Last Updated:December 18, 2025, 16:58 IST

नोटबंदी मोदी सरकार का एक राजनीतिक कदम था या भारत विरोधी? आम जनता को बताया गया था कि नोटबंदी से आतंकवाद और नक्सलवाद पर करारा प्रहार होगा. इस पर सरकार और विपक्ष के अपने-अपने तर्क हैं. हाल ही में आई फिल्म ‘धुरंधर’ ने इस बहस को फिर से ताजा कर दिया है. फिल्म में अक्षय खन्ना, रणवीर सिंह, आर माधवन और राकेश बेदी के काम की तारीफ हो रही है.
लेकिन इस सबके बीच खनानी ब्रदर्स की चर्चा भी होनी चाहिए, जिन्होंने भारत में आतंकवाद के लिए नकली करेंसी का जाल फैलाया. उन्होंने खनानी एंड कालिया एंटरप्राइज नाम की कंपनी बनाई, जिसका हवाला नेटवर्क पूरी दुनिया में फैल चुका था. नकली नोट इतने असली थे कि उन्हें पहचानना मुश्किल हो गया था. सुरक्षा एजेंसियों ने जांच में पाया कि नकली नोटों के पीछे खनानी ब्रदर्स की कंपनी है.
ब्रिटिश कंपनी डेलारू भी सवालों के घेरे में आ गई. पी चिदंबरम के वित्त मंत्री बनने के बाद डेलारू को भारतीय करेंसी के लिए कांट्रैक्ट दिया गया. यह सब महज इत्तेफाक था या नहीं, इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती. जब नकली करेंसी ने पैर पसार लिए तब सुरक्षा एजेंसियों ने नेपाल बॉर्डर पर रेड की. जी को वित्त मंत्री बनाया गया और उन्होंने आते ही डेलारू को ब्लैकलिस्ट कर दिया.
लेकिन 2012 में पी चिदंबरम के वित्त मंत्री बनने के बाद डेलारू के कांट्रैक्ट को एक्सटेंशन दे दिया गया. नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी का ऐलान किया गया, जिससे हवाला कारोबार चरमरा गया. 4 दिसंबर 2016 को जावेद खाननी की छत से गिरकर मौत हो गई.
अगर यह पूरी कहानी सच है तो नोटबंदी मोदी सरकार का मास्टरस्ट्रोक था. कुछ लोग कहते हैं कि खनानी ने आत्महत्या कर ली थी. लेकिन अगर 2 घंटे लाइन में खड़े होने से हमारा मुल्क महफूज हो गया तो इससे बड़ी बात क्या हो सकती है? 2016 की नोटबंदी के फायदे आने वाले समय में और ज्यादा खुलेंगे.
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राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...और पढ़ें
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
December 18, 2025, 16:56 IST

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