कमजोर सरकारें और बिखरा समाज… डोभाल ने बांग्लादेश-श्रीलंका के उदाहरण से चेताया

7 hours ago

नई दिल्ली: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने शुक्रवार को कहा कि किसी भी राष्ट्र की असली ताकत उसकी सरकार होती है. जब सरकारें कमजोर, भ्रमित या स्वार्थ में डूबी होती हैं, तो उसका असर पूरे देश पर पड़ता है. उन्होंने बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल जैसे देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि जहां सत्ता बदलाव संवैधानिक तरीकों से नहीं, बल्कि अस्थिरता और खराब गवर्नेंस से हुआ, वहां राष्ट्र डगमगा गए. डोभाल दिल्ली में ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के मौके पर बोल रहे थे.

‘कमजोर सरकारें, कमजोर राष्ट्र बनाती हैं’

डोभाल ने कहा, ‘किसी राष्ट्र की असली शक्ति उसकी सरकारों की शक्ति है. चाहे देश कितना भी ताकतवर क्यों न हो, अगर उसकी सरकारें कमजोर और भ्रमित हैं, या निजी स्वार्थ से प्रभावित हैं, तो परिणाम हमेशा एक जैसे होंगे – पतन और अव्यवस्था.’

उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है, किसी भी साम्राज्य, राजशाही, अल्पतंत्र या लोकतंत्र का उत्थान और पतन उसकी गवर्नेंस पर निर्भर करता है. अच्छी गवर्नेंस से राष्ट्र बनते हैं, और खराब गवर्नेंस उन्हें तोड़ देती है. उन्होंने आगे कहा, ‘संस्थान राष्ट्र की रीढ़ हैं. सरकारें इन संस्थानों के जरिये काम करती हैं, इसलिए जो लोग इन संस्थानों को बनाते और पोषित करते हैं, वही असली राष्ट्र निर्माता हैं.’

#WATCH | Delhi | Attending a lecture on Rashtriya Ekta Diwas, NSA Ajit Doval says, “…Nations, whether they are powerful or weak, or they are a comprehensive national power; which is a very abstract word. In reality, it is the power of the governments. When the governments are… pic.twitter.com/QtCPs6WNRF

‘लोकतंत्र में बंटवारा ही सत्ता का नया फॉर्मूला बन गया है’

डोभाल ने लोकतंत्र के भीतर पनप रही खामियों पर भी तीखी टिप्पणी की. उन्होंने कहा, ‘लोकतंत्र एक शानदार प्रणाली है, लेकिन इसके अपने खतरे हैं. आज अगर मेरे पास 100 में 25 समर्थक हैं, तो मैं बाकी 75 को बांटकर सत्ता में आ सकता हूं. अब लक्ष्य 51% बहुमत नहीं, बल्कि समाज को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटना है.’ उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया और कहा कि यह प्रवृत्ति राजनीति को राष्ट्र निर्माण से हटाकर विभाजन की राजनीति में बदल रही है.

‘पैसा अब तय करता है देशभक्ति और विजन की कीमत’

डोभाल ने लोकतंत्र में पैसे के बढ़ते प्रभाव पर कहा, ‘चाहे वैध हो या अवैध, पैसा अब राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाता है. आपकी सोच, आपका विजन, आपकी देशभक्ति – सबको अब पैसे का सहारा चाहिए.’ उन्होंने जोड़ा कि कई बार राष्ट्रीय हित संकीर्ण स्वार्थों के नीचे दब जाते हैं. ‘मैं इसे भ्रष्टाचार नहीं कहता, लेकिन यह एक मानसिक सीमितता है जहां स्थानीय हित, राष्ट्रीय हित से बड़ा दिखने लगता है.’

#WATCH | Delhi | Attending a lecture on Rashtriya Ekta Diwas, NSA Ajit Doval says, “… I would like to share a perspective of how a security man looks at the process of governance. I believe governance has a very seminal role in the process of nation-building and in the process… pic.twitter.com/mNTORw0YLa

‘साफ विजन और मजबूत गवर्नेंस ही बचा सकती है देश को’

NSA ने कहा कि भारत इस वक्त एक “ऑर्बिटल शिफ्ट” से गुजर रहा है यानी शासन, समाज और वैश्विक स्थिति, तीनों में बड़ा परिवर्तन चल रहा है. ऐसे दौर में सबसे जरूरी है स्पष्ट दृष्टि और मजबूत नेतृत्व. उन्होंने कहा, ‘सरदार पटेल जैसे विजन की आज भारत को पहले से ज्यादा जरूरत है. उन्होंने दिखाया कि सभ्यता को राष्ट्र-राज्य में बदलना कितना कठिन कार्य है. यह तभी संभव है जब गवर्नेंस ताकतवर और निर्णायक हो.’

डोभाल ने कहा कि शासन का असली उद्देश्य जनता की जरूरतें पूरी करना और उन्हें सुरक्षा का एहसास देना होना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘हमें अपनी नीतियों और कानूनों को जनता के लिए और सरल बनाना होगा. जब लोगों को लगेगा कि सिस्टम उनके साथ है, तभी राष्ट्र मजबूत होगा.’

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