Last Updated:March 31, 2025, 09:02 IST
Imarat e Sharia leadership controversy: इमारत-ए-शरिया में नेतृत्व को लेकर विवाद छिड़गया है जिससे मुस्लिम समाज के भीतर हलचल है और इस मुद्दे के समाधान की कोशिशें जारी हैं. वहीं, दूसरी ओर इसमें राजनीतिक हस्तक्षेप ...और पढ़ें

इमारत ए शरिया में मौलाना शिबली कासमी को हटाकर मौलाना सईदुर्रहमान कासमी को नाजिम और मौलाना अनिसुर रहमान कासमी को अमीर-ए-शरीयत बनाया गया.
हाइलाइट्स
पटना के फुलवारी शरीफ इमारत-ए-शरिया में नेतृत्व को लेकर विवाद.इमारत ए शरिया के दो गुटों में टकराव, राजनीतिक हस्तक्षेप की आशंका.पटना के मुस्लिम समाज में हलचल, वरिष्ठ लोग मध्यस्थता की कोशिश में.पटना. फुलवारी शरीफ स्थित मुसलमानों के लिए बने बिहार झारखंड और ओडिशा की प्रमुख संस्था इमारत-ए-शरिया में नेतृत्व को लेकर भारी विवाद छिड़ गया है. ट्रस्ट की कुर्सी को लेकर जारी घमासान में दो गुट आमने-सामने हैं. एक पक्ष ने नाजिम पद से मौलाना शिबली कासमी को हटाकर मौलाना सईदुर्रहमान कासमी को नया नाजिम बना दिया, तो वहीं दूसरे पक्ष ने मौलाना फजल बली रहमानी को अमरीकी नागरिक बताते हुए उनके स्थान पर मौलाना अनिसुर रहमान कासमी को नया अमीर-ए-शरीयत घोषित कर दिया. इस पूरे घटनाक्रम के बाद मुस्लिम समाज में हलचल मच गई है.
इस विवाद के पीछे राजनीतिक हस्तक्षेप की आशंका जताई जा रही है. एक पक्ष पर जेडीयू से जुड़े होने का आरोप है, जबकि दूसरे पक्ष को राजद का समर्थन प्राप्त बताया जा रहा है. राजनीतिक दखलअंदाजी के कारण इमारत-ए-शरिया के अंदरूनी मामलों में गहरा संकट उत्पन्न हो गया है, जिससे संस्था की साख पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. मौलाना सईदुर्रहमान कासमी के समर्थकों का कहना है कि उनका चयन इमारतें सरिया के ट्रस्टी ने सही प्रक्रिया से हुआ है और वे इस पद के योग्य हैं. वहीं, मौलाना अनिसुर रहमान कासमी को अमीर-ए-शरीयत बनाए जाने वाले पक्ष के ट्रस्टी और पूर्व राज्य सभा सांसद अशफाक करीम का आरोप है कि मौलाना फजल बली रहमानी भारतीय नागरिक नहीं है, वह अमरीकी नागरिक हैं. उनके पासपोर्ट में भी उनके USA की नागरिक होने का प्रमाण है, इसलिए उन्हें इंडियन पर्सनल बोर्ड ने इस जानकारी के बाद उन्हें सचिव पद से हटा दिया है, ऐसे में इमारत ए शरिया कैसे एक विदेशी नागरिक के हाथों अपनी कमान दे सकता है, इसलिए उन्हें हटा दिया गया है. साथ ही इनके रहने से ट्रस्ट के पैसे में भी कमी आई है, जहां करोड़ों होते थे उस ट्रस्ट के अकाउंट पर अब लाखों भी नहीं रहे.
वहीं, नए नाजिम बनाए गए सईदुर्रहमान कासमी ने कहा है कि इसमें जेडीयू के नेता का हस्तक्षेप हो रहा है और ईद के पहले बवाल किया जा रहा है. हालांकि, मामला अभी शांत हो गया है और ट्रस्ट में घोटाले की बात आ रही है तो हम 25 दिन पहले नाजिम बने हैं, इससे पहले वाले से इसका हिसाब मांगा जाए. रहा सवाल अमीर ए शरीयत के विदेशी नागरिक होने की तो ऐसा ट्रस्ट में कोई जिक्र नहीं है. इन्होंने बताया कि नीतीश कुमार के इफ्तार पार्टी में नहीं जाना और वक्फ बोर्ड के विरोध से नीतीश कुमार के खफा होने की वजह से इमारत ए शरिया को तोड़ने की राजनीतिक कोशिश की जा रही है.
बहरहाल, इस विवाद को लेकर मुस्लिम समाज के वरिष्ठ लोग मध्यस्थता की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन फिलहाल कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है. इमारत-ए-शरिया जैसे प्रतिष्ठित धार्मिक संस्थान में इस तरह का टकराव चिंता का विषय बन गया है. आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मामला सुलझता है या फिर कानूनी लड़ाई का रूप लेता है. हालांकि, चर्चा में तो अब यह बात आ ही गई है कि इबादत में सियासत नहीं होनी चाहिए. अगर इफ्तार के दौरान इसको लेकर सियासत हुई है तो अब उसके साइड इफेक्ट भी देखने ही पड़ेंगे. जाहिर है वक्त का इंतजार कीजिये और देखिये यह विवाद आगे कौन सा रुख अख्तियार करता है.
First Published :
March 31, 2025, 09:02 IST