भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की आज पुण्यतिथि है. हाल के बरसों में उन्हें लेकर बहुत सी चर्चाएं हुई हैं. एक पीएम के तौर पर क्या होता था उनका रूटीन. कितनी देर सोते थे. जब मीटिंग के दौरान वह कभी कभार झपकी लेने लगे तो उनके सचिव ने उनसे क्या कहना शुरू किया. क्या उन्होंने इस पर अमल किया.
बरसों तक उनके निजी सचिव रहे एम ओ मथाई ने इस बारे में विस्तार से लिखा है. उन्होंने अपनी किताब में लिखा है कि रोजाना के जीवन में नेहरू क्या करते थे.
मथाई ने अपनी किताब “रेमिनिसेंसेज ऑफ द नेहरू एज” में लिखा है कि नेहरू ने आजादी मिलने के पहले से ही सितंबर 1946 से अपने सेक्रेट्रिएट में रविवार ही नहीं छुट्टी के दिनों में भी काम करना शुरू कर दिया था.
किताब में लिखा है कि नेहरू जबरदस्त मेहनत करते थे. उनकी रात की नींद इतनी कम होती थी कि हमें लगता था कि उन्हें कम से कम रविवार को तो कुछ आराम करना ही चाहिए, जिससे वो हफ्ते के बाकी दिनों में ज्यादा उर्जावान रहें.
मथाई लिखते हैं मैने घुमा फिराकर कई बार नेहरू से ये बात कही, लेकिन वो इसे अनसुना कर दिया कर दिया करते थे. इसका असर ये होता था कि कई बार उन्हें अपने स्टाफ को डिक्टेट करते समय जितना सचेत रहना होता था, उसमें वो कुछ बोझिल लगने लगते थे. कई बार उन्हें झपकी भी आ जाती थी.
इससे उनकी नींद और कम हो गई
मथाई लिखते हैं कि नेहरू रात में मुश्किल से पांच घंटे सोते थे. जब उन्होंने रविवार को भी सेक्रेटिएट आना शुरू कर दिया तो उनकी नींद और कम हो गई. पहले वो रविवार या छुट्टी के दिन आराम कर लिया करते थे, अब वो भी बंद हो गया. अब कई बार वो मीटिंग में झपकी लेने लगते थे.
नेहरू बहुत कम सोने वाले प्रधानमंत्रियों में थे. वो छुट्टी के दिन भी अपने सेक्रेटिएट चले आते थे
मथाई के अनुसार उन्होंने नेहरू से कहा कि उन्हें रविवार और छुट्टी के दिन दोपहर में कुछ सोना चाहिए, ये उनके लिए जरूरी है. इसका कोई फायदा नहीं हुआ, क्योंकि नेहरू को अपने स्वास्थ्य पर बहुत फख्र था.
तब वह रोजाना आधे घंटे की झपकी लेने लगे
लिहाजा अब मथाई ने दूसरा रास्ता तलाशा, उन्होंने नेहरू से कहा, उनके जो पीए और अन्य स्टाफ के लोग हैं, वो सभी विवाहित और बच्चे वाले हैं, उन्हें कम से कम एक दिन तो चाहिए कि वो अपने परिवार के साथ समय बिता पाए, सिनेमा जाए या शॉपिंग कर सकें. उनके लिए कम से कम आपको रविवार और छुट्टी वाले दिन सेक्रेट्रिएट जाना बंद कर देना चाहिए. मैं उस दिन घर पर ही आपके लिए एक दो पीए या स्टाफ अरेंज कर दूंगा, जिससे आप अपना काम वहां से ही कर पाएं..और मैं तो वहां रहूंगा ही.
वो आगे लिखते हैं, मेरी बात पूरी होने से पहले ही नेहरू ने कहा-काम कभी किसी को नहीं मारता. मेरा जवाब था, ज्यादा काम थका देता है और आप थकान अफोर्ड नहीं कर सकते. ये बात नेहरू के समझ में आ गई और वो रविवार और छुट्टियों के दिन लंच के बाद कुछ आराम करने लगे. बाद में वो रोज लंच के बाद आधे घंटे की झपकी लेने लगे.
नेहरू का दिन सुबह चार बजे शुरू होता था, जो देर रात तक चलता था
देर से सोते थे
अगर रिपोर्ट्स और किताबों की मानें तो जवाहर लाल नेहरू सुबह करीब चार बजे उठ जाते थे. वो योगासन करते थे, जिसमें शीर्षासन शामिल होता था. फिर वो कुछ देर प्रधानमंत्री हाउस के लान में टहलते थे. दिन में उनके लंच का टाइम आमतौर पर तय था लेकिन रात का डिनर अक्सर लेट होता था. वो देर से सोने वाले लोगों में थे. वो दिन में करीब 16 घंटे से ज्यादा काम करते और फाइलों को देखते हुए बिताते थे.
किस तरह की ड्राफ्टिंग कराते थे
मथाई ने किताब में कहा है, नेहरू को दुूनिया में बेहतरीन अंग्रेजी गद्य लिखने वाले प्रधानमंत्री के रूप में माना जाता था. वो दिन पांच ऐसे पत्र जरूर लिखाते थे, जो गद्य के हिसाब से वाकई बेहतरीन होते थे. वो इसे डिक्टेट कराते थे.वो अपना काफी समय लेटर्स, बयान और भाषण डिक्टेट करने में लगा देते थे.
एयर कंडीशनर से करते थे परहेज
मथाई लिखते हैं कि नेहरू को एयर कंडीशनर बिल्कुल पसंद नहीं था. वे गर्मियों में भी अपने शयनकक्ष या कार्यालय में इसका इस्तेमाल नहीं करते थे. गर्मी के दिनों में वे अक्सर बरामदे में सोना पसंद करते थे, क्योंकि उन्हें मिट्टी की खुशबू अच्छी लगती थी. विदेश यात्रा के दौरान भी जब उनके कमरे में एयर कंडीशनर लगवाया गया, तो उन्होंने उसका कभी इस्तेमाल नहीं किया.
मथाई और अन्य समकालीनों के अनुसार, नेहरू का जीवन बहुत व्यस्त और सक्रिय था. वे लगातार यात्राएं करते, आम लोगों से मिलते और देर रात तक काम करते थे. उनके काम करने का तरीका और दिनचर्या उनकी चुस्ती-फुर्ती को दिखाता है.
कम मसाले वाला खाना पसंद
नेहरू को सादा खाना पसंद था, जिसमें कम मसाले होते थे. वे नाश्ते में टोस्ट, मक्खन, एक अंडा और बहुत गर्म कॉफी लेते थे. मथाई और उनके सुरक्षा अधिकारी रुस्तमजी के अनुसार, नेहरू ने कभी शराब नहीं पी, लेकिन वे सिगरेट पीते थे, जिसकी मात्रा बाद में उन्होंने काफी कम कर दी थी.
तेजी से सीढ़ियां चढ़ते थे
उनके समकालीनों ने ये भी लिखा है कि नेहरू तेज़ी से सीढ़ियां चढ़ते थे. उनकी चाल में युवाओं जैसी फुर्ती थी, जबकि वे उम्र में काफी आगे बढ़ चुके थे.