India first AC train: भारत में रेलवे का लगभग पौने दो साल का इतिहास है. भारत में पहली यात्री ट्रेन 16 अप्रैल, 1853 को चली थी. यह ट्रेन मुंबई के बोरीबंदर से ठाणे के बीच चली थी. इस ट्रेन ने 34 किलोमीटर का सफर तय किया था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में ‘एसी’ सुविधा वाली पहली ट्रेन कौन सी थी. यह ट्रेन 1928 में शुरू हुई थी, जिसने पिछले माह एक सितंबर को 96 साल पूरे कर लिए. इस ट्रेन को ब्रिटिश काल की सबसे लग्जरी ट्रेनों में से एक कहा जाता था.
अब आपका यह सवाल होगा कि लगभग सौ साल पहले ट्रेनों में एसी सुविधा तो थी नहीं. यह बात सही है कि उस समय ट्रेन के डिब्बों में एयर कंडीशनर नहीं होते थे. रेलवे फर्स्ट क्लास के डिब्बों को ठंडा करने के लिए बर्फ की सिल्लियों का उपयोग करता था. इन डिब्बों का इस्तेमाल आजादी से पहले केवल अंग्रेज ही कर सकते थे. यानी फर्स्ट क्लास में केवल अंग्रेजों को सफर करने की अनुमति थी. इसी कारण इसे ठंडा रखने के लिए एसी डिब्बे में बदला गया था. अंग्रेजों ने अपनी सुविधा के लिए ये सिस्टम बनाया था. डिब्बे को ठंडा करने के लिए बर्फ की सिल्लियों का इस्तेमाल किया जाता था, जो फ्लोर के नीचे रखी जाती थीं. लेकिन बाद में इसमें एसी वाला सिस्टम लगा दिया गया.
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1928 में हुई थी शुरू
पंजाब मेल के नाम से जानी जाने वाली यह ट्रेन 1 सितंबर, 1928 को मुंबई के बैलार्ड पियर स्टेशन से दिल्ली, बठिंडा, फिरोजपुर और लाहौर होते हुए पेशावर (अब पाकिस्तान में) तक शुरू हुई थी. 1 मार्च 1930 से ट्रेन को सहारनपुर, अंबाला, अमृतसर की ओर मोड़ दिया गया. विभाजन के समय अमृतसर टर्मिनल स्टेशन था. 1947 में आजादी के बाद से यह ट्रेन मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (पूर्व नाम विक्टोरिया टर्मिनस) से पंजाब के फिरोजपुर के बीच चल रही है.
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1934 में जोड़ा गया AC डिब्बा
1934 में इस ट्रेन में AC कोच जोड़े गए और इसका नाम फ्रंटियर मेल रख दिया गया. सितंबर 1996 में इसका नाम बदलकर गोल्डन टेंपल मेल कर दिया गया. जब ट्रेन शुरू हुई थी, तो भाप इंजन के साथ लगभग 60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार तक चलती थी. अब, इसमें इलेक्ट्रिक इंजनों का इस्तेमाल किया जाता है. गोल्डन टेंपल मेल 1,893 किमी की दूरी तय करती है, 35 रेलवे स्टेशनों पर रुकती है और अपने 24 डिब्बों में लगभग 1,300 यात्रियों को ले जाती है. ट्रेन में पैंट्री कार की सुविधा भी दी गई थी, जो अब तक जारी है. आज इस ट्रेन में एसी के साथ सामान्य और स्लीपर क्लास की बोगियां भी लगती हैं. इस ट्रेन को चलते हुए अब 96 साल हो गए हैं.
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डाक भी ले जाती है ये ट्रेन
उस समय ट्रेन डाक और टेलीग्राम ले जाने और लेकर आने के लिए भी चलाई जाती थी. जिस ट्रेन का इस्तेमाल डाक भेजने के लिए किया जाता था, इसके नाम के आगे मेल लगा दिया जाता था. इसीलिए इस ट्रेन का नाम गोल्डन टेंपल मेल है. उस समय अगर किसी को टेलीग्राम भेजना होता था, तो इसे ट्रेन गार्ड के माध्यम से भेजा जाता था. ट्रेन का गार्ड इसे किसी भी स्टेशन पर स्टेशन मास्टर को दे देते थे.
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FIRST PUBLISHED :
October 9, 2024, 18:18 IST