Sri Lanka News: भगवान बुद्ध के पवित्र दांत के अवशेष की तस्वीर इंटरनेट पर तेजी के साथ शेयर की जा रही है. जिसके बाद तरह- तरह की चर्चाएं हो रही है. इसे लेकर श्रीलंकाई पुलिस ने रविवार को कहा कि वह इस बात की जांच कर रही है कि बुद्ध के पवित्र दांत के अवशेष कीतस्वीर कैसे खींची गई है. इसके अलावा पुलिस तस्वीर की प्रमाणिकता का पता लगाने की कोशिश कर रही है.
लगी है दुर्लभ प्रदर्शनी
दरअसल कैंडी के मध्य शहर में 16 वर्षों के अंतराल के बाद शुक्रवार को शुरू हुई दुर्लभ प्रदर्शनी के दौरान दंत मंदिर के आंतरिक गर्भगृह में कैमरा या मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं थी. ऐसे में कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक प्रियंता वीरसूर्या ने कहा कि यह पता लगाने के लिए प्रारंभिक जांच जारी है कि यह तस्वीर कब खींची गई. उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो आपराधिक जांच विभाग की मदद ली जाएगी.
सख्त वर्जित है फोटोग्राफी
बता दें कि पवित्र दांत के अवशेष की फोटोग्राफी या वीडियोग्राफी सख्त वर्जित है. हजारों की संख्या में बौद्ध श्रद्धालु इस अवशेष की पूजा करने के लिए आ रहे हैं और कई मील दूर से ही कतारें लगी हुई हैं. दो बच्चों की मां गीतानी मेंडिस (65) ने मंदिर के प्रवेश द्वार के पास कहा, 'हम इस दुर्लभ अवसर का उपयोग दांत के अवशेष की पूजा करने के लिए कर रहे हैं-भले ही हमें कतार में लंबा समय क्यों न बिताना पड़े.
राष्ट्रपति ने किया था अनुरोध
यह प्रदर्शनी राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायक के अनुरोध पर 16 वर्षों के बाद आयोजित की जा रही थी. यह दंत अवशेष दो करोड़ दस लाख की आबादी वाले श्रीलंका के 74 प्रतिशत सिंहली बौद्ध बहुसंख्यकों के लिए विशेष आध्यात्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है. ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार, 1590 में कैंडी में लाया गया यह दंत अवशेष बौद्ध आस्था का प्रतीक था और यह धीरे-धीरे श्रीलंका की सबसे बहुमूल्य संपत्ति में शुमार हो गया. ऐसा कहा जाता है कि किसी को भी दांत के वास्तविक अवशेष को देखने की अनुमति नहीं थी. आधुनिक समय में आगंतुकों को दूर से ही अवशेष देखने की अनुमति है. यह प्रदर्शनी 27 अप्रैल तक आयोजित की जाएगी. (भाषा)