Journalist Anis Alamgir: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने वरिष्ठ पत्रकार अनीस आलमगीर को 14 दिसंबर को आतंकवाद विरोधी अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया. आलमगीर बांग्लादेश के अनुभवी पत्रकार हैं और दशकों से प्रिंट और ब्रॉडकास्ट मीडिया में काम कर रहे हैं. वे संवाददाता भी रहे हैं जिन्होंने 2001 में अफगानिस्तान और 2003 में इराक में संघर्षों को कवर किया. पुलिस ने उन पर आरोप लगाया है कि उन्होंने टॉक शो और सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए दुष्प्रचार फैलाया और प्रतिबंधित अवामी लीग पार्टी के पुनर्वास की साजिश रची.
कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स ने युनूस सरकार पर साधा निशाना
इस बीच, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (CPJ) ने अनुभवी पत्रकार अनीस आलमगीर के खिलाफ आतंकवाद के आरोप तत्काल वापस लेने और उन्हें बिना शर्त रिहा करने का आग्रह किया है. सीपीजे ने बांग्लादेशी अधिकारियों से राष्ट्रीय सुरक्षा के तहत पत्रकारों को निशाना बनाने के प्रयासों को रोकने की भी मांग की है.
सीपीजे के एशिया-प्रशांत कार्यक्रम समन्वयक कुणाल मजूमदार ने कहा कि ऐतिहासिक चुनाव से कुछ महीने पहले एक पत्रकार को आतंकवाद-विरोधी कानून के तहत हिरासत में लेना, लोकतंत्र के एक स्तंभ प्रेस की स्वतंत्रता के प्रति अंतरिम सरकार की प्रतिबद्धता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है. उन्होंने कहा कि बांग्लादेशी अधिकारियों को आलमगीर को तत्काल रिहा करना चाहिए और सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों को निशाना बनाना बंद करना चाहिए.
12 फरवरी 2025 को होगा बांग्लादेश में चुनाव
बता दें, आलमगीर एक संवाददाता हैं जिन्हें 14 दिसंबर को ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच द्वारा गिरफ्तार किया गया था. उन्हें बांग्लादेश के आतंकवाद विरोधी अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था जिसमें उन पर दुष्प्रचार फैलाने और प्रतिबंधित अवामी लीग पार्टी के पुनर्वास की साजिश रचने का आरोप लगाया गया था. अनीस आलमगीर की गिरफ्तारी एक ऐसे व्यक्ति की शिकायत के बाद हुई, जिसने खुद को पिछले साल जुलाई में शुरू हुए एक विरोध आंदोलन का आयोजक बताया था. इस आंदोलन में प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देने के लिए कहा गया था और अवामी लीग को देश से निष्कासित करने की मांग की गई थी.
बता दें, बांग्लादेश में अगला चुनाव 12 फरवरी 2025 को होने वाला है. आलमगीर की गिरफ्तारी ने बांग्लादेश के मीडिया वातावरण और पत्रकारों पर बढ़ते हमलों की चिंता को और बढ़ा दिया है. इस बीच, एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिहाब महामूर ने आलमगीर की गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह उन व्यक्तियों को निशाना बनाने की प्रवृत्ति को जारी रखता है, जिन्हें अब अवामी लीग की गतिविधियों का समर्थन करने वाला माना जा रहा है. उन्होंने कहा कि अंतरिम सरकार को चुनावों से पहले अभिव्यक्ति और संगठन की स्वतंत्रता को बढ़ावा देना चाहिए न कि आतंकवाद विरोधी कानून का दुरुपयोग कर लोगों को चुप कराना चाहिए. बता दें इससे पहले आलमगीर ने अदालत में कहा था कि मैं एक पत्रकार हूं. मैं सत्ता में बैठे लोगों से सवाल करता हूं. मैं पिछले दो दशकों से यही कर रहा हूं. मेरा काम किसी के सामने झुकना नहीं है.

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