Last Updated:May 22, 2025, 08:25 IST
Operation Sindoor and Agniveers: पहलगाम हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर में 3000 अग्निवीरों ने हिस्सा लिया. इनकी औसत उम्र 20 साल थी. उन्होंने पाकिस्तानी हमलों को नाकाम कर देश की रक्षा की.

ऑपरेशन सिंदूर में अग्निवीरों ने शानदार जज्बे का परिचय दिया.
हाइलाइट्स
3000 अग्निवीरों ने ऑपरेशन सिंदूर में हिस्सा लिया.अग्निवीरों ने पाकिस्तानी हमलों को नाकाम किया.अग्निपथ योजना के तहत भर्ती हुए थे अग्निवीर.Operation Sindoor and Agniveers: पहलगाम में आतंकवादी हमले के बाद भारत की ओर से चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर में करीब 3000 अग्निवीरों ने हिस्सा लिया. इन युवा सैनिकों की औसत उम्र केवल 20 साल हैं. ये पिछले दो साल में अग्निपथ योजना के तहत भर्ती हुए है. इन्होंने ऑपरेशन के दौरान भारतीय सेना की हवाई रक्षा यूनिट्स में महत्वपूर्ण हथियारों और सिस्टम को संभाला. पाकिस्तान ने भारत के सैन्य ठिकानों, हवाई अड्डों और शहरों पर मिसाइलों और ड्रोन से हमले किए, लेकिन अग्निवीरों ने जबर्दस्त तरीके से अपनी वीरता का परिचय दिया. उन्होंने देश की रक्षा में इन हमलों को नाकाम कर दिया.
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक अग्निपथ योजना के तहत भर्ती हुए इन युवा सैनिकों ने मुश्किल हालात में अपनी ट्रेनिंग का शानदार इस्तेमाल किया. एक सूत्र ने बताया कि अग्निवीरों ने पहली बार युद्ध जैसे हालात का सामना किया और पाकिस्तानी हमलों को रोकने में अहम भूमिका निभाई. उनकी हिम्मत और कौशल नियमित सैनिकों के बराबर था. यह अग्निपथ योजना पर चल रही बहस को शांत करने वाला जवाब है. कई हवाई रक्षा इकाइयों में 150-200 अग्निवीर तैनात थे, जिन्होंने पाकिस्तानी मिसाइलों और ड्रोन को मार गिराया.
अग्निवीरों ने किया शानदार काम
ऑपरेशन सिंदूर सात मई को शुरू हुआ था. पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने कड़ा कदम उठाया था. चार दिन तक दोनों देशों के बीच हवाई हमले, मिसाइलें, ड्रोन, लंबी दूरी के हथियार और भारी तोपों का इस्तेमाल हुआ. 10 मई को दोनों पक्षों ने सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति जताई.
अग्निपथ योजना को तीन साल पहले शुरू किया गया था. इस योजना का लक्ष्य सेना को युवा और युद्ध के लिए हमेशा तैयार रखने था. यह पुरानी भर्ती व्यवस्था से अलग है, जिसमें सैनिक 20 साल तक सेवा करते थे. अग्निपथ के तहत सैनिक चार साल तक सेवा करते हैं, जिनमें से 25% को 15 साल की नियमित सेवा के लिए चुना जाता है. इन अग्निवीरों ने भारत के स्वदेशी हवाई रक्षा सिस्टम आकाश को संचालित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
रिपोर्ट के मुताबिक अग्निवीरों ने चार मुख्य भूमिकाओं में काम किया. वे गनर, फायर कंट्रोल ऑपरेटर, रेडियो ऑपरेटर और भारी वाहनों के ड्राइवर थे. उन्होंने कंधे पर लादकर मार करने वाली मिसाइलों, एल-70, जेडयू-23-2बी, पेचोरा, शिल्का, ओएसए-एके , स्ट्रेला और तुंगुस्का जैसे हथियारों को संभाला. इसके अलावा उन्होंने रडार, आकाश नोड्स और संचार नेटवर्क को भी ऑपरेट किया. ड्राइवरों ने मिसाइलों को लाने-ले जाने और युद्ध क्षेत्र में तैनात करने के बाद सेंट्री की भूमिका भी निभाई.
अग्निपथ योजना के तहत 17.5 से 21 साल के युवा भर्ती होते हैं. पहले साल में इन्हें 4.76 लाख रुपये और चौथे साल में 6.92 लाख रुपये वेतन मिलता है. चार साल बाद छोड़ने वालों को 11.71 लाख रुपये का सेवा निधि पैकेज मिलता है. हालांकि, पुरानी व्यवस्था में सैनिकों को पेंशन और अन्य सुविधाएं मिलती थीं, जो अग्निवीरों को नहीं मिलतीं. सरकार ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में 10% नौकरियां अग्निवीरों के लिए आरक्षित की हैं. हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों ने भी अपनी पुलिस में अग्निवीरों के लिए आरक्षण की घोषणा की है. ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने भी अग्निवीरों के लिए 15% तक नौकरियां आरक्षित करने का ऐलान किया है.
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें
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