Last Updated:September 06, 2025, 13:42 IST

भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने शुक्रवार को कहा कि ऑपरेशन सिंदूर 10 मई को समाप्त नहीं हुआ था. बल्कि यह उसके बाद भी जारी रहा. लेकिन आमतौर पर माना जाता है कि ऑपरेशन 10 मई को खत्म हो गया था. उन्होंने यह बयान दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में आयोजित एक पुस्तक विमोचन समारोह में दिया. उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ इंडियाज डीप स्ट्राइक्स इनसाइड पाकिस्तान’ नामक पुस्तक का विमोचन किया. यह पुस्तक पूर्व सैन्य अधिकारी और लेखक लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लन (सेवानिवृत्त) ने लिखी है.
जनरल द्विवेदी ने कहा कि आप सोच रहे होंगे कि 10 मई को युद्ध खत्म हो गया; नहीं, क्योंकि यह लंबे समय तक चला, क्योंकि कई निर्णय लेने थे और उससे आगे की बातें मैं यहां साझा नहीं कर सकता. ऑपरेशन सिंदूर को 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया था, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी. इस ऑपरेशन के तहत भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में कई आतंकी ढांचों को नष्ट किया. भारत ने इसे केंद्रित, संतुलित और गैर-वृद्धिपूर्ण कार्रवाई बताया था.
पुस्तक विमोचन के दौरान जनरल द्विवेदी ने कहा कि यह किताब उन पहलुओं को उजागर करती है जो आमतौर पर अनसुने और अनकहे रहते हैं, क्योंकि सैन्य कर्मी इनके बारे में खुलकर नहीं बोल सकते. उन्होंने कहा कि नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर इस तरह की लड़ाई के हम इतने आदी हो गए हैं कि हम इसकी प्रासंगिकता, भावनाओं, नुकसान, लाभ और चुनौतियों को नहीं समझते.
जनरल द्विवेदी ने भारतीय सेना की कार्रवाई को लयबद्ध लहर की संज्ञा दी, जिसमें 88 घंटों के भीतर पूर्ण समन्वय और स्पष्टता के साथ ऑपरेशन को अंजाम दिया गया. उन्होंने बताया कि सेना को पूर्ण स्वतंत्रता दी गई थी और यह ऑपरेशन रणनीतिक मार्गदर्शन और पूरे राष्ट्र के दृष्टिकोण का प्रतीक था.
सेना प्रमुख ने भारत-पाक सीमा पर लगातार तनाव और पाकिस्तान द्वारा घुसपैठ की कोशिशों पर भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा-ऑपरेशन सिंदूर का एलओसी पर प्रभाव का आकलन करना जल्दबाजी होगी, क्योंकि यह अभी हाल ही में समाप्त हुआ है. क्या राज्य प्रायोजित आतंकवाद खत्म हुआ? मुझे नहीं लगता, क्योंकि एलओसी पर घुसपैठ की कोशिशें अभी भी जारी हैं.
इस ऑपरेशन के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तानी मिसाइल और ड्रोन हमलों का जवाब देते हुए सटीक हमले किए, जिसमें पाकिस्तानी हवाई ठिकानों और रडार सिस्टम को निशाना बनाया गया. 10 मई को दोनों पक्षों के बीच युद्धविराम समझौता हुआ, लेकिन जनरल द्विवेदी ने स्पष्ट किया कि इसके बाद भी कई रणनीतिक कदम उठाए गए. यह पुस्तक न केवल एक सैन्य ऑपरेशन की कहानी है, बल्कि भारतीय सेना के साहस, पेशेवराना अंदाज और अटूट भावना को श्रद्धांजलि भी है.
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First Published :
September 06, 2025, 13:42 IST