कर्नल साहेब ! आपके कंधों पर अशोक की लाट है, बसों का रंगबाज मत बनिए

7 hours ago

Last Updated:August 04, 2025, 12:05 IST

आजाद भारत में सेना की वर्दी और अफसरों के कंधे पर चमकते सितारे लोगों की नजरों में इज्जत का भाव ला देता है. लेकिन जम्मू हवाई अड्डे पर लेफ्टिनेंट कर्नल लेबल के एक अफसर की हरकत बहुत ही अफसोसनाक है. सेना के अफसरों क...और पढ़ें

कर्नल साहेब ! आपके कंधों पर अशोक की लाट है, बसों का रंगबाज मत बनिएजम्मू हवाई अड्डे पर सेना के ले. कर्नल की हरकत हैरान करने वाली है. ( सांकेतिक एआई फोटो)

हाइलाइट्स

लेफ्टिनेंट कर्नल ने एयरलाइन कर्मचारी को पीटासेना के अफसरों को सब्र की ट्रेनिंग दी जाती हैवर्दी पहनने वालों की जिम्मेदारी है कि वे इज्जत कायम रखें

पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के प्राइवेट यात्री बसों में एक दस्तूर है. बस के कंडक्टर रंगबाज लोगों से किराया नहीं मांगता. खासतौर से उभरते रंगबाजों के सामने अगर उसने किराए के लिए हाथ फैलाने की जुर्रत भी कर दी तो उसकी कुटाई होनी है. किसी कारण से तुरंत न हुई तो मौका मिलने पर होती ही है. ये सामंती सोच उस इलाके में कायम है. कहानी ये नहीं है. क्योंकि देश के बहुत सारे लोगों का इससे सरोकार नहीं है. लेकिन जम्मू हवाई अड्डे के बाकये से तकरीबन सबका सरोकार है. जम्मू हवाई अड्डे पर सेना के एक अफसर ने लगेज का किराया मांगने पर एयर लाइन कर्मचारी को पीट दिया. एयर लाइन कर्मचारी को गंभीर चोटें आई हैं.

हिंदुस्तानी फौज के अफसर हैं, बस में चलने वाले रंगबाज नहीं
मार-पीट किसी नेता टाइप छुटभैये या उदयीमान रंगबाज ने की होती तो भी इसे इस कदर संजीदा नहीं माना जाता. कानून अपना काम करता. गुनहगार को सजा मिलती. यहां तो वर्दी पहनने और कंधे पर सितारे, सीने पर मेडल सजाने वाले अफसर पर आरोप है. ये दिगर बात है कि हमले के वक्त अफसर ने वर्दी नहीं पहनी थी. लेकिन वो भी तो वर्दी पहनता है. कंधे पर सितारे सजाता है. लेफ्टिनेंट कर्नल के कंधे पर तो अशोक की लाट वाला राष्ट्रीय चिह्न भी होता है. हमारे सैनिक उसे सैल्यूट करते हैं. वो सैनिक जिन्हें देख कर आम लोग खुश हो जाते हैं.गर्व से उनका सीना चौड़ा हो जाता है. यहां तक कि अब तो बहुत से बच्चे सेना के अफसरों को देख कर उन्हें जय हिंद भी बोलते हैं. भारतीय सेना ने अपनी बहादुरी से ये इज्जत हासिल की है.

कहां गई सब्र की ट्रेनिंग
ऐसे में सेना के किसी अफसर का ये सुलूक किसी भी तरह से सही नहीं कहा जा सकता. वैसे कोई भी कहीं मार पीट करता है तो ये ठीक नहीं है. लेकिन सेना के अफसर को तो कुछ ज्यादा ही सब्र से काम लेने की ट्रेनिंग दी जाती है. सेना के किसी भी हिस्से में काम करने वाले अफसर को धीरज के साथ काम करने की बेसिक ट्रेनिंग दी ही जाती है. भारतीय सेना इसी वजह से दुनिया की चंद फौज मानी जाती है जहां के अफसर बिना सोचे समझे कोई फैसला नहीं लेते. अपनी इसी खूबी की वजह से पूरी सेना कायदे में रहती है. मिसाल के तौर पर हाल में हुए ऑपरेशन सिंदूर को देखा जा सकता है. जब लोगों ने जगह जगह सैनिकों का सम्मान किया.

यहां ये भी याद रखने वाली बात है कि कई बार रेलगाड़ियों में सैनिकों का नागरिकों से हॉट टॉक या फिर हल्की मार पीट की खबरें सुनी गई थीं. लेकिन वे नौजवान सैनिक होते हैं. तजुर्बेकार अफसर नहीं. लेफ्टिनेंट कर्नल का ओहदा तो कम से कम 12 से 13 साल लग जाते हैं. लिहाजा उसमें एक नेचुरल संजीदगी आ ही जाती है. लेकिन यहां लेफ्टिनेंट कर्नल ने एकदम से हमला कर दिया.

लोग हमेशा सेना के साथ खड़े होते हैं
हाल में ही पंजाब में एक वायका खबरो में आया था. सेना के किसी अफसर और उसके बेटे को कुछ पुलिस वालों ने गाड़ी पार्क करने को लेकर हुई हुज्जत के बाद पीट दिया था. खबर पढ़ कर लोगों ने गुस्सा जताया था. बाद में पुलिस कमिश्नर और सेना के आला अफसर को मिल कर इस प्रेस कांफ्रेंस करनी पड़ी. इस बाकये का जिक्र भी इस वजह से लाजिम लगा क्योंकि सेना और पुलिस में कोई विवाद के हालात होते हैं तो लोग सेना की ओर से ही बोलते हैं. क्योंकि सेना उनके लिए गर्व का विषय है. वर्दी पहनने वालों की जिम्मेदारी है कि वे अपनी ये इज्जत कायम रखें. हालांकि सेना ने इस पर अपना रुख सलीके से रखा है और कहा है कि वो जांच में पूरा सहयोग करेगी.

एयरलाइन्स इन दिनों बैगेज मसले पर खास तौर से तबज्जो दे रही है. सभी कंपनियों ने खास वजन से ज्यादा का बैगेज ले जाने पर अलग से किराया वसूलने की जैसे मुहिम चला रखी हो. या फिर केबिन में एक से ज्यादा बैगेज नहीं ले जाने दे रहीं. ऐसे में कर्मचारी तो अपना काम करेगा ही. बहुत से हवाई यात्री इस पर झुंझलाते हैं, लेकिन मारपीट करते नहीं सुना गया है.

(डिसक्लेमर- ये लेखक के निजी विचार हैं. नेटवर्क 18 का इससे सहमत होना जरुरी नहीं है.)

राजकुमार पांडेय

करीब ढाई दशक से सक्रिय पत्रकारिता. नेटवर्क18 में आने से पहले राजकुमार पांडेय सहारा टीवी नेटवर्क से जुड़े रहे. इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने के बाद वहीं हिंदी दैनिक आज और जनमोर्चा में रिपोर्टिंग की. दिल...और पढ़ें

करीब ढाई दशक से सक्रिय पत्रकारिता. नेटवर्क18 में आने से पहले राजकुमार पांडेय सहारा टीवी नेटवर्क से जुड़े रहे. इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने के बाद वहीं हिंदी दैनिक आज और जनमोर्चा में रिपोर्टिंग की. दिल...

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First Published :

August 04, 2025, 12:05 IST

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