इस उद्यमी को गांधीजी क्यों मानते थे 5वां बेटा, आंदोलन से जुड़े और 3 बार जेल गए

1 day ago

Last Updated:August 18, 2025, 12:14 IST

Jamnalal Bajaj: जमनालाल बजाज बजाज समूह के संस्थापक थे, जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया और तीन बार जेल गए. महात्मा गांधी उन्हें अपना पांचवां बेटा मानते थे. बजाज समूह आज 40 से ज्यादा कंपनियों का समूह है.

इस उद्यमी को गांधीजी क्यों मानते थे 5वां बेटा, आंदोलन से जुड़े और 3 बार जेल गएजब महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे तो जमनालाल बजाज उनकी शिक्षाओं के प्रशंसक बन गए.

Jamnalal Bajaj: बजाज एक ऐसा नाम है जिससे ज्यादातर भारतीय परिचित हैं. हममें से ज्यादातर लोगों के घरों में बजाज का कोई न कोई उपकरण जरूर रहा होगा. आज आइए बजाज समूह की कंपनियों के संस्थापक जो महात्मा गांधी के करीबी सहयोगियों में से एक थे के बारे में जानें. जमनालाल बजाज का जन्म 4 नवंबर 1889 को राजस्थान के काशी का बास नामक गांव में एक गरीब परिवार में हुआ था. 1894 में उन्हें एक धनी व्यापारी सेठ बच्छराज बजाज ने गोद ले लिया. 12 साल की उम्र में उनका विवाह जानकी देवी से हो गया और 17 साल की उम्र में वह वर्धा (महाराष्ट्र) में अपने दत्तक माता-पिता के पारिवारिक व्यवसाय में शामिल हो गए. 

कंपनी की बागडोर संभालने के बाद जमनालाल बजाज ने कई कारखाने और कंपनियां स्थापित कीं. जमनालाल बजाज ने 1920 के दशक में शुगर मिल के जरिये बजाज ग्रुप की नींव रखी.  स्‍वतंत्रता आंदोलन में उन्‍हें ब्रिटिश हुकूमत ने तीन बार जेल में डाल दिया था. इस समय उनकी 40 से ज्‍यादा कंपनियां हजारों लोगों को रोजगार दे रही हैं. आज बजाज समूह देश के प्रमुख औद्योगिक घरानों में से एक है. जब महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे तो बजाज उनकी शिक्षाओं के प्रशंसक बन गए और चाहते थे कि वे वर्धा को अपने स्वतंत्रता आंदोलन का केंद्र बनाएं. बाद में जमनालाल बजाज ने महात्मा गांधी को 20 एकड़ जमीन दान कर दी. जमनालाल को महात्मा गांधी ने अपने बेटे के रूप में गोद लिया था.

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गांधीजी मानते थे पांचवीं संतान
महात्मा गांधी जमनालाल को अपनी पांचवीं संतान मानते थे क्योंकि वे उनसे बहुत स्नेह करते थे. बहुत धनी होने के बावजूद जमनालाल के नैतिक मूल्य और सिद्धांत अटल थे. ढेर सारी संपत्ति के मालिक होने के बावजूद उन्होंने अपने मूल्यों को नहीं खोया और जीवन की सच्चाई से अवगत रहे. फ्री प्रेस जर्नल के अनुसार, “जमनालाल बजाज ने वास्तव में गांधीवादी जीवन शैली और सिद्धांतों को अपनाया.” यह उनका ही प्रभाव था जिसकी वजह से गांधीजी वर्धा आए और इसे स्वतंत्रता संग्राम का केंद्र बनाया. अपने व्यापारिक साम्राज्य को संभालने के साथ-साथ बजाज 1939 में सीकर, बिजोलिया और जयपुर जैसी रियासतों में स्वतंत्रता संग्राम में भी सक्रिय रहे. 11 फरवरी 1942 को 52 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया.

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40 से ज्‍यादा कंपनियों का समूह
बजाज समूह वर्तमान में 40 से ज्‍यादा कंपनियों का समूह है. इनमें से कई कंपनियां शेयर बाजार में भी सूचीबद्ध हैं. बजाज कंपनी मोटरसाइकिल, स्कूटर, ऑटो रिक्शा, फैन, गीजर, एसी, कूलर के अलावा बहुत से प्रोडक्ट्स बनाती है. इसके अलावा वित्त, घरेलू उपकरण, प्रकाश व्यवस्था, लोहा और इस्पात, बीमा और यात्रा कारोबार में भी समूह की कंपनियां मौजूद हैं. इतिहासकार बिपिन चंद्र अपनी किताब ‘इंडियाज स्‍ट्रगल फॉर इंडिपेंडेंस: 1857-1947’ में लिखते हैं कि आजादी के आंदोलन में भाग लेने वालों में कई पूंजीपति भी थे, जो कांग्रेस में शामिल हुए. उनमें जमनालाल बजाज पूरी तरह से आंदोलन से जुड़े और जेल गए. 

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कांग्रेस के नियमित फाइनेंसर
उद्योगपति जमनालाल बजाज का 1921 में ऑल इंडिया तिलक मेमोरियल फंड इकट्ठा करने में अहम रोल रहा था. उन्‍होंने देश में खादी को पॉपुलर करने के लिए चलाए अभियान में एक करोड़ रुपये खर्च किया. खुद जमनालाल बजाज ने 25 लाख रुपये दान दिए थे. यही नहीं, वह दो दशक तक कांग्रेस के नियमित फाइनेंसर और बैंकर थे. जमनालाल बजाज को असहयोग आंदोलन के दौरान 1921 में जेल जाना पड़ा. फिर 1923 में उन्होंने नागपुर में राष्ट्रीय ध्वज फहराने पर लगे प्रतिबंध का उल्लंघन करते हुए झंडा सत्याग्रह में भाग लिया और ब्रिटिश सेना ने उन्हें हिरासत में ले लिया. फिर उन्‍हें जेल जाना पड़ा. इसके अलावा 1930 में दांड़ी मार्च में गांधीजी की गिरफ्तारी के बाद वह दो साल के लिए नासिक के केंद्रीय कारागार में भी रहे. 

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कितनी है बजाज की संपत्ति
बजाज समूह का सालाना टर्नओवर 280 अरब रुपये से ज्‍यादा है. बजाज फैमिली की 2022 तक सामूहिक संपत्ति 14.6 अरब डॉलर थी. बजाज ऑटो लिमिटेड 70 से ज्‍यादा देशों में निर्यात करता है. कंपनी के राजस्व का बड़ा हिस्सा निर्यात से आता है. स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उनके देशभक्तिपूर्ण कार्यों के लिए जमनालाल बजाज को सम्मानित करने के लिए भारतीय डाक विभाग द्वारा एक विशेष स्मारक डाक टिकट जारी किया गया. जमनालाल बजाज अस्पृश्यता निवारण, हिंदी को बढ़ावा देने और खादी व ग्रामोद्योग जैसी पहलों में काफी रुचि रखते थे. 

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

August 18, 2025, 12:08 IST

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