कौन हैं चंद्रशेखरन, पारसी न होने के बाद भी क्यों रतन टाटा ने बनाया चेयरमैन

1 month ago

हाइलाइट्स

टाटा समूह ने जब चंद्रशेखरन को अपना उत्तराधिकारी चुना तो सभी हैरत में थेक्योंकि नटराजन चंद्रशेखरन न तो टाटा परिवार के सदस्य हैं और न ही पारसीरतन टाटा का करीबी होना और लीडरशिप उनको चुने जाने की बड़ी वजह थी

Natarajan Chandrasekaran: साल 2017 में साइरस मिस्त्री को हटाए जाने के तीन महीने के अंदर ही टाटा समूह ने जब नटराजन चंद्रशेखरन को अपना उत्तराधिकारी चुन लिया तो सभी हैरत में थे. हैरानी की एक बड़ी वजह यह थी कि चंद्रशेखरन न तो टाटा परिवार के सदस्य हैं और न ही पारसी. क्योंकि साइरस मिस्त्री को समूह की बागडोर सौंपे जाने के पीछे एक बड़ी वजह यही थी कि वो पारसी थे और टाटा संस के बोर्ड में भी शामिल थे. मिस्त्री परिवार और टाटा परिवार के बीच घनिष्ठ संबंध हैं. साइरस की बहन अलू मिस्त्री रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा की पत्नी हैं.  

नटराजन चंद्रशेखरन को जब टाटा समूह का चेयरमैन बनाया गया तो उस समय वह टीसीएस (टाटा कंसल्टेंसी सर्विस) के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर थे. रतन टाटा का करीबी होना और लीडरशिप क्वलिटी चंद्रशेखरन को चुने जाने की बड़ी वजह थी. रतन टाटा ने टाटा समूह में नमक से लेकर विमान तक कई क्षेत्रों में क्रांति की थी. उस समय विभिन्न स्तरों पर काम करते हुए रतन टाटा को चंद्रशेखरन का महत्वपूर्ण साथ मिला था. चंद्रशेखरन को रतन टाटा के दाहिने हाथ के रूप में जाना जाता था. 

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रतन टाटा के निधन के बाद चंद्रशेखरन फिर चर्चा में आ गए हैं. तो, वह कौन हैं? उनके करियर की पृष्ठभूमि क्या है? उनकी शिक्षा और बचपन के बारे में जानें.

किसान परिवार में जन्म
नटराजन चंद्रशेखरन का जन्म एक सामान्य किसान परिवार में हुआ था. किसान परिवार में जन्म लेने से लेकर देश के सबसे पुराने और सबसे बड़े व्यावसायिक घराने का चेयरमैन बनने तक का उनका सफर अद्वितीय रहा. उन्होंने टीसीएस में इंटर्न के रूप में करियर की शुरुआत की थी. चंद्रशेखरन को बिजनेल और मीडिया की दुनिया में ‘चंद्रा’ के नाम से जाना जाता है. उन्होंने 2017 में टाटा सन्स के सर्वोच्च पद को स्वीकार किया.

शुरुआती जीवन
1963 में तमिलनाडु के मोहनूर गांव में एक किसान परिवार में जन्मे चंद्रशेखरन का बचपन से ही कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की ओर रुझान था. सरकारी स्कूल में पढ़ाई के बाद वह कोयम्बटूर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में पढ़ने गए और वहां से उन्होंने बीटेक की डिग्री हासिल की. इसके साथ ही उन्होंने तिरुचिरापल्ली स्थित रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज से मास्टर ऑफ कंप्यूटर एप्लिकेशंस (MCA) पूरा किया.

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करियर
इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद नटराजन चंद्रशेखरन ने 1987 में टीसीएस में इंटर्न के रूप में काम शुरू किया. इसके बाद के दो दशकों में उन्होंने बहुत तरक्की की. सितंबर 2007 में उन्हें टीसीएस बोर्ड में नियुक्त किया गया और वह कंपनी के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) बने. कड़ी मेहनत और दृढ़ निश्चय के साथ काम करने वाले चंद्रशेखरन अक्टूबर 2009 में सीईओ बने. चंद्रशेखरन 46 साल की उम्र में एस. रामादोराई के बाद टाटा समूह के सबसे युवा सीईओ बने. चंद्रशेखरन को लेकर कंपनी के अंदर मजाक में यह बात की जाती थी कि टीसीएस का मतलब है- टेक चंद्रा सीरियसली.

योगदान
नटराजन चंद्रशेखरन के मार्गदर्शन में टाटा समूह ने 2022 में 64,267 करोड़ रुपये का नेट मुनाफा कमाया. 2017 में यह मुनाफा 36,728 करोड़ रुपये था. पिछले 5 वर्षों में टाटा समूह का राजस्व 6.37 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 9.44 लाख करोड़ रुपये हो गया है.

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सैलरी
फाइनेंशियल एक्सप्रेस द्वारा दी गई रिपोर्ट के अनुसार चंद्रशेखरन ने 2019 में 65 करोड़ रुपये का सालाना वेतन पैकेज लिया. 2021-22 में टाटा समूह के अध्यक्ष को 109 करोड़ रुपये का पैकेज मिला था. इसके साथ ही वह भारत में सबसे अधिक वेतन पाने वाले कंपनी अधिकारी थे.

प्रॉपर्टी
2020 में चंद्रशेखरन ने मुंबई के पेडर रोड स्थित लक्जरी टॉवर में 98 करोड़ रुपये में एक डुप्लेक्स फ्लैट खरीदा. 6,000 वर्ग फुट में फैले इस फ्लैट का किराया प्रति माह 20 लाख रुपये था.

परिवार और शौक
चंद्रशेखरन की पत्नी का नाम ललिता है और उनके बेटे का नाम प्रणव चंद्रशेखरन है. चंद्रशेखरन को फोटोग्राफी करना और मैराथन दौड़ना पसंद है. इतने व्यस्त होने के बाद भी वह एम्सटर्डम, बोस्टन, बर्लिन, मुंबई, न्यूयार्क और टोक्यो मैराथन में हिस्सा ले चुके हैं. जबकि उन्होंने 2007 में शौकिया दौड़ना शुरू किया था. अब वह मैराथन दौड़ (42.195 किमी) पूरी कर लेते हैं.

Tags: IT industry, Ratan tata, Tata Motors, Tata steel

FIRST PUBLISHED :

October 11, 2024, 13:03 IST

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