्धता, फ्लाइट कैंसिल, रिफंड, मुआवजा और बैगेज रिटर्न जैसे मसलों पर एयरलाइन कितनी गंभीरता से काम कर रही है.

10% शेड्यूल कट का यात्रियों और इंडिगो पर क्या असर होगा?
10% कट का मतलब है कि इंडिगो अपने विंटर शेड्यूल से रोज़ करीब 200 फ्लाइट अस्थायी रूप से हटा देगी. पैसेंजर्स के लिए इसका असर यह होगा कि कुछ रूट्स पर फ्लाइट कम होंगी और विकल्प सीमित होंगे. लेकिन कम शेड्यूल की वजह से फ्लाइट कैंसिल कम हो सकती हैं और सफर थोड़ा स्थिर हो सकता है. इसका असर एयरलाइन की कमाई पर भी पड़ेगा.

दिसंबर की शुरुआत में हालात इतने बिगड़े कैसे?
इंडिगो ने बताया कि नए FDTL रूल्स के हिसाब से क्रू रोस्टरिंग में बड़ी गलती हुई. साथ ही कुछ तकनीकी दिक्कतें, विंटर शेड्यूल बदलना, खराब मौसम और एयर ट्रैफिक कंजेशन ने मिलकर सिस्टम को ओवरलोड कर दिया. इन सबके कारण पायलट उपलब्धता घट गई और फ्लाइट समय पर चलाना मुश्किल हो गया, जिसकी वजह से कई फ्लाइट कैंसल करनी पड़ीं.

क्या छूट लेने के लिए इंडिगो ने संकट जानबूझकर बनाया?
इंडिगो का कहना है कि यह संकट जानबूझकर नहीं बनाया गया. कंपनी का कहना है कि उन्होंने किसी भी नियम में ढील लेने की कोशिश नहीं की. हां, वे मानते हैं कि प्लानिंग में गलती हुई और कुछ चीजों गलत अनुमान लगाया गया. लेकिन एयरलाइन का दावा है कि उन्‍होंने सुरक्षा और क्रू रेस्ट को लेकर कोई समझौता नहीं किया गया है.

यात्रियों के रिफंड और मुआवज़े की क्या स्थिति है?
सरकार के मुताबिक इंडिगो ने 6 दिसंबर तक कैंसल फ्लाइट्स के सभी रिफंड पूरे कर दिए हैं. आगे भी रिफंड और रीबुकिंग जारी है. डीजीसीए की दूसरी टीम रोज चेक कर रही है कि नियमों के अनुसार पैसेंजर्स को फुल रिफंड, होटल, वैकल्पिक फ्लाइट, मील कूपन जैसी सुविधाएं समय पर मिल रही हैं या नहीं और कहीं कोई देरी तो नहीं है.

दिल्‍ली हाईकोर्ट मामले में सुनवाई पर क्या कहा है?
दिल्ली हाईकोर्ट ने उड्डयन मंत्रलय और डीजीसीए से पूछा है कि मौजूदा नियम इतने बड़े संकट में पैसेंजर्स की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा करने के लिए काफी हैं या नहीं. कोर्ट यह भी देख रहा है कि क्या एयरलाइन पर और सख्त नियम या पेनल्टी लगनी चाहिए. अदालत का मकसद यह है कि भविष्य में ऐसे मामलों में पैसेंजर्स को जल्दी राहत मिले और उन्हें लंबे समय तक लड़ाई न लड़नी पड़े.

इंडिगो का ऑपरेशन अभी कितना स्टेबल है?
इंडिगो कहता है कि अभी वह रोज़ 1800–1900 फ्लाइट चला रहा है और उसके सभी 138 डेस्टिनेशन वापस नेटवर्क में जुड़ गए हैं. हालांकि यह संख्या उसके पीक समय से कम है. डेटा दिखाता है कि फ्लाइट कैंसिलेशन पहले के मुकाबले घटे हैं, लेकिन 10% कट की वजह से क्षमता पर अभी भी दबाव है और पूरी स्थिरता आने में थोड़ा समय लगेगा.

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