इधर इंडोनेशिया, उधर पाकिस्तान… भूकंप से कितने सेफ भारत के न्यूक्लियर प्लांट्स?

1 hour ago

India Nuclear Plants: संसद में परमाणु ऊर्जा को लेकर चली चर्चा के बीच भारत के न्यूक्लियर प्लांट्स की सुरक्षा एक बार फिर केंद्र में आ गई. ‘द सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया बिल, 2025’ (SHANTI बिल) पर बहस के दौरान केंद्रीय मंत्री डॉ. जीतेंद्र सिंह ने साफ कहा कि भारत के परमाणु संयंत्र भूकंपीय जोखिम वाले इलाकों से काफी दूर स्थित हैं. उनका जोर इस बात पर था कि भारत का परमाणु विस्तार सुरक्षा से समझौता किए बिना आगे बढ़ रहा है.

मंत्री ने संसद में बताया कि पूर्वी तट पर कुडनकुलम न्यूक्लियर प्लांट के पास कोई बड़ा भूकंपीय जोन नहीं है. वहीं सबसे नजदीकी जोखिम क्षेत्र इंडोनेशिया में है, जबकि पश्चिमी तट की ओर पाकिस्तान का मकरान भूकंपीय जोन काफी दूरी पर पड़ता है. यह बयान ऐसे समय आया है, जब SHANTI बिल के जरिए 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु क्षमता के लक्ष्य और निजी क्षेत्र की भागीदारी पर चर्चा हो रही है.

“India’s #nuclear plants are located in such a way that they are far away from seismic vulnerability. On the east, the nearest seismic zone is in Indonesia, about 300 km from the #Kudankulam plant; on the west, the nearest seismic zone is Makran, Pakistan, roughly 1,300 km away.”… pic.twitter.com/nfKJwJtkJl

क्या है SHANTI बिल और क्यों अहम है सुरक्षा?

SHANTI बिल का मकसद भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए परमाणु ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाना है. इस बिल के तहत निजी क्षेत्र को न्यूक्लियर सेक्टर में प्रवेश का रास्ता दिया जा रहा है. ऐसे में स्वाभाविक है कि सुरक्षा, खासकर भूकंप और सुनामी जैसे प्राकृतिक खतरों को लेकर सवाल उठें. सरकार का दावा है कि भारत का न्यूक्लियर प्रोग्राम ‘सेफ्टी फर्स्ट’ अप्रोच पर आधारित है.

क्रेडिट: wikipedia

मंत्री ने क्या कहा भूकंपीय खतरे पर

डॉ. जीतेंद्र सिंह ने सदन में बताया कि भारत के परमाणु संयंत्र बड़े सबडक्शन जोनों से दूर हैं. उनके अनुसार पूर्व में कुडनकुलम संयंत्र से नजदीकी भूकंपीय क्षेत्र इंडोनेशिया में है और पश्चिम में पाकिस्तान का मकरान जोन लगभग 1300 किलोमीटर दूर है. उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय संयंत्रों को भूकंप और सुनामी जैसी आपदाओं को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है.

भारत में भूकंप का असली जोखिम कहां से?

भारत में भूकंपीय खतरा मुख्य रूप से स्थानीय और क्षेत्रीय प्लेट टेक्टॉनिक्स से जुड़ा है, न कि दूरस्थ समुद्री सबडक्शन जोनों से. भारतीय मानक ब्यूरो (IS 1893) के अनुसार देश को जोन II से जोन V तक बांटा गया है. अच्छी बात यह है कि भारत का कोई भी परमाणु संयंत्र सबसे खतरनाक जोन V (हिमालयी क्षेत्र) में नहीं है.

भारत के न्यूक्लियर प्लांट्स और भूकंपीय जोन:

तारापुर (महाराष्ट्र): जोन II–III कुडनकुलम और कलपक्कम (तमिलनाडु): जोन II–III कैगा (कर्नाटक): जोन II–III रावतभाटा (राजस्थान): जोन II–III नरोरा (उत्तर प्रदेश): जोन IV जोन V में कोई भी परमाणु संयंत्र नहीं.

संयंत्र कैसे किए जाते हैं भूकंप-रोधी

हर न्यूक्लियर प्लांट को साइट-स्पेसिफिक सेफ शटडाउन अर्थक्वेक (SSE) के हिसाब से डिजाइन किया जाता है. इसका मतलब है कि संयंत्र उस क्षेत्र में आए सबसे गंभीर संभावित भूकंप के बावजूद सुरक्षित तरीके से रिएक्टर को बंद कर सके. फुकुशिमा हादसे के बाद भारत ने सभी मौजूदा संयंत्रों की अतिरिक्त सुरक्षा समीक्षा की और ऊंची समुद्री दीवारें, बैकअप पावर सिस्टम और आपातकालीन कूलिंग जैसी व्यवस्थाएं और मजबूत की गईं.

भारत में कहां-कहां हैं न्यूक्लियर प्लांट्स

दिसंबर 2025 तक भारत में 25 ऑपरेशनल न्यूक्लियर रिएक्टर्स हैं, जो सात प्रमुख पावर स्टेशनों में फैले हैं. इनमें तारापुर, रावतभाटा, कलपक्कम, नरोरा, कैगा, काकरापार और कुडनकुलम शामिल हैं. इसके अलावा कई नए प्रोजेक्ट निर्माणाधीन हैं. इनसे कुल क्षमता तेजी से बढ़ेगी.

आगे की योजना और चुनौती

सरकार का लक्ष्य 2032 तक 22.4 गीगावाट और 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु क्षमता हासिल करना है. इसके लिए सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन सबसे बड़ी शर्त है.

आगे का रोडमैप:

कम-से-कम भूकंपीय जोखिम वाले स्थलों का चयन. साइट-विशिष्ट डिजाइन और नियमित सेफ्टी ऑडिट. फुकुशिमा के सबक के आधार पर अपग्रेड. निजी भागीदारी के साथ कड़े रेगुलेटरी नियम.
Read Full Article at Source