Last Updated:November 21, 2025, 18:05 IST
Mahua Moitra Cash for query Case: दिल्ली हाईकोर्ट में कैश फॉर क्वेरी केस की सुनवाई में CBI ने महुआ मोइत्रा की याचिका को “निरर्थक” और “सिर्फ जांच में देरी करने वाला” बताया. महुआ ने लोकपाल के 12 नवंबर के आदेश को अवैध बताया है, जिसने CBI को चार्जशीट दाखिल करने की मंजूरी दी थी. CBI का कहना है कि उन्हें कानून से अधिक सुनवाई दी गई और याचिका बेकार है.
कैश फॉर क्वेरी मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान CBI ने महुआ मोइत्रा की याचिका को निरर्थक बताया. (फाइल फोटो)Mahua Moitra Cash for query Case: दिल्ली हाईकोर्ट में शुक्रवार को हुए कैश फॉर क्वेरी केस की सुनवाई में माहौल उस समय गरम हो गया, जब केंद्रीय जांच एजेंसी CBI ने तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की याचिका को “बेकार”, “बिना आधार” और “सिर्फ टाइम पास” बताकर खारिज करने की मांग कर दी. CBI का कहना था कि लोकपाल द्वारा चार्जशीट की मंजूरी को चुनौती देने वाली महुआ मोइत्रा की यह याचिका कानूनी प्रक्रिया में जानबूझकर देरी कराने के लिए लाई गई है.
महुआ मोइत्रा ने अपनी याचिका में लोकपाल के 12 नवंबर के उस आदेश को चुनौती दी है. इसमें CBI को उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने की इजाजत दी गई थी. महुआ का दावा है कि यह आदेश बिना उनकी बात सुने जारी हुआ, जिससे प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ. वहीं CBI का तर्क है कि उन्हें कानून से अधिक अवसर दिया गया, जिसमें ओरल हियरिंग भी शामिल है.
CBI की दलील: याचिका फ्रिवोलस और देरी कराने के लिए
CBI ने हाईकोर्ट में कहा कि महुआ मोइत्रा की याचिका पूरी तरह निरर्थक है और इसका असल उद्देश्य चार्जशीट प्रक्रिया को रोकना है. CBI ने यह भी कहा कि महुआ को ओरल हियरिंग दी गई, जो कानून के तहत आवश्यक से भी अधिक है. लोकपाल का आदेश पूरी तरह वैधानिक है और इसकी चुनौती सिर्फ रणनीतिक देरी है. CBI ने अदालत से याचिका तुरंत खारिज करने की मांग की.
महुआ ने लोकपाल द्वारा CBI को चार्जशीट मंजूरी देने के आदेश को अवैध करार दिया है.
महुआ मोइत्रा का पक्ष: मेरी दलीलें सुनी ही नहीं गईं
महुआ मोइत्रा की याचिका में कहा गया है कि लोकपाल ने उनकी सफाई को नजरअंदाज कर CBI की रिपोर्ट पर “रबर-स्टैंप” लगा दिया. आदेश कानून के प्रावधानों से बाहर (de hors) है और प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन करता है. उनका कहना है कि उन्हें केवल दिखावटी अवसर मिला और उनकी बातों को “असमय” बताकर किनारे कर दिया गया.
कैश फॉर क्वेरी स्कैम: मामला क्या है?
यह पूरा विवाद उस आरोप से जुड़ा है कि महुआ मोइत्रा ने एक उद्योगपति से कैश और गिफ्ट लेकर संसद में सवाल पूछे. आरोप यह भी है कि उन्होंने अपना लोकसभा लॉगिन साझा किया. इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पैदा हुआ. यह शिकायत BJP सांसद निशिकांत दुबे ने की थी. इसके बाद लोकपाल ने जांच शुरू की और CBI ने 21 मार्च 2024 को FIR दर्ज की. जुलाई 2024 में CBI ने अपनी रिपोर्ट लोकपाल को सौंप दी, जिसके आधार पर लोकपाल ने 12 नवंबर को चार्जशीट की मंजूरी दी.
महुआ के खिलाफ CBI की जांच में क्या पाया गया?
CBI की FIR उद्योगपति दर्शन हीरानंदानी और महुआ मोइत्रा दोनों पर दर्ज है. आरोप है कि महुआ ने “भ्रष्ट आचरण” में शामिल होकर संसद विशेषाधिकारों का दुरुपयोग किया. जांच में लॉगिन डेटा और कम्युनिकेशन के कई टेक्निकल एंगल देखे गए. CBI का दावा है कि प्रारंभिक जांच रिपोर्ट आरोपों को मजबूत करती है.हाईकोर्ट में CBI के तीन मुख्य तर्क (नंबरिंग पैराग्राफ)
लोकपाल प्रक्रिया वैध- CBI ने कहा कि लोकपाल ने पूरी रिपोर्ट और सामग्री देखकर मंजूरी दी है. कानून से अधिक सुनवाई- महुआ को ओरल हियरिंग दी गई, जो अनिवार्य ही नहीं है. याचिका समय से पहले- अभी चार्जशीट दायर होनी है, इसलिए इस वक्त आदेश को रोकना “जांच में बाधा” होगा.केस टाइमलाइन- अब तक की पूरी कहानी
| तारीख | घटना |
| 21 मार्च 2024 | CBI ने FIR दर्ज की |
| जुलाई 2024 | CBI ने रिपोर्ट लोकपाल को सौंपी |
| 12 नवंबर 2024 | लोकपाल ने चार्जशीट की मंजूरी दी |
| दिसंबर 2023 | महुआ मोइत्रा लोकसभा से निष्कासित |
| 2024 चुनाव | महुआ ने कृष्णानगर सीट दोबारा जीती |
लोकपाल आदेश को क्यों बताया ‘रबर स्टैंप’?
महुआ की याचिका का मुख्य बिंदु यह है कि लोकपाल ने उनकी ओर से दिए गए दस्तावेजों और स्पष्टीकरण पर विचार किए बिना आदेश जारी कर दिया. उनका कहना है कि उनकी दलीलें “premature” बताकर खारिज कर दी गईं. लोकपाल ने CBI रिपोर्ट को ही अंतिम मान लिया. आदेश निष्पक्ष सुनवाई के सिद्धांत के विपरीत है. वहीं CBI इसे महुआ की “डिफेंस स्ट्रेटेजी” बताती है. इसका उद्देश्य सिर्फ जांच की गति धीमी करना है.
CBI का दावा है कि प्रारंभिक जांच रिपोर्ट आरोपों को मजबूत करती है.
क्या हो सकता है आगे?
अगली सुनवाई में यह तय होगा कि हाईकोर्ट महुआ मोइत्रा की याचिका पर विचार करेगा या CBI की मांग मानते हुए इसे खारिज कर देगा. यह केस इसलिए भी अहम है क्योंकि महुआ पहले ही 2023 में लोकसभा से निष्कासित हो चुकी हैं और वह उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रही हैं. (PTI इनपुट के साथ)
Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...और पढ़ें
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First Published :
November 21, 2025, 17:58 IST

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