क्या सच में सीता की रक्षा के लिए खींची गई लक्ष्मण रेखा, इसमें थीं लेजर किरणें

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Last Updated:March 17, 2025, 12:15 IST

Ramayan Katha : लक्ष्मण ने जो रेखा कुटिया के बाहर सीता की रक्षा के लिए खींची थी, उसमें दरअसल कौन सी पॉवर थी, जिससे रावण डर गया था. क्या वो रेखा लेजर जैसी तकनीक से लैस थी.

क्या सच में सीता की रक्षा के लिए खींची गई लक्ष्मण रेखा, इसमें थीं लेजर किरणें

हाइलाइट्स

लक्ष्मण रेखा का रामायण में जिक्र नहीं है.क्या लक्ष्मण रेखा लेजर तकनीक से लैस थी.वाल्मीकि रामायण में भी लक्ष्मण रेखा का उल्लेख नहीं है.

जब सीता ने राम की खोज और रक्षा के लिए लक्ष्मण को जबरदस्ती कुटिया से जंगल भेजा तो लक्ष्मण अनिच्छा के साथ कुटिया से निकले, क्योंकि उन्हें लग रहा था कि उनके कुटिया छोड़कर जंगल में जाने से सीता संकट में पड़ सकती हैं. तब उन्होंने अपने तीर से उनकी बचाव के लिए एक रेखा खींची, जिसे लक्ष्मण रेखा कहा गया. इसे कोई जादुई रेखा कहता है तो ऐसी ताकत से लैस रेखा जो लेजर जैसी तकनीक से लैस रही होगी.

हमारे शास्त्र तो कहते हैं कि लेजर तकनीक प्राचीन भारत में ज्ञात थी. इसका इस्तेमाल भी कई कामों के लिए होता था लेकिन हम लक्ष्मण रेखा की सच्चाई जानते हैं कि ये वाकई थी भी नहीं और अगर थी तो किस तरह की रही होगी.

हम सभी को मालूम है कि रावण द्वारा सीता का हरण करने से पहले लक्ष्मण जब हिरण का शिकार गए श्रीराम को खोजने गए तो कुटिया के बाहर एक ऐसी रेखा खींच गए, जो सीता की रक्षा कर सके. इसे लक्ष्मण रेखा के नाम से जाना जाता है. हालांकि तुलसीदास की रामचरितमानस और वाल्मीकि रामायण में ऐसी किसी रेखा का जिक्र ही नहीं हुआ.

वाल्मीकि रामायण को सबसे प्रामाणिक और साक्ष्यजनक रामायण माना जाता है. इसके बाद तुलसीदास की रामचरित मानस का जिक्र आता है. पूरे रामायण की कहानी में सबसे पेचीदा प्रकरण लक्ष्मण रेखा है, जिसे लेकर अक्सर बहस और चर्चा होती है. सवाल भी किया जाता है कि क्या ऐसी कोई वास्तविक रेखा थी भी.

आइए अब आपको वो कहानी बता देते हैं, जो लक्ष्मण रेखा के रूप में प्रचलित है. एक सुनहरा हिरण कुटिया के सामने से भागता है. सीता उसे देखती हैं. राम को ये हिरन पकड़कर लाने के लिए कहती हैं. सीता के ज्यादा जोर देने राम उसके शिकार के लिए निकलते हैं. दरअसल मारीच नाम का राक्षस हिरण का रूप धरकर आता है.

माना जाता है वनवास के दौरान जब लक्ष्मण अकेले सीता को कुटिया में छोड़कर निकले तो एक ऐसी रेखा बनाकर कि कोई उसे लांघ नहीं पाए बल्कि ऐसा करते ही भस्म हो जाए. इस रेखा के बारे में कहा जाता है कि इसे खास तरीके से अभिमंत्रित किया गया था. (news18 gfx)

जब राम उसका शिकार कर लेते हैं तो मरते समय में मारीच राम की आवाज में लक्ष्मण और सीता का नाम लेकर रूदन करता है. ये सुनकर सीता लक्ष्मण को भाई की मदद के लिए जाने को कहती हैं.शुरू में लक्ष्मण नहीं जाना चाहते लेकिन जब जाते हैं तो कुटिया के बाहर एक रेखा खींचकर जाते हैं. ये एक ऐसी रेखा थी जो ऐसी ताकत से लैस थी कि बाहर से जो भी इसके अंदर आता तो जलकर भस्म हो जाता. हां, सीता अगर कुटिया से बाहर निकलतीं तो उनका कुछ नहीं होता.

रामचरित मानस किस तरह इसे देखती है
वाल्मीकि रामायण तो बिल्कुल ही इसके बारे में कुछ नहीं कहती. रामचरितमानस में भी इसका सीधा जिक्र नहीं है बल्कि रामचरितमानस के लंका कांड में इसका उल्लेख रावण की पत्नी मंदोदरी द्वारा किया गया है.

शास्त्रों में कहा गया है कि लक्ष्मण ने महर्षि विश्वामित्र के यहां अभिमंत्रित रेखा बनाने की खास विद्या सीखी थी. वह इसमें पारंगत हो गए कि इस रेखा का नाम ही उन पर रख दिया गया. (news18 gfx)

वाल्मीकि रामायण क्या कहती है
वाल्मिकी रामायण का आरण्यक कांड के पञ्चचत्वारिंशः सर्गः में इस घटना का विस्तार से वर्णन किया गया है. इसमें कहा गया कि सीता के नाराज होने पर जब लक्ष्मण बड़े भाई की तलाश में निकल गए. वाल्मीकि रामायण कहीं नहीं लिखती कि लक्ष्मण ने जाते हुए कोई रक्षा रेखा खींची. अब कुटिया में सीता को अकेले पाकर रावण संन्यासी का भेष बनाकर वहां पहुंच गया.

वाल्मीकि रामायण आगे लिखती है कि सीता ने संन्यासी के रूप में आए रावण को बैठने के लिए आसन दिया. फिर पैर धोने का जल दिया, फिर फल आदि. जब सीता संन्यासी से परिचय पूछती हैं तो वह कहता है, “हे सीते ! जिसके डर से देवताओं, असुरों और मनुष्यों सहित तीनों लोक थरथराते हैं, मैं वही राक्षसों का राजा रावण हूं.”

रामचरित मानस इस प्रसंग को सीधे नहीं लिखती बल्कि मंदोदरी के मुंह से कहलवाती है जबकि वाल्मीकि रामायण को सबसे ज्यादा परिस्थितिजन्य और प्रामाणिक माना जाता है, उसने सीता हरण का पूरा वर्णन ही अलग तरीके से किया है.

तब सीता रावण को धमकाती और अपमानित करती है
वाल्मीकि रामायण श्लोकों के जरिए कहती है,  “तब सीता अपने और पति के बारे में बताती हैं. फिर सीता का रावण से वाद विवाद होता है और रावण के लिए अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करती हैं. खुद के लिए अपमानजनक शब्दों का प्रयोग होते देखा रावण क्रोध में आकर अपना रौद्र रूप प्रकट करता है. फिर सीताजी का बलपूर्वक अपहरण कर लेता है.”

शास्त्र कहते हैं लक्ष्मण अभिमंत्रित रेखा बनाना जानते थे
लक्ष्मण रेखा आप सभी जानते हैं पर इसका असली नाम शायद नहीं पता होगा। लक्ष्मण रेखा का नाम (सोमतिती विद्या है). यह भारत की प्राचीन विद्याओ में एक थी, जिसका अंतिम प्रयोग महाभारत युद्ध में हुआ था. चलिए जानते हैं अपने प्राचीन भारतीय विद्या को-

क्या कहा जाता है लक्ष्मण रेखा के बारे में
कुछ जगह ये तर्क दिया जाता है कि वास्तव में लक्ष्मण एक रेखा बनाकर गए थे. ये वेदों से अभिमंत्रित रेखा थी. माना जाता है कि ये वेदमंत्र एक कोड है, जो सोमना कृतिक यंत्र से जुड़ा है. पृथ्वी और बृहस्पति के मध्य कहीं अंतरिक्ष में वह केंद्र है जहां यंत्र को स्थित किया जाता है. वह यंत्र जल, वायु और अग्नि के परमाणुओं को अपने अंदर सोखता है. कोड को उल्टा कर देने पर एक खास प्रकार से अग्नि और विद्युत के परमाणुओं को वापस बाहर की तरफ धकेलता है. तब लेजर बीम जैसी किरणें उस रेखा से निकलने लगती हैं.
पुराणों में ऋंगि ऋषि के हवाले से लिखा है कि लक्ष्मण इस विद्या के इतने जानकर हो गए कालांतर में ये विद्या लक्ष्मण रेखा कहलाई जाने लगी. महर्षि दधीचि महर्षि शांडिल्य भी इस विद्या को जानते थे.

Location :

Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh

First Published :

March 17, 2025, 12:15 IST

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