नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में चुनाव आयोग के दफ्तर से बाहर निकलते ही टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी का रुख सिर्फ सत्ता और सिस्टम पर ही नहीं, बल्कि विपक्षी राजनीति पर भी तीखा दिखा. स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर चुनाव आयोग पर हमला बोलते हुए उन्होंने जहां केंद्र सरकार को घेरा. वहीं कांग्रेस की हरियाणा में हार का जिक्र कर विपक्षी दलों को आईना भी दिखा दिया. उनके बयान ने साफ कर दिया कि लड़ाई सिर्फ वोटर लिस्ट की नहीं, बल्कि विपक्ष की रणनीति को लेकर भी है.
अभिषेक बनर्जी ने साफ शब्दों में कहा कि चुनाव सोशल मीडिया पर ट्रेंड चलाकर नहीं, बल्कि जमीन पर लोगों के बीच जाकर जीते जाते हैं. हरियाणा चुनाव का उदाहरण देते हुए उन्होंने कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों को यह समझाने की कोशिश की कि अगर रणनीति बदली नहीं गई, तो हार का सिलसिला चलता रहेगा. उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय आई है, जब विपक्ष एकजुटता की बात तो कर रहा है, लेकिन जमीन पर तस्वीर बिखरी हुई है.
क्या है पूरा विवाद, जिसकी आड़ में आई कांग्रेस की चर्चा?
पश्चिम बंगाल में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर टीएमसी और चुनाव आयोग आमने-सामने हैं. इस प्रक्रिया के तहत राज्य में 58.2 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाए जा चुके हैं. चुनाव आयोग ने 16 दिसंबर को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी की थी. इस पर दावे और आपत्तियां दर्ज कराने की आखिरी तारीख 15 जनवरी 2026 है. अंतिम वोटर लिस्ट 14 फरवरी 2026 को जारी होनी है.
टीएमसी का आरोप है कि SIR के जरिए वोटर लिस्ट को ‘हथियार’ की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है. इसी मुद्दे पर पार्टी का 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार से मिलने नई दिल्ली पहुंचा था.
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बैठक के बाद क्यों भड़के अभिषेक बनर्जी?
ढाई घंटे चली इस बैठक को लेकर अभिषेक बनर्जी बेहद असंतुष्ट नजर आए. उन्होंने कहा कि आठ से दस अहम मुद्दे उठाए गए, लेकिन ठोस जवाब सिर्फ दो-तीन बिंदुओं पर ही मिले. उनका आरोप था कि जब भी SIR पर सीधा सवाल किया गया, चर्चा को नागरिकता जैसे दूसरे मुद्दों की ओर मोड़ दिया गया. अभिषेक बनर्जी के मुताबिक यह पहली बार नहीं हुआ. इससे पहले 28 नवंबर को हुई बैठक में भी पार्टी के पांच सवालों का कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया था.
कांग्रेस पर तंज क्यों कसा? हरियाणा हार का जिक्र क्यों अहम?
News18 इंडिया के सवाल पर अभिषेक बनर्जी ने विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस को लेकर साफ संदेश दिया. उन्होंने कहा, जमीन पर लड़ने से चुनाव जीते जाते हैं, सोशल मीडिया में लड़ने से नहीं. हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार का हवाला देते हुए उन्होंने इशारों में कहा कि अगर रणनीति सिर्फ ऑनलाइन कैंपेन तक सीमित रहेगी, तो नतीजे नहीं मिलेंगे.
यह बयान इसलिए भी अहम है, क्योंकि विपक्ष अक्सर बीजेपी की सोशल मीडिया ताकत की बात करता है. लेकिन अभिषेक बनर्जी ने उल्टा तर्क रखा कि असली लड़ाई अभी भी जमीन पर ही लड़ी जाती है.
‘चुनाव आयोग सवालों से भाग रहा है’
अभिषेक बनर्जी ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग सवालों के जवाब देने के बजाय उन्हें टालने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने यह भी दावा किया कि पिछली बैठक के बाद चुनाव आयोग ने कुछ पत्रकारों को चुनिंदा जानकारी लीक की और कहा कि सभी सवालों के जवाब दे दिए गए हैं. टीएमसी सांसद ने कहा कि पार्टी के पास डिजिटल सबूत हैं, जो दिखाते हैं कि ऐसा नहीं हुआ. इसी के साथ उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को चुनौती दी कि ढाई घंटे चली बैठक की CCTV फुटेज सार्वजनिक की जाए, ताकि सच्चाई सामने आ सके.
वोटर लिस्ट को हथियार बनाया जा रहा है- टीएमसी का आरोप
अभिषेक बनर्जी का कहना है कि SIR के दौरान सॉफ्टवेयर के जरिए गड़बड़ी की जा रही है. उन्होंने सवाल उठाया कि पहले की SIR प्रक्रियाओं में ‘सस्पिशस लिस्ट’ या ‘लॉजिकल डिस्क्रेपेंसी लिस्ट’ जैसी कोई व्यवस्था नहीं थी. उनकी मांग है कि अगर चुनाव आयोग को अपने काम पर भरोसा है, तो वह इन सूचियों को सार्वजनिक करे और बताए कि किन आधारों पर लाखों नाम हटाए गए.
कौन-कौन था टीएमसी के प्रतिनिधिमंडल में?
इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व अभिषेक बनर्जी ने किया. इसमें राज्यसभा के मुख्य सचेतक (चीफ व्हिप) मोहम्मद नदीमुल हक, सांसद डेरेक ओ’ब्रायन, कल्याण बनर्जी, ममता ठाकुर, साकेत गोखले, रितब्रत बनर्जी और वरिष्ठ नेताओं में प्रदीप मजूमदार, चंद्रिमा भट्टाचार्य तथा मानस भुइयां शामिल थे.
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विपक्ष को संदेश और सिस्टम पर हमला, दोनों साथ
अभिषेक बनर्जी के बयान साफ संकेत देते हैं कि टीएमसी सिर्फ केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से ही नहीं, बल्कि विपक्षी राजनीति के मौजूदा तौर-तरीकों से भी असहमत है. हरियाणा हार का जिक्र कर उन्होंने यह साफ कर दिया कि आने वाली लड़ाई रणनीति, संगठन और जमीन पर मौजूदगी से तय होगी, न कि सिर्फ सोशल मीडिया की आवाज से.

1 hour ago
