कड़वी हो जाएगी चीनी! आंकड़े दे रहे साफ गवाही, किसाने पर क्‍या असर?

9 hours ago

Last Updated:March 17, 2025, 10:39 IST

Sugar Production Down : चीनी की कीमतों में इस साल उछाल आने की पूरी आशंका है, क्‍योंकि उत्‍पादन में बड़ी गिरावट दिख रही है. यूपी, महाराष्‍ट्र सहित देश के सभी चीनी उत्‍पादक राज्‍यों में प्रोडक्‍शन नीचे आया है. इस...और पढ़ें

कड़वी हो जाएगी चीनी! आंकड़े दे रहे साफ गवाही, किसाने पर क्‍या असर?

चीनी के उत्‍पादन में कई राज्‍यों में गिरावट दिख रही है.

हाइलाइट्स

चीनी उत्पादन में 16.13% की गिरावट आई है.घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें बढ़ सकती हैं.निर्यात में कमी से किसानों पर असर पड़ेगा.

नई दिल्‍ली. चीनी का स्‍वाद इस साल कड़वा हो सकता है. चालू सत्र के अभी तक के आंकड़े यही गवाही दे रहे हैं. इसका असर निर्यात पर तो पड़ेगा ही, घरेलू बाजार में इसकी कीमतों पर भी बखूबी दिखेगा. सहकारी संस्‍था एनएफसीएसएफ ने बताया है कि भारत का चीनी उत्पादन चालू सत्र 2024-25 में अब तक 16.13 फीसदी घटकर 2.37 करोड़ टन रह गया है. इस कारण सरकारी नीतियों के लिए चुनौतियां पैदा हो गई हैं, क्‍योंकि पहले बंपर चीनी उत्‍पादन का अनुमान लगाया गया था.

राष्ट्रीय सहकारी चीनी कारखाना महासंघ (एनएफसीएसएफ) ने चीनी उत्पादन आंकड़ों में ‘अस्पष्टता’ पर चिंता व्यक्त की है, क्योंकि 2024-25 गन्ना पेराई सत्र (अक्टूबर-सितंबर) शुरू में अनुमानित उत्पादन से काफी कम उत्पादन के साथ समाप्त होने वाला है. जाहिर है कि उत्‍पादन में इस गिरावट का असर घरेलू बाजार के साथ-साथ अंतरराष्‍ट्रीय बाजार के निर्यात पर दिखने वाला है. इन आंकड़ों को देखकर सरकार को अपनी नीतियों को दोबारा बदलना पड़ेगा.

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पहले कितने उत्‍पादन का अनुमान
चीनी उद्योग निकाय ने कहा कि पेराई सत्र शुरू होने के बाद से चीनी उत्पादन अनुमानों को बार-बार संशोधित कर नीचे लाया गया है, जिससे सरकारी नीतियों के लिए चुनौतियां पैदा हो रही हैं. इन नीतियों को पहले के उत्‍पादन आंकड़े 3.33 करोड़ टन के अनुमान के आधार पर तैयार किया गया था. एनएफसीएसएफ ने कहा, ‘उद्योग के एक वर्ग ने केंद्र सरकार को 3.33 करोड़ टन चीनी उत्पादन का अनुमान पेश किया. उसके आधार पर केंद्र सरकार ने अपनी नीतियां बनानी शुरू कर दीं. अब इसे नए सिरे से बनाना पड़ेगा.’

घटाना पड़ेगा निर्यात का आंकड़ा
केंद्र सरकार ने प्रारंभिक उत्पादन अनुमान के आधार पर जनवरी, 2025 में 10 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी थी. लेकिन, अब वास्तविक उत्पादन के आंकड़े कम होने के कारण आपूर्ति-मांग में असंतुलन का सामना करना पड़ रहा है. एनएफसीएसएफ के आंकड़ों के अनुसार, भारत के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में उत्पादन चालू सत्र में 15 मार्च तक घटकर 78.6 लाख टन रह गया, जबकि एक साल पहले यह एक करोड़ टन था. देश के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में उत्पादन 88.5 लाख टन से घटकर 80.9 लाख टन रह गया, जबकि इसी अवधि में कर्नाटक का उत्पादन 49.5 लाख टन से 39.1 लाख टन रहा.

किसानों पर क्‍या होगा असर
एनएफसीएसएफ के अध्यक्ष हर्षवर्धन पाटिल ने कहा कि अधिकांश राज्यों में पेराई सत्र मार्च के अंत तक समाप्त हो जाएगा, जबकि उत्तर प्रदेश की मिलें अप्रैल के मध्य तक चलेंगी. पाटिल ने पेराई अवधि, विशेष रूप से महाराष्ट्र में कम होने पर चिंता जताई, जहां पेराई सत्र केवल 83 दिनों तक चला जबकि आर्थिक रूप से व्यवहार्य अवधि 140-150 दिन है. अगर सरकार निर्यात का आंकड़ा घटाती है तो इसका असर मिलों की कमाई पर भी दिखेगा. जाहिर है कि इससे गन्‍ना किसानों का भुगतान चुकाने में भी दिक्‍कतें आ सकती हैं.

Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

March 17, 2025, 10:39 IST

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