Last Updated:August 18, 2025, 14:24 IST
Cricketer Akashdeep: क्रिकेटर आकाशदीप के जीवन की कहानी परिश्रम, संघर्ष, संवेदनाओं, भावनाओं और संभावनाओं को अपने साथ लिये बिहार की मिट्टी से जुड़ाव की अनोखी मिसाल है.इंग्लैंड दौरे पर 10 विकेट लेकर इतिहास रचने वा...और पढ़ें

सासाराम. इंग्लैंड दौरे पर शानदार प्रदर्शन के बाद भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज आकाशदीप अपने पैतृक गांव सासाराम के बड्डी पहुंचे तो उनका स्वागत सैकड़ों खेल प्रेमियों और ग्रामीणों ने किया. अभी वह अपने गांव में ही हैं और यहां उन्होंने पत्रकारों से बातचीत की और अपनी भावनाओं को प्रकट किया. आकाशदीप ने कहा कि गांव वालों का प्यार उन्हें और बेहतर करने की प्रेरणा देता है. उन्होंने कहा कि जब वह कोई मैच जीतते हैं या फिर क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो उनके गांव, परिवार के लोग इसे जब सेलिब्रेट करते हैं, जिससे उन्हें बहुत खुशी होती है. उन्हें लगता है कि इसी दिन के लिए वह रात दिन कड़ी मेहनत कर रहे हैं. बड़ी बात यह है कि जब यह दुनिया के अलग-अलग देशों में जाकर अच्छा क्रिकेट खेलते हैं और घर लौटते हैं तो घर के लोग ही नहीं गांव मोहल्ले के लोग उनका स्वागत करते हैं तो उन्हें मोटिवेशन मिलता है और क्रिकेट में बेहतर करने के लिए खुद को प्रेरित कर पाते हैं. इस दौरान उन्होंने बड़ी बहन के लिए अपनी भावनाओं को प्रकट किया.
इंग्लैंड में 10 विकेट, बहन को समर्पित जीत
आकाशदीप ने इंग्लैंड के एजबेस्टन टेस्ट में 10 विकेट लेकर 58 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा. उन्होंने इस उपलब्धि को अपनी कैंसर पीड़ित बहन अखंड ज्योति को समर्पित किया. पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने बताया, मेरी बहन तीसरे स्टेज के कैंसर से जूझ रही है. मैंने सोचा, उनकी खुशी के लिए मुझे अपना सर्वश्रेष्ठ देना है. इस जीत ने न केवल भारत को गौरवान्वित किया, बल्कि उनकी बहन के चेहरे पर मुस्कान लाया.
गांव का प्यार आकाशदीप की प्रेरणा का स्रोत
बड्डी गांव में आकाशदीप का स्वागत देखकर उनका मन अभिभूत हो गया. उन्होंने कहा, जब मैं विदेशों में अच्छा खेलकर लौटता हूं तो गांव-मोहल्ले के लोग उत्सव मनाते हैं. यह मेरे लिए सबसे बड़ा मोटिवेशन है. बता दें कि डेहरी, सासाराम में जन्मे आकाशदीप ने क्रिकेट के लिए बंगाल में संघर्ष किया और IPL से लेकर टेस्ट क्रिकेट तक अपनी छाप छोड़ी. ग्रामीणों का उत्साह उन्हें नई ऊंचाइयों की ओर ले जाता है.
संघर्ष से बने सितारा, आकाशदीप की कहानी
आकाशदीप की जिंदगी आसान नहीं थी. 16 साल की उम्र में पिता और भाई को खोने के बाद उन्होंने क्रिकेट छोड़ दिया था. मां और बहन के सहारे उन्होंने फिर से बल्ला और गेंद थामी. बंगाल में टेनिस बॉल क्रिकेट से शुरूआत कर वह रणजी, IPL और फिर भारतीय टीम तक पहुंचे. उनकी मेहनत और गांव का प्यार बिहार के युवाओं के लिए प्रेरणा है.
पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट...और पढ़ें
पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट...
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Location :
Sasaram,Rohtas,Bihar
First Published :
August 18, 2025, 14:24 IST