Last Updated:October 07, 2025, 06:15 IST
CJI BR Gavai News: सुप्रीम कोर्ट में CJI बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले राकेश किशोर ने अपनी हरकत पर कोई पछतावा नहीं जताया. सीजेआई गवई ने भले ही उसे माफ कर दिया है, लेकिन बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने उनकी सदस्यता सस्पेंड कर दी.

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को अचानक से अफरातफरी मच गई. यहां एक राकेश किशोर नाम के एक वकील ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की. हालांकि कोर्टरूम में मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें वक्त रहते पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया. हालांकि 72 वर्षीय किशोर को अपनी इस हरकत पर किसी तरह का पछतावा नहीं है. उनका कहना है कि वह जेल जाने के लिए भी तैयार हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, किशोर ने कहा, ‘जेल चला जाऊं तो बेहतर होगा. मेरा परिवार बहुत नाराज है, वे समझ नहीं पा रहे कि मैंने ऐसा क्यों किया.’ उन्होंने यह भी साफ किया कि उनका किसी राजनीतिक दल से कोई संबंध नहीं है.
क्या है पूरा मामला?
यह घटना सोमवार के दिन करीब 11:35 बजे सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट रूम 1 में सुनवाई के दौरान हुई. अचानक से किशोर ने जूता उतारकर सीजेआई की ओर फेंकने की कोशिश की. हालांकि, सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत उन्हें रोक लिया और बाहर ले गए. प्राप्त जानकारी के मुताबिक, जब अदालत के अधिकारियों ने सीजेआई गवई से दिशानिर्देश मांगे, तो उन्होंने इसे नजरअंदाज करने और किशोर को चेतावनी देकर छोड़ने के लिए कहा.
वहीं दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि किशोर के पास अदालत में प्रवेश के वैध दस्तावेज थे. उनके पास बार काउंसिल ऑफ इंडिया का कार्ड और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) की अस्थायी सदस्यता भी थी.
क्या बता रहा हमले की वजह?
रिपोर्ट के मुताबिक, किशोर का घर दिल्ली के मयूर विहार इलाके में है. वह अपने इस कदम के पीछे कई अटपटे भी करते हैं. उनका कहना है कि उन्हें ‘दिव्य शक्ति’ ने यह कदम उठाने को प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के खजुराहो के जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति बहाल करने की याचिका पर हाल ही में दिए गए सीजेआई के निर्णय से वह नाराज़ थे. अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि यह मामला पुरातत्व विभाग के अधिकार क्षेत्र में आता है.
किशोर का कहना है कि, ‘उस फैसले के बाद मैं सो नहीं सका. हर रात भगवान पूछते थे कि इतने बड़े अपमान के बाद मैं चैन से कैसे रह सकता हूं.’ उन्होंने यह भी कहा कि मॉरीशस में सीजेआई गवई के हालिया भाषण से वह और भड़क गए थे, जिसमें गवई ने कहा था कि ‘भारत की न्याय व्यवस्था कानून के शासन पर चलती है, बुलडोजर शासन पर नहीं.’
किशोर ने दावा किया कि उनके पास बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) से मेडिकल एंटोमोलॉजी में पीएचडी है और वे कभी वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के सलाहकार रह चुके हैं. उन्होंने खुद को ‘मानसिक रूप से स्वस्थ’ बताया.
SCBA ने ले लिया एक्शन
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के सदस्य कुछ और ही कहानी बताते हैं. एससीबीए के संयुक्त सचिव मनीष दुबे बताते हैं, ‘वे 2011 से एससीबीए के अस्थायी सदस्य थे, लेकिन शायद ही किसी मामले में पेश हुए हों. स्थायी सदस्य बनने के लिए लगातार दो वर्षों तक कम से कम 20 मामलों में पेश होना पड़ता है, जो उन्होंने कभी नहीं किया.’
दुबे ने बताया कि घटना के बाद जब उन्होंने किशोर से बात की तो उन्होंने कोई अफसोस नहीं जताया. ‘उन्हें कहा गया कि उनका कृत्य गलत था, लेकिन उन्होंने कहा कि वे सही हैं और माफी से इनकार कर दिया. यह श्रद्धा से ज्यादा ध्यान आकर्षित करने का प्रयास लगता है. यह पब्लिसिटी स्टंट भी हो सकता है.’ इस घटना के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने किशोर की सदस्यता निलंबित कर दी है. किशोर ने पत्र प्राप्त होने की पुष्टि करते हुए कहा, ‘मैं इसके लिए तैयार हूं.’
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
October 07, 2025, 06:12 IST