इजरायली हमले से तिलमिलाया ईरान, दागे 100 ड्रोन- तबाही तय.. नई जंग की बिछ गई बिसात!

1 day ago

Israel Iran Clash: मिडिल ईस्ट एक बार फिर से सुलग उठा है. इजरायल की तरफ से ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर किए गए भीषण हमले के बाद ईरान ने जवाबी कार्रवाई की है. ईरान ने पलटवार करते हुए इजरायल पर 100 से अधिक ड्रोन और मिसाइलों से हमला किया है. यह हमला शुक्रवार सुबह शुरू हुआ जिसे ईरान ने ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस’नाम दिया. पहले इजरायल ने ऑपरेशन राइजिंग लॉयन के तहत ईरान के ठिकानों पर स्ट्राइक की जिसमें ईरान के नतांज और फोर्दो परमाणु केंद्रों को निशाना बनाया गया. अब सवाल है कि क्या यह युद्ध आगे बढ़ेगा आगरा ऐसा हुआ तो मिडिल ईस्ट में सिर्फ तबाही दिखेगी.

असल में ईरान के बड़े सैन्य अधिकारी और परमाणु वैज्ञानिक इस हमले में मारे गए हैं. फिर अब ईरान ने पलटवार किया है. हालांकि इजरायल को इस हमले से फिलहाल सीमित नुकसान होने की संभावना है क्योंकि उसने पहले से ही अपनी रक्षा प्रणालियों को हाई अलर्ट पर रखा था. इजरायल की सेना IDF ने दावा किया कि उनके पास बहुत ही अपडेटेड आयरन डोम और अन्य हवाई डिफेंस सिस्टम हैं जो ड्रोन और मिसाइलों को हवा में ही नष्ट करने में सक्षम हैं. 

इजरायल ने आपातकाल घोषित कर दिया

एक रिपोर्ट के मुताबिक इजरायल के 200 से अधिक लड़ाकू विमानों ने पहले ही ईरान के कुछ ठिकानों को तबाह कर दिया है. बदले में अगर कुछ ड्रोन या मिसाइलें इजरायल के हवाई रक्षा तंत्र को भेदने में कामयाब होती हैं तो तेल अवीव और यरुशलम जैसे शहरों में सीमित नुकसान होगा. इजरायल ने आपातकाल घोषित कर दिया है और नागरिकों को बम शेल्टरों में भेजा गया है.

असली युद्ध का खतरा अब बढ़ गया

लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि असली युद्ध का खतरा अब बढ़ गया है क्योंकि दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है. ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई ने कहा है कि इजरायल को इस हमले की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. यह संघर्ष अब पूरे मिडिल ईस्ट में फैल सकता है जिसमें ईरान समर्थित समूह हिजबुल्लाह, हमास और हूती विद्रोही शामिल हो सकते हैं. कमजोर होने के बाद भी हिजबुल्लाह लेबनान से और हूती यमन से इजरायल पर हमले तेज कर सकते हैं.

इजरायल इसके लिए पूरी तरह से तैयार बैठा

अगर ईरान अपनी बैलिस्टिक मिसाइलों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करता है तो इजरायल इसके लिए पूरी तरह से तैयार बैठा. इस युद्ध में वैश्विक शक्तियों के शामिल होने की भी आशंका है जो इस युद्ध को और भी खतरनाक बना सकता है. अमेरिका पहले से ही क्लियर है कि ईरान परमाणु हथियार नहीं बना सकता है. वह इस बात को लेकर भी क्लियर है कि वह इजरायल की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और उसकी सेना क्षेत्र में तैनात है. 

अमेरिका यही चाहता है?

दूसरी तरफ रूस और चीन जैसे देश ईरान के साथ अपने रणनीतिक संबंधों के कारण उसका समर्थन कर सकते हैं. अगर ये देश प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से युद्ध में शामिल होते हैं तो यह एक बड़े युद्ध की आहट बन सकता है. तेल की आपूर्ति पर भी इसका गहरा असर पड़ेगा. एक्सपर्ट्स का एक पॉइंट यह भी है कि ईरान का अगर किसी ने खुलकर साथ नहीं दिया तो वह कमजोर होगा. अमेरिका यही चाहता है. इसके बाद ईरान की स्थिति भी मिडिल ईस्ट के बाकी मुस्लिम देशों की तरह हो जाएगी. अब देखना होगा कि दोनों में से क्या स्थिति बनेगी.

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