Last Updated:November 24, 2025, 17:25 IST

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र और अन्य से उस याचिका पर जवाब मांगा जिसमें राजनीतिक दलों को 2,000 रुपये से कम का ‘गुमनाम’ नकद चंदा लेने की अनुमति देने वाले आयकर अधिनियम के प्रावधान की वैधता को चुनौती दी गई है. याचिका में कहा गया है कि पारदर्शिता की यह कमी चुनाव प्रक्रिया की शुचिता को कमजोर करती है, क्योंकि यह मतदाताओं को दानकर्ता और उनके उद्देश्य समेत राजनीतिक वित्तपोषण के स्रोत के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी से वंचित करती है, जिससे वे वोट डालते समय तर्कसंगत, बुद्धिमत्तापूर्ण और पूरी तरह से सूचित निर्णय लेने से वंचित रह जाते हैं.
शीर्ष अदालत ने केंद्र, निर्वाचन आयोग और अन्य को नोटिस जारी कर याचिका पर जवाब मांगा है. याचिका में निर्वाचन आयोग को यह निर्देश देने की भी मांग की गई है कि वह किसी राजनीतिक दल के पंजीकरण और चुनाव चिन्ह के आवंटन के लिए एक शर्त के रूप में यह निर्धारित करे कि कोई भी राजनीतिक दल नकद में कोई राशि प्राप्त नहीं कर सकता. जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि मामले को चार सप्ताह बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा.
शुरुआत में, पीठ ने याचिकाकर्ता खेम सिंह भाटी की ओर से वकील स्नेहा कलिता के साथ पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया से पूछा कि उन्होंने पहले उच्च न्यायालय का रुख क्यों नहीं किया. पीठ ने कहा, ‘उच्च न्यायालय को इस पर विचार करने दीजिए.’ हंसारिया ने कहा कि यह याचिका देश भर में सभी राजनीतिक दलों और उन्हें मिलने वाले वित्तपोषण से संबंधित है. पीठ ने याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताते हुए निर्वाचन आयोग, केंद्र और भाजपा तथा कांग्रेस जैसे कई राजनीतिक दलों सहित अन्य को नोटिस जारी किए.
याचिका में आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 13ए के खंड (डी) को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द करने की मांग की गई है और साथ ही सुप्रीम कोर्ट के 2024 के फैसले का भी हवाला दिया गया है, जिसमें चुनावी बांड योजना को रद्द कर दिया गया था. वकील जयेश के उन्नीकृष्णन के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है, ‘याचिकाकर्ता यह निर्देश चाहता है कि राजनीतिक दल उन्हें कोई भी धनराशि देने वाले व्यक्ति का नाम और अन्य सभी विवरण उजागर करें तथा कोई भी धनराशि नकद में प्राप्त न की जाए, ताकि राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता बनी रहे.’
अधिनियम की धारा 13ए राजनीतिक दलों की आय से संबंधित विशेष प्रावधान से जुड़ा है. याचिका में कहा गया कि अधिनियम में धारा 13ए जोड़ी गई है और राजनीतिक दलों को मिलने वाली जमानत राशि पर ब्याज, मकान/संपत्ति से आय, अन्य स्रोतों से आय, तथा स्वैच्छिक चंदे के रूप में मिलने वाली किसी भी रकम को कुल आय की गणना से मुक्त रखा गया है.
याचिका में यह निर्देश देने की भी मांग की गई है कि निर्वाचन आयोग सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के फॉर्म 24ए (चंदा विवरण) की जांच करे और जिन चंदों में दाता का पता या पैन नहीं दिया गया है, उस राशि को संबंधित दलों से वापस जमा करवाए. याचिका में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को पिछले पांच वर्षों के दौरान आयकर अधिनियम की धारा 142 और 143 के तहत राजनीतिक दलों द्वारा दाखिल आयकर रिटर्न और ऑडिट रिपोर्ट की जांच करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है.
राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...और पढ़ें
राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
November 24, 2025, 17:25 IST

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