क्या डोनाल्ड ट्रंप नोबेल शांति पुरस्कार के लिए बस फोटो खिंचवाना चाहते हैं?

7 hours ago

Last Updated:June 19, 2025, 08:24 IST

Does Donald Trump wants nobel prize: डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में पाक सेना प्रमुख आसिम मुनीर के साथ लंच किया और पाकिस्तान से प्यार जताया. ट्रंप का यह कदम उनकी अपरंपरागत कूटनीति का उदाहरण है.

क्या डोनाल्ड ट्रंप नोबेल शांति पुरस्कार के लिए बस फोटो खिंचवाना चाहते हैं?

बुधवार को ट्रंप ने आसिम मुनीर को लंच दिया था.

हाइलाइट्स

ट्रंप ने पाक सेना प्रमुख मुनीर के साथ व्हाइट हाउस में लंच किया.ट्रंप ने पाकिस्तान से प्यार जताया, नोबेल शांति पुरस्कार की चर्चा.भारत ने ट्रंप के मध्यस्थता दावे को खारिज किया.

Does Donald Trump wants nobel prize: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को व्हाइट हाउस में पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर के साथ लंच की मेजबानी की और कहा कि मैं पाकिस्तान से प्यार करता हूं. यह मुलाकात तब हुई जब मुनीर ने ट्रंप को भारत और पाकिस्तान के बीच कथित तौर पर परमाणु युद्ध रोकने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित करने की बात कही थी. व्हाइट हाउस के एक अधिकारी के मुताबिक इसी वजह से मुनीर को लंच के लिए आमंत्रित किया गया. इस मुलाकात ने वाशिंगटन के विदेश नीति विशेषज्ञों को चौंका दिया हैं, क्योंकि ट्रंप का यह कदम उनकी अपरंपरागत कूटनीति का एक और उदाहरण है.

ट्रंप का यू-टर्न और विवाद

ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में पाकिस्तान को आतंकियों का सुरक्षित ठिकाना और धोखेबाज देश कहा था. लेकिन अब उनका आई लव पाकिस्तान कहना और मुनीर के साथ लंच करना कई सवाल खड़े कर रहा है. राष्ट्रीय सुरक्षा विश्लेषक डेरेक ग्रॉसमैन ने कहा कि यह हैरान करने वाला है कि ट्रंप ने चुपके से पीएम मोदी को भी आज व्हाइट हाउस बुलाने की कोशिश की, शायद जब मुनीर लंच के लिए मौजूद थे. ट्रंप को भारत-पाकिस्तान तनाव के इतिहास और संदर्भ की कोई समझ नहीं है. वे सिर्फ नोबेल शांति पुरस्कार के लिए फोटो खिंचवाना चाहते हैं.

ईरान पर नजर, पाक से रणनीतिक मदद?

इस मुलाकात के पीछे भू-राजनीतिक रणनीति भी दिख रही है. अमेरिका और इजरायल ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर सख्त रुख अपनाए हुए हैं. अगर ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को नहीं रोका, तो अमेरिका हमले की योजना बना सकता है. इस स्थिति में पाकिस्तान की भौगोलिक स्थिति और उसकी सेना अमेरिका के लिए अहम हो सकती है. पहले भी पाकिस्तान अमेरिका के लिए लॉन्चपैड का काम कर चुका है. इसके अलावा अमेरिका और इजरायल यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि ईरान इस्लामिक देशों के बीच अलग-थलग रहे और उसे पाकिस्तान का समर्थन न मिले.

मुनीर की मुलाकात का आयोजन

मुनीर की इस मुलाकात को पाकिस्तानी-अमेरिकी बिजनेसमैन साजिद तारार ने संभव बनाया, जो ट्रंप के समर्थक और अमेरिकन मुस्लिम्स फॉर ट्रंप समूह के संस्थापक हैं. तारार ने वाशिंगटन के फोर सीजन्स होटल में मुनीर के लिए एक सामुदायिक स्वागत समारोह भी आयोजित किया, जहां मुनीर ने पाकिस्तानी डायस्पोरा को पाकिस्तान के सच्चे राजदूत बताया और उनकी रेमिटेंस, निवेश और उपलब्धियों की तारीफ की.

आमतौर पर व्हाइट हाउस में किसी विदेशी सेना के प्रमुख के लिए भोज का आयोजन नहीं होता है.

विदेशी सेना प्रमुख के साथ लंच दुर्लभ घटना

अमेरिकी राष्ट्रपति का किसी विदेशी सेना प्रमुख के लिए व्हाइट हाउस में लंच आयोजित करना बेहद असामान्य है, हालांकि यह पूरी तरह अभूतपूर्व नहीं है. पाकिस्तान के सैन्य नेताओं जैसे अयूब खान, जिया-उल-हक और परवेज मुशर्रफ ने पहले अमेरिकी राष्ट्रपतियों से मुलाकात की थी, लेकिन तब वे सैन्य तख्तापलट के बाद देश के नेता बन चुके थे. मुनीर के मामले में यह पहली बार है कि एक सेवारत सेना प्रमुख को इस तरह का सम्मान दिया गया, जिसे पाकिस्तान में बड़ा कूटनीतिक कदम माना जा रहा है.

भारत की आपत्ति और ट्रंप का दावा

ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रोका, लेकिन भारत ने इसे सिरे से खारिज कर दिया. पीएम नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को ट्रंप से 35 मिनट की फोन कॉल में साफ किया कि मई में चार दिन के सैन्य टकराव के बाद भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच सीधे संवाद से युद्धविराम हुआ, न कि किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि भारत ने कभी भी पाकिस्तान के साथ अपने द्विपक्षीय मुद्दों में तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की और न ही कभी करेगा.

पहलगाम हमले का संदर्भ

मई का यह टकराव 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले से शुरू हुआ, जिसमें 26 लोग मारे गए थे. भारत ने इसके जवाब में ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया और पाकिस्तान व पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ठिकानों पर हमले किए. पाकिस्तान ने जवाबी हमले किए, लेकिन भारत की वायु रक्षा प्रणालियों ने उन्हें नाकाम कर दिया. 7 से 10 मई तक चले इस टकराव का अंत दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच बातचीत से हुआ.

क्या है ट्रंप का मकसद?

ट्रंप की इस मुलाकात को कई लोग नोबेल शांति पुरस्कार की उनकी महत्वाकांक्षा से जोड़कर देख रहे हैं. हालांकि, भारत-पाकिस्तान तनाव के संदर्भ में उनकी समझ की कमी और ईरान के खिलाफ रणनीति बनाने की कोशिश इस मुलाकात को जटिल बनाती है. यह देखना बाकी है कि क्या यह मुलाकात वाकई क्षेत्रीय शांति की दिशा में कोई ठोस कदम उठाएगी, या फिर यह सिर्फ ट्रंप की कूटनीतिक फोटो-ऑप की एक और कड़ी साबित होगी.

संतोष कुमार

न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें

न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...

और पढ़ें

homenation

क्या डोनाल्ड ट्रंप नोबेल शांति पुरस्कार के लिए बस फोटो खिंचवाना चाहते हैं?

Read Full Article at Source